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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Saturday, 30 September 2017

हम जो चाहते हैं- संजीव कुमार श्रीवास्तव की कविताएँ (Hindi poems of Sanjeev Kumar Srivastava with English translation)

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छ: अंशों में विभक्त कविता/ Poem divided into six sections




1.
भींगना चाहते हैं हम
तुम्हारे आँसूओं की बारिश में
जिसमें नमक की तरह घुले हों
बीते क्षणों की तरह तुम्हारे सारे दु:ख-दर्द
छुपाती आई हो जिन्हें तुम
बड़ी ही होशियारी से
दुनिया की निगाहों से अब तक
पर जिसके पीछे छुपी
तुम्हारी विवशता की
समझने की चेष्टा
किसी ने नहीं की शायद.
I want to wet myself
In the shower of your tears
In which salt of your all pains and agonies
Should have been mixed 
LIke the past moments
Which have been concealed by you
Very carefully 
From the eyes of the world
But there is concealed your compulsions too
Which nobody tried to look at.


2.
पढ़ना चाहते हैं हम
अनुभवों के
एक जीवंत दस्तावेज की तरह तुम्हें
जो दबी पड़ी हो अरसे से
धूल की परतों में लिपटी
किसी जंग खाती आलमारी की दराज में
लिखी गई हो जो
भले ही कुछ अनगढ़ तरीके से.
I want to read you 
Like a live document of experiences
Which would have been dumped 
In the drawer of a rusting cupboard
Draped in the layers of dust
Which might have been scribbled 
Though absolutely roughly. 


3.
सहलाना चाहते हैं हम
तुम्हारी कोमल भावनाओं को
मानवता के स्नेहिल स्पर्श से
जिसकी छुअन
जीवन भर रोमांचित करती रही हो तुम्हें
और जिस किसी को भी छू ले
तुम्हारी परछाईं
स्पंदित होता रहे पुलक से
वो भी सारी उम्र.
I want to caress
Your soft feelings
With the affectionate touch of humanity
The touch of which
Might keep you thrilled lifelong 
And whatever is touched by
Your shadow
He should be horripilated with joy
And that too for the whole life.


4.
खेलना चाहते हैं हम
तुम्हारे साथ
शब्दों की गेंद को
अपनी जुबान और कलम के बल्ले से
बार-बार तुम्हारी ओर उछालकर
बिल्कुल सधे और तनिक शरारती अंदाज में
ताकि आहिस्ता-आहिस्ता ही सही
इसे अच्छी तरह से
कैच करना सीख सको तुम
और अपनी विरासत व परिवेश की
बेजान पिच पर
खड़ी होने के बाद भी
जीवन की बाधाओं का विकेट चटखाने में
महारत हासिल हो सके तुम्हें.


5.
दिखाना चाह्ते हैं हम
एक नई दुनिया की राह
विचारों के आकाश में
उड़ा ले जाकर तुम्हें
सबकी नजरों के सामने
समझ के पंख लगाकर तुममें
ताकि अपनी जमीन से
इंच भर खिसके बगैर भी
समेट सको तुम अपने दामन में
बेशुमार चाँद-सितारे
और बिखेर सको उन्हें
अपने इर्द-गिर्द की दुनिया के
अंधेरे कोनों में
ताकि पसरता चला जाय
धीरे-धीरे
उजाला-ही-उजाला
चारों ओर.

6.
छेड़ना चाहते हैं हम
उस सितार की तरह तुम्हें
दबे पड़े होते हैं जिसके जिस्म में
अनगिनत राग
जो निगाहें चार होते ही
झंकृत हो उठते हैं
अपने आसपास की नीरवता को चीरते हुए
और गुंजायमान हो उठती है
एकदम स
सारी सृष्टि.
.......
मूल हिन्दी कविता के कवि- संजीव कुमार श्रीवास्तव
श्री श्रीवास्तव का मोबाइल- 7564001869, 9990518195 
श्री श्रीवास्तव का ईमेल- sanjivkumarsrivastav@gmail.com
कविता का अंग्रेजी अनुवाद- हेमन्त दास 'हिम'
आप अपनी प्रतिक्रिया इस ईमेल पर भी भेज सकते हैं- hemantdas_2001@yahoo.com

कवि का परिचय: "भावनाओं और विचारों के समन्दर में डूबते उतराते मेरे अनुभव मेरी लेखनी की पतवार थामे जब अभिव्यक्ति के किनारे आ लगते हैं, तभी जाकर आकार ले पाती है मेरी कविता" यह आत्मकथ्य है कवि का. अब तक तो आप मान ही गए होंगे कि संजीव कुमार श्रीवास्तव एक अंत्यंत हृदयस्पर्शी और गम्भीर कविताएँ लिखनेवाले कवि हैं. इनकी कविताएँ कभी रूमानियत का पुट लिए लग सकती हैं तो कभी भावनाओं का निर्बन्ध उद्रेक किन्तु थोड़ा ध्यान देते ही वे तमाम समकालीन मुद्दों से जूझती हुई नजर आती है. कवि उपेक्षा का कुशल शब्दचित्रकार होने के साथ-साथ आधुनिक जीवन की भागदौड़ में विलुप्त जीवन-रस का निपुण अन्वेषक भी है. यह कवि अस्मिता का बली रक्षक तो है ही, वंचितों को उसका अधिकार दिलवाना भी जानता है. इनकी अनेक रचनाएँ प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं और अत्यंत लोकप्रिय अखबारों में प्रकाशित हो चुकीं हैं. आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी इनके अनेक साहित्यिक कार्यक्रम आ चुके हैं.
Introduction of the poet: "My experiences  soaked deep in emotions and ideologies when come up to get side of expression with the help of a rudder called pen, it morphs into a poem", this is the statement of the poet about creation of poetry   Sanjeev Kumar Srivastava is a poet who writes emotive and serious poems. His poems can sometimes look romantic and sometimes the outbreak of emotions, but the moment you pay a little more attention to them you perceive him battling with all contemporary issues. Besides being a skilled illustrator of neglect he is also an accomplished explorer of the  essence of life which seems to have evaporated in the course of running of modern life. This poet is a big protector of self-identity and also knows how to get rights to deprived ones. Many of his compositions have been published in literary periodicals of repute and very popular newspapers. He has also presented many literary programs on Radio and Television.








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