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बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Tuesday 29 January 2019

List of Small bites (Bihari Dhamaka)

5. विश्व नृत्य दिवस पर बि.हि.सा.स. पटना में कार्यक्रम - 29.4.2019 / यहाँ क्लिक कीजिए
4. आगमन की कवि गोष्ठी 31.3.2019  /  यहाँ क्लिक कीजिए
3. बिहार दिवस (22 मार्च ) पर भगवतशरण झा 'अनिमेष का विशेष गीत / यहाँ क्लिक कीजिए
2. जानिये डीडी-बिहार के चैनल नम्बर विभिन्न डीटीएच प्रोवाइडर्स के मेनू पर - 5.3.2019/ यहाँ क्लिक करें
1. डॉ. परमेश्वरा दूबे 'शाहाबादी' के "फूल हरसिंगार के" का लोकार्पण-27.1.2019/ पटना / यहाँ क्लिक कीजिए



Monday 21 January 2019

खगड़िया में हिंदी भाषा साहित्य परिषद, खगड़िया द्वारा दिल्ली की साहित्यिक यात्रा से लौटे साहित्यकारों के सम्मान में कवि-गोष्ठी 20.1.2019 को सम्पन्न

नफरतों का दौर है कुछ प्यार लिखना चाहिए 


गोगरी,खगड़िया: 20:01:2019 अनुमंडल हिन्दी भाषा साहित्य परिषद, खगड़िया ने दिल्ली की साहित्यिक यात्रा से लौटे साहित्यकारों के सम्मान में कविगोष्ठी और मुशायरा का आयोजन ब्राह्मण टोला गोगरी स्थित परिषद कार्यालय की छत पर आयोजित किया जिसकी अध्यक्षता नलिनेश सिन्हा ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में राजनेता नईम अख़्तर एवम् विशिष्ट अतिथि के रूप में विजयशंकर गुप्ता, संरक्षक-कौशिकी समेत दिल्ली से लौटे सभी कवि/साहित्यकार यथा-अवधेश्वर प्रसाद सिंह, कैलाश झा किंकर, शिवकुमार सुमन, स्वराक्षी स्वरा और विनोद कुमार विक्की मंचस्थ थे।   

सफल मंच संचालन सुनील कुमार मिश्र ने किया।

दीप प्रज्वलन करके अतिथियों ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। मंचसंचालक सुनील कुमार मिश्र ने बताया कि विश्व पुस्तक मेला नई दिल्ली-2019 में हिन्दी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया द्वारा प्रकाशित और रंजन कुमार झा के द्वारा सम्पादित कविता संकलन 'काव्य-उपवन' का लोकार्पण सम्पन्न करने हिन्दी भवन, नई दिल्ली में  सम्मानित होने और अजुमन- फ़रोग़े उर्दू, दिल्ली के द्वारा आयोजित ग़ज़ल-कुम्भ, नई दिल्ली-2019 में ग़ज़ल-पाठ करके लौटे साहित्यकारों को पुष्पमाल, प्रतीक चिह्न, सम्मान पत्र और अंगवस्त्रादि से अलंकृत करके  "गोगरी सम्मान" से सम्मानित किया गया। परिषद के संयुक्त सचिव-सह- उपनिदेशक कविता कोश राहुल शिवाय बिहार से बाहर हैं। इसलिए उनका सम्मान-पत्र परिषद कार्यालय मे सुरक्षित रखा गया है। उनके गोगरी पधारने पर समारोह पूर्वक उनको गोगरी सम्मान से सम्मानित किया जाएगा ।

सरस्वती वन्दना से कविसम्मेलन-सह-मुशायरा का आग़ाज़ सरस्वती वन्दना से करते हुए ग़ज़ल कुम्भ, नई दिल्ली-2019 और हिन्दी भवन,नई दिल्ली से सारस्वत सम्मान पाकर लौटे कैलाश झा किंकर ने ग़ज़ल-गीत की सरिता बहाई-
सरस्वती रहे जहाँ, कभी न अन्धकार हो
सुगीत काव्य-चेतना सुहास का प्रसार हो 
सुमार्ग पर मिले सदा असंख्य ऋद्धि-सिद्धियाँ
सुसभ्य भारतीय के अदम्य संस्कार हो। (1)

