**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Thursday, 7 September 2017

अंगिका की अंगराई अंक 5 - राजकुमार भारती / (Poems in Angika by Rajkumar Bharti with poetic English translation)

Blog pageview last couont- 30387 (Check the latest figure on computer or web version of 4G mobile)
अंगिका कविता अंग्रेजी काव्यानुवाद के साथ/ कवि- राजकुमार भारती
Poems in Angika by Rajkumar Bharti with poetic English translation

     ईहो दुलहवा ते
Look this unique bridegroom 


ईहो दुलहवा ते 
नखरा इ करै छै
बड्डी दुलरैता छै
बोलै पेटरोल छै 
Look this unique bridegroom!
Is like anything you may assume
He is a spoon-fed doom
This unique bridegroom!



हाँसै इ तनियो नै
लागै बकलोल छै
देखै मे पतला छै
खाय भर थरिया छै
मोंछबा छै नत्थूलाल 
करनी छै बोतूलाल
अंदर हौशियार छै
ईहो दुलहवा ते 
He does never laugh
His mind is always half
He looks too lanky
But eats likes a monkey
His mustache is like a robber
And he works like a slobber
Mind full of crafts, no room
Look, this unique bridegroom!


लम्बा छः फिट्टा छै
कैनियन चर फिट्टी छै
छोड़ै बड़ी बड़का ई
नटखट छै मरदा ई
साली आरू सरहज भी
चिरभै  छै बड्डी की
गुस्सा छै नाके पर
गारी छै ठोरे पर
सभ्भै कोय हँस्सै  छै
देह गात कस्सै छै
ईहो दुलहवा ते  
He has a six-feet height
Wife is just four feet, right?
Always boasts to regale
Is a very naughty male
To women and sisters-in-law 
Is big teaser, this fellow
Temper, he always loses
And speaks only abuses
Everybody laughs at him
Gird up his loins on whome
Look, this unique bridegroom!


बाॅधै मुरेठा छै
ठोके ई गौठा छै
बड़ी मजकियल छै
आरू ई करियल छै
दोसरे के माथा पर
फोड़ै ई नारियल छै
पेटबा छै बड़का गो
मानै सब ओतनै छै
दूसै भी जेतना छै
गुपचुप खिलाबै छै
बहुते दिलदार छै
ईहो दुलहवा ते 
He binds up his turban
And knocks with dung, then
Is a chap humouristic
But sometimes he is strict
Uses other's heads but
To break up cocoonut
His size of belly raises
Whoever see do praises
But also disparages
He offers you golgappa
And flies with his plume
Look, this unique bridegroom!


बच्चा बुतरूआ के
बाँटै लेमनचुस छै
साली औ सरहज के
चाॅकलेट खिलाबे छै
गाँव के छौड़बा सब
जलै जे बड़ी छै
कि कहियो दोस्त अर
रोजे रोज हीनकर ते
होली दिवाली छै
ईहो दुल्हवा ते 
Children, he never beats 
Offers them lemon sweets
To women like sisters-in-law
Chocolates to make them thaw
The lads of this village
Are envious and says
What to say you buddy
His everyday is on boom
Look, this unique bridegroom!
..........

Original Poem in Angika by - Rajkumar Bharti
Poetic English translation by - Hemant Das 'Him'

अंगिका कविताएँ / कवि- राजकुमार भारती
Angika poems by Rajkumar Bharti

घूरा-1
देबाल सेय ऊखाड़ी लाएन के अमारी
भासा औ कुसा संगे घासफूस बटोरी
घर से चोराय के किरासन और गोईठा
घूरा तर बैठल सब खोईल के मुरेठा
जाड़ा के दिन में आगिन जराय के
बड़का बुतरूआ सब पालथी लगाय के
मस्ती करै सभ्भै साथेय मे मिइलके
प्रेम से विभोर लागै सबसेय मिलजुइल के
मिलजुल के फाँकै सभ्भे नबका चूड़ा
मजा जे दै छै बहुते ई घूरा

घूरा-2
चुगली चपाटी भी खुभ्भे चलै छै
बुतरू अ छौरा सब मजा उड़बै छै
बुढबा अरिहिन के जादे चिढबै छै
बाते के ऊपर जे बात मिलबै छै
चोरी के अलुआ त घूरा मे पकै छै
सोंधा-सोंधा खाय मे मजा लगै छै
करै छै मजाके मे सब कुश्ती नूरा
मजा जे दै छै बहुते ई घूरा

घूरा-3
दोसरा खेत के भुट्टा यँहैं पकै छै
चोरी चुपके खाय मे बढिया लगै छै
देखो न कैसन हुऐ छै लगड़ा
खेत बाला  के संगे हुऐ छै झगड़ा
बूँट गेहूँ के यहाँ ओढ़ा चलै छै
नीम्मक मिरचाय संग चटखारा लगै छै
चोरी करै मे जे छै पकराबै
गरदा उराय के उ छै पिटाबै
उड़ै छै चकल्लस कुढाबै छै पूरा
मजा जे दै छै बहुते ई घूरा

घूरा-4
आगिन तर बैठ के छुटै छै तुर्रा
कैसन कैसन वहाॅ चलै छै गुलछर्रा
कभीयो कभीयो बुढबा मारै छै हुर्रा
हँसी मजाक अर भी हुऐ छै पूरा
अल्हा और ऊदल संग राजा सहलेश के
चौहरमल के संगे रेशमा के बेश के
नाटक के गप शप छूटै नै अधूरा
मजा जे दै छै बहुते ई घूरा

घूरा-5
गेलै जमाना ऊ याद जे सताबै छै 
खेल ऊ दोलपता, कबड्डी के आबै छै
नाटक नौटंकी पर दिल अभियो उमकै छै
तखनी के याद से मन अभियो झमकै छै
करेजा मे उठै छेलै हुक पूरा
देखी के सबकय मनचलिया के जूड़ा
कोंची-कोंची कि कि कहिहौन कहानी
याद ऊ समय के लानै छै मुँह मे पानी
कहियो नै होते कहानी ई पूरा
नईका ऊ चूड़ा
मनचलिया के जूड़ा
कुश्ती ऊ नूरा
जैसै कनखजूरा
सपना में अभीयो बनै छी जमूरा
मजा जे दै छै बहुते ई घूरा।
.......

Original Poem in Angika by - Rajkumar Bharti

You may also send your responses througoh email to the editor at hemantdas_2001@yahoo.com




B

No comments:

Post a Comment

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.