मैं किसी का भी दुश्मन नहीं हूँ,
पर किसी का भी मैं धन नहीं हूँ
रास्ते में बिछुड़ता नहीं मैं,
छूट जाए वो दामन नहीं हूँ। (2)

खेती-पत्ती की होतै,सौंसे गाँव बगीचा
आम ,अमरुद ,केला,कटहल लागल छै शरीफा
डेहरी-डेहरी ताश खेलै,खाय छै भाँग -धथुरा
केहन हम्मर नैहरा रहै,भेलै केहन ससुरा ।

हिन्दी भवन ,नई दिल्ली में विनोद कुमार विक्की लिखित "हास्य-व्यंग्य की भेलपूरी" का लोकार्पण 11जनवरी 2019 को हुआ था।अट्टहास के अतिथि सम्पादक के रूप में "सारस्वत सम्मान "से सम्मानित होकर लौटे विनोद कुमार विक्की ने अपनी व्यंग्य क्षणिकाओं से श्रोताओं को देर तक गुदगुदाया-
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा में
मस्तक वो झुकाते हैं 
वृद्ध माँ-बाप की सेवा में
पल-पल जो झुंझलाते हैं। (1)

माता-पिता वृद्धाश्रम में
सास-ससुर की जय-जयकार 
कलियुगी श्रवण कुमार से
मचा हुआ है हाहाकार। (2)

चुनावों में बाँटते हैं
लैपटॉप और खाट 
आदमी रह गया सिम्पल
मोबाइल हुआ स्मार्ट ।

ग़ज़ल कुम्भ-2019,नई दिल्ली से लौटे परिषद् के उपाध्यक्ष अवधेश्वर प्रसाद सिंह ने गाया-
शब्दों का गुलदस्ता लाया हूँ
भरकर बोरा बस्ता लाया हुआ हूँ ।

ग़ज़ल-कुम्भ-2019 नई दिल्ली से लौटे शायर शिव कुमार सुमन ने अपनी ग़ज़लों से महफिल को गरमा दिया-
नफरतों का दौर है कुछ प्यार लिखना चाहिए 
ख़त कभी महबूब को इक बार लिखना चाहिए 
भूख ही जिसने खो दी हो रोटियों को जीत कर
उस फ़तह को यार केवल हार लिखना चाहिए ।

ग़ज़ल-कुम्भ दिल्ली से लौटी पूर्व संयुक्त सचिव, स्वराक्षी स्वरा ने अपनी ग़ज़लों में कहा-
ये कैसी अदावत दिखाई है तुमने
अदू से मोहब्बत निभाई है तुमने 
कभी थे तुम्हारी निगाहों के मरकज़
कसम क्यों मिटाने की खाई है तुमने।

इस आयोजन में सलीमनगर के शायर मो0 रिजवान खाँ अहमक  और जमाल खाँ परवाना की शायरी ने कार्यक्रम को शायराना बना दिया।
रिजवान खाँ अहमक ने अपनी ग़ज़ल में कहा-
ना कभी शिकवा करेंगे,बेवफा के वास्ते
जुल्म हम सारे सहेंगे,बेवफा के वास्ते
भूल जाएँगे पड़े छालों की हर तकलीफ को
तपती रेतों पर चलेंगे बेवफा के वास्ते।

जमाल खाँ परवाना ने ग़ज़ल सुनायी-
ताबीर मेरे ख़्वाब की उल्टी निकल गयी
हाथों में मेरे आई मछली निकल गयी
अल्लाह ऐसी चुस्ती करे सबको वो अता
आवाज तश्तरी को दी, कुल्फी निकल गयी।

इस अवसर पर विगत 20 वर्षों से कैलाश झा किंकर समेत परिषद् के तमाम कार्यकर्ताओं के साहित्यिक प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए विनोद  झा, उमेश पटेल, नरेश सिंह, मनोज कुमार झा आदि ने प्रशंसा के पुल बाँधे। पुष्पा मिश्रा की अतिथि सेवा भी अविस्मरणीय कही जा सकती है।

विकास कुमार मिश्र, नीरज कुमार, वीरेंद्र कुमार विवेक, सुधाकर पांडे, विनोद कुमार सिंह,सामाजिक कार्यकर्ता , सुभाष दास, उमेश पासवान, संतोष पासवान, खोखा यादव, बिंदा लाल राय ,कन्हैया लाल राय ,प्रधानाध्यापक, अजय मिश्र अधिवक्ता, प्रेम शंकर मिश्र, अमर प्रकाश सिंह, अनंत प्रसाद सहित दर्जनों साहित्य प्रेमी उपस्थित थे ।

खास बात यह रही कि इस आयोजन में परिषद के संरक्षक विजय शंकर गुप्ता ने हिन्दी भाषा साहित्य परिषद को पिपरा, चौथम में एक कट्ठा जमीन दान देने और गद्य सृजन के लिए हर वर्ष एक साहित्यकार को महाधिवेशन में चन्द्रावती स्वर्ण स्मृति सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा की। वहीं "इस्लाम और जिहादी आतंकवाद" पुस्तक के लेखक और नेता नईम अख़्तर ने हिन्दी भाषा साहित्य परिषद को राष्ट्रीय पहचान स्थापित करने के लिए बधाई दी और लेखन, प्रकाशन तथा आयोजन की गति और तेज करने के लिए उत्साहबर्द्धन किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डा0 सुनील कुमार मिश्रा ने पहली बार परिषद कार्यालय, ब्राह्मण टोला, गोगरी में आयोजित इस कार्यक्रम में पधारे हुए तमाम अतिथियों -कवियों और पत्रकारों के प्रति आभार प्रकट किया।
.......
आलेख-   डा0 सुनील कुमार मिश्र
छायाचित्र सौजन्य- कैलाश झा किंकर
प्रस्तुति - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com


इस आलेख के लेखक डा0 सुनील कुमार मिश्र अनुमंडल हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् गोगरी ,खगड़िया के संस्थापक सचिव हैं।
  

Sunday 20 January 2019

भारतीय युवा साहित्यकार परिषद् के तत्वावधान में आयोजित हुई कवि गोष्ठी पटना में 18.1.2019 को सम्पन्न

फ़िज़ा रौशन हो गई जैसे ही उनका नाम लिया / दर्दे-उल्फ़त में मरहम-सा ज्यूँ काम किया


साहित्यिक संस्था भारतीय युवा साहित्यकार परिषद एवं स्टेशन राजभाषा कार्यान्वयन समिति की ओर से राजेन्द्रनगर टर्मिनल स्टेशन के रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी पुस्तकालय कक्ष में "रंग-ए-महफिल" का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता मशहूर शायर सुहैल फारूकी एवं संचालन कवि सिद्धेश्वर ने किया। मुख्य अतिथि   भगवती प्रसाद द्विवेदी एवं विशिष्ट अतिथि थे उपेन्द्र प्र. राय।

रंग-ए-महफिल. को एक से बढ़कर एक गजलों से सजाया और स्मरणीय बनाने वाले नए - पुराने कवियों में प्रमुख थे-समीर परिमल, नीता सिंहा, शरद रंजनशशरद, कुंदन आनंद, सुनील कुमार, आराधना प्रसाद, मधुरेश नारायण, विश्वनाथ वर्मा और शमां कौसर शमा।

कुंदन ने हिंदुस्तान को कुछ इस तरह पहचाना-
जो मेरी पहचान कहेंगे,
मेरे तरकश बाण कहेंगे,
दर्द जहाँ है झोपड़ियों में,
उसको हिन्दुस्तान कहेंगे,

सुनील कुमार की गजल में गजब की रवानगी थी - 
फ़ुहारें चार बूंदे ही गिरे हैं
मगर मौसम में तब कितना नशा है
 फ़क़त नश्वर हरिक शय इस जहाँ में
 फ़ना को भी यहाँ होना फ़ना है.
           
कवि मधुरेश नारायण ने अपनी गजलों का सस्वर पाठ किया -
नजर से दूर ही सही पर मेरे दिल के बहुत पास हो
औरों के लिये कुछ भी सही मेरे लिये तुम खास हो
फ़िज़ा रौशन हो गई जैसे ही उनका नाम लिया
दर्दे-उल्फ़त में मरहम-सा ज्यूँ काम किया!

अध्यक्षता करते हुए चर्चित शायर सुहैल फारूकी ने अपने अंदाज में पेश किया -
अपनी खबर है मुझको ना उनकी खबर मुझे
पागल बना गई है किसी की नज़र मुझे
और कहां कहां लिए फिरता है तेरा पेयार मुझे
चला भी आ, के है मुद्दत से इंतज़ार मुझे.
.....

आलेख - मो. नसीम अख्तर
फोटो साभार -सिद्धेश्वर
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल- editorbejodindia@yahoo.com






Thursday 17 January 2019

कैलाश झा किंकर की दिल्ली डायरी भाग-4 दिनांक 12.01.2019

मेरी दिल्ली डायरी -4

12 जनवरी 2019 को मेरे जन्मदिन पर मित्रों और शुभचिंतकों की बधाइयाँ और शुभकामनाएँ मुझे आह्लादित कर रही थीं ।आज पहली बार अपने जन्मदिन पर किसी बड़े साहित्यिक कार्यक्रम में भाग लेने जा रहा हूँ।यह सुखद संयोग ग़ज़ल-कुम्भ -2019 ने लाया है।

ग़ज़ल-कुम्भ-2019 में भाग लेने के लिए अवधेश्वर प्रसाद सिंह और शिवकुमार सुमन जी के साथ ईस्ट एण्ड क्लब,दिल्ली केब की गाड़ी से ससमय पहुँच कर मैंने चारों तरफ नज़रें दौड़ाई।हर तरफ तैयारी जोरों पर थीं।कहीं भोजनादि की व्यवस्था, कहीं चाय की व्यवस्था,कहीं ठहराव की व्यवस्था तो कहीं मंच व्यवस्था में लोग लगे थे।खुशनुमा माहौल में भोजनादि के बाद ग़ज़ल-कुम्भ प्रारम्भ हुआ।एक मोटा-ताजा मोमबत्ती जलाकर अतिथियों ने  कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।अंजुमन -फ़रोग़े उर्दू ,दिल्ली के अध्यक्ष मोईन अख़्तर अंसारी,सचिव दीक्षित दनकौरी और बसंत चौधरी फाउण्डेशन ,नेपाल के निदेशक बसंत चौधरी,अशोक रावत,सलिल तिवारी ,बृजेश तरुवर,संतोष सिंह समेत लगभग दो सौ ग़ज़लकारों से मिलकर बेहद खुशी मिली।उत्तम व्यवस्थाओं के बीच ससमय ग़ज़ल-कुम्भ शुरू हुआ जो 13 जनवरी की सुबह आठ बजे तक सम्पन्न हुआ।लगभग 222 ग़ज़लकारों की ग़ज़ल सुनने का सौभाग्य एक साथ मिला।खुशी है कि टोप टेन में भी कौशिकी ग्रूप का स्थान मिला।बहन मंजुला उपाध्याय को इसके लिए बहुत बहुत बधाई।राहुल शिवाय,शिवकुमार सुमन,बाबा बैद्यनाथ झा और अवधेश्वर प्रसाद सिंह जी की प्रस्तुति भी संतोषप्रद रही।मेरी प्रस्तुति की समीक्षा तो श्रोता जानें।परन्तु अपनी बात मैंने भी कह दी,यही मेरे लिए संतोष प्रद है।

ग़ज़ल-कुम्भ-2018 में पठित ग़ज़लों का संकलन और अशोक रावत जी के ग़ज़ल संग्रह "रोशनी के ठिकाने"पुस्तक का लोकार्पण हुआ।वयोवृद्घ कवि उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम चार सत्रों में सम्पन्न हुआ।चतुर्थ सत्र में आदरणीय अवधेश्वर प्रसाद सिंह जी को संयोजक दीक्षित दनकौरी जी ने बतौर अतिथि मंच पर जगह दी।78 वर्षीय ग़ज़लकार अवधेश्वर प्रसाद सिंह रात के 02:00 बजे से सुबह 08:00 बजे तक मंचस्थ होकर सभी ग़ज़लकारों की प्रस्तुति से आनन्दित होते रहे। और मंच की गरिमा बढ़ाते रहे।

ग़ज़ल-कुम्भ प्रारंभ होने के पहले ही दीक्षित दनकौरी साहब ने हर बार की तरह घोषणा की थी-
कि हम सभी ग़ज़लकार यहाँ एक परिवार की तरह हैं।
कि सबके लिए पाँच मिनट का समय निर्धारित किया जाता है।पाँच-सात शेर की ग़ज़ल ही यहाँ पढ़ें ।
कि सीधे ग़ज़ल पढ़ें।किसी भूमिका की यहाँ ज़रूरत नहीं है।
कि आप सब की ओर से भी हम अध्यक्ष,अतिथिगण एवम् श्रोताओं का अभिनन्दन,स्वागत कर दिए।आप सिर्फ ग़ज़ल पढ़ें।

कि समय का अतिक्रमण अन्य ग़ज़लकार के लिए हिंसात्मक कार्य होगा।कोई ग़ज़ल पढ़ने में छूट गया तो मुझे अपार दुख होगा।
कि निर्धारित टी-टाईम का पालन करें।
कि भोजनादि के निर्धारित समय पर भोजन करके पुन: अपनी जगह ले लें।
कि जब कोई ग़ज़लकार अपनी प्रस्तुति दे रहा हो तो ध्यान पूर्वक सुनें और उत्साह-बर्द्धन करें
कि यह कार्यक्रम हम सभी का है।आप सब इसका हिस्सा हैं।ग़ज़लकार से ही ग़ज़ल-कुम्भ होता है शान्तिपूर्वक इसे अंजाम तक पहुँचने में सहयोग करें।

खुशी है कि अधिकांश शायरों ने दनकौरी साहब के निर्देशों का पालन भी किया ।अन्तत: सभी ग़ज़लकारों को अपनी -अपनी प्रस्तुति का मौका भी मिल गया।सभी शायरों को प्रतीक चिह्न के साथ-साथ लगभग 2100/- रूपये मूल्य की किताबों से भरा हुआ झोला भेंट की गयी।
दीक्षित दनकौरी जी के एक शेर से आज की डायरी का समापन करना चाहता हूँ-
            पसारूँ हाथ क्यों आगे किसी के
            तरीके और भी हैं खुदकुशी के ।।

Monday 14 January 2019

लेख्य-मंजूषा की मासिक गोष्ठी 13.1.2018 को पटना में संपन्न





नया वर्ष, नयी उमंगों के साथ ठंड और जाड़े की धूप के बीच साहित्य और समाज को समर्पित और पंजीकृत संस्था "लेख्य-मंजूषा" की मासिक गोष्ठी सह काव्यपाठ का आयोजन दिनांक 13/01/2019 को अपराह्न 2 से 6 बजे संध्या तक श्री हरि-राधा अपार्टमेंट, बोरिंग रोड पटना में किया गया।

जहां "मंच की अध्यक्षता" कृष्णा सिंह,  डॉ. कल्याणी कुसुम सिंह तथा विश्वनाथ वर्मा ने की तो विशिष्ट अतिथि के रूप में निलांशु रंजन मौजूद रहे। वहीं संस्था की अध्यक्ष  विभा रानी श्रीवास्तव की अनुपस्थिति एवं अनुमति से गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था के उपाध्यक्ष श्री संजय कुमार संज ने की।

संजय ने कहा कि "दो वर्ष पूर्व 4 दिसम्बर 2016 को संस्था की औपचारिक स्थापना हुई थी और ठीक दो वर्ष के पश्चात 10 दिसम्बर 2018 को संस्था का पंजीयन भी हो गया जो समूह के लिए गौरव की बात है और इसका मुख्य श्रेय समूह की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव जी का है जो आज इस मौके पर अपरिहार्य कारणों से उपस्थित तो नहीं हो पाई हैं परन्तु अपना आशीर्वाद प्रेषित किया है।"

संस्था के द्वारा पिछले दिनों एक पद्य प्रतियोगिता आयोजित की गई थी जिसमें निलांशु रंजन जी भी एक निर्णायक थे और इन्होंनें सभी रचनाओं को बहुत बारीक़ी से परखा और सटीक समीक्षा की।

नववर्ष और संस्था के हालिया पंजीकरण की दोहरी खुशी के बीच मासिक गोष्ठी सह काव्यपाठ का आयोजन बेहद आनंदमय रहा। सभी मंचासीन अतिथियों ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने उच्चारण, व्याकरण एवं प्रस्तुतिकरण के तरीके इत्यादि पर ध्यानाकर्षित किया। संस्था के नए सदस्यों ने भी अपनी प्रस्तुति दी। सदस्यों द्वारा ( प्रवासी) अस्थानीय सदस्यों की रचना भी पढ़ी गई। सभी सदस्यों ने एक से बढ़ कर एक कविता, ग़ज़ल, शेरों- शायरी से खूबसूरत समां बांधा। तालियों और वाह-वाह से महफ़िल गूंजती रही।

सदस्यों की प्रस्तुति इस प्रकार रही;

कार्यक्रम के शुरुआत में सुबोध कुमार सिन्हा ने मां को समर्पित कविता प्रस्तुत किया -
गुँथे आटे की नर्म-नर्म लोइयाँ जब-जब,
हथेलियों के बीच हो गोलियाती।

प्रेम का प्रतीक हमसे, तुम क्या पूछते रहते हो
जब की हर जुबां से, राधे-कृष्ण तुम जपते रहते हो
- सुशांत सिंह ने अपनी रचना पढ़ी।

अमृता सिन्हा ने नारी पर केंद्रित एक अच्छी रचना सुनाई कि
"आख़िर कब तक देते रहें हम
तुम्हारे सवालों के जवाब"

वीणाश्री हेम्ब्रम ने जिन्दगी की सच्चाई पर आधारित एक बेहतरीन कविता सुनाई कि
"ये जो ज़िन्दगी है बस ऐसी ही है, न किसी के आने से चलती है
न किसी के जाने से रुकती है, ये कटती है और बस कटती है।"

प्रेम और गंभीर कविताओं के बीच मधुरेश नारायण  ने एक बेहतरीन और भावुक गीत गाया तो सभी उसमें खो गये -
"हसरत भरी निगाहें उठती है बार-बार
कब से कर रहा है दिल तेरा इंतज़ार ।"

सुनील कुमार  ने महफ़िल लूटने वाली एक उम्दा ग़ज़ल तरन्नुम में प्रस्तुत की जिसके लिए मंच से दाद मिली -
ख़ुशी की चाह में हमने लिखी कई नज्में
मगर वो गीत मुहब्बत के गात नहीं पाए 
.
ग़ज़ल के दौर में मो॰ नसीम अख्तर  ने भी एक बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति दी और मंच से बेहतरीन मकता के लिए दाद भी मिला

वो आ जाएँगे राह पर आते-आते
करेंगे करम वो सितम ढाते_ढाते 
ग़ज़ब का अंधेरा अभी तक "अख्तर "
सहर हो गई दिल जलाते-जलाते।

शाईस्ता अंजुम ने अपनी प्रस्तुति दी -
वक्त गुजर गया, दूरियां बढती गई
जिन्दगी की शाम यूं ही ढलती गई

सीमा रानी ने एक भावनात्मक कविता पढी -
मैनें देखा है कुछ मासूमों को कचरा बिनते हुए।     
     
प्रभास ने कविता के माध्यम से जीवन के भटकाव को दर्शाया -
निकले थे कहीं और पहुँचे हैं कहीं,
मंज़िलों के सफ़र में हर रास्ते पर भटकना याद आता है।

बनना था मुझे भी अमृता ...
थी मुहब्बत मुझे भी साहिर से ...
इन पंक्तियों से के माध्यम से ज्योति मिश्रा ने अमृता प्रीतम  को यह कविता समर्पित की।

मीरा प्रकाश ने जिंदगी के रंगों को दर्शाती अपनी कविता का पाठ किया कि
ये जिंदगी है जनाब, कई रंग दिखाएगी।
कभी रुलाएगी, कभी हंसाएगी ।

कैंसर को मात देने वाली और मजबूत इरादों वाली रचनाकार महिमा श्री ने अपनी प्रस्तुति दी.-

इसके अतिरिक्त संस्था के प्रवासी सदस्यों अर्थात पटना से बाहर रहने वाले सदस्यों अंकिता कुलश्रेष्ठ,राजेन्द्र पुरोहित ,मीनू झा,कमला अग्रवाल ,शशि शर्मा खुशी एवं कल्पना भट्ट का पाठ भी यहां उपस्थित सदस्यों के द्वारा करवाया गया और उसका वीडियो भी बनाया गया, जो सभी सदस्यों की समानता और महत्व को दर्शाता है।

और अंत में संजय कुमार 'संज' ने अपनी एक नई और साम्यवादी कविता, 'दगा' प्रस्तुत किया कि
"रास्ता जिसे बनाने में लगे थे ऐसे ही,
न जाने कितने हाड़ मांस के टुकड़े"

सभी अतिथि कवियों ने भी अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया और सभी को अपनी शुभकामनाएं भी दीं।अतिथि में श्रीमती कृष्णा सिंह जी ने सामाजिक विषय पर आधारित एक बेहतरीन कविता सुनाई। कल्याणी कुसुम ने भी अपनी रचना सुनाई।
.
हास्यावतार नाम से प्रसिद्ध  विश्वनाथ वर्मा  ने बहुत हंसाया और माहौल को गुदगुदी से भर दिया।

मुख्य अतिथि  निलांशु रंजन  ने मुहब्बत की एक बेहतरीन  नज़्म पेश किया

कार्यक्रम का बेहतरीन मंच संचालन मो. नसीम अख़्तर ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन वीणाश्री हेम्ब्रम ने किया और इस तरह एक खुशनुमा गोष्ठी सह काव्यपाठ सम्पन्न हुआ।
.....
आलेख-  संजय कुमार संज / मो. नसीम अख्तर 
छायाचित्र- लेख्य मंजूषा
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com









Thursday 10 January 2019

राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच और साहित्य परिक्रमा के संयुक्त तत्वावधान में एक काव्य गोष्ठी 9.1.2019 को पटना में संपन्न



लोगों को राह दिखाने में वरिष्ठ नागरिकों की अहम भूमिका होती है. अतः उनकी आवाज को बुलंद रखने हेतु राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक मंच, पटना अपना साहित्यिक प्रयास जारी रखता है.

राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच और साहित्य परिक्रमा के संयुक्त तत्वावधान में एक काव्य गोष्ठी कविवर भगवती प्रसाद द्विवेदी जी के सम्मान में श्री मधुरेश नारायण जी के कंकड़बाग, पटना स्थित आवास पर आयोजित की गई.

गोष्ठी की अध्यक्षता श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी जी ने की तथा संचालन युवा शायर श्री मो. नसीम अख़्तर ने किया.
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि और साहित्यकार श्री जितेन्द्र राठौर, भगवती प्रसाद द्विवेदी,अरुण शाद्वल, विश्वनाथ वर्मा, मधुरेश नारायण, हरेन्द्र सिन्हा,डा.एम.के.मधु, मो. नसीम अख़्तर, प्रभात कुमार धवन, कवि सिद्धेश्वर,मनोज उपाध्याय,शशि कान्त श्रीवास्तव, कवि घनश्याम और कवयित्री उषा नरुला ने विभिन्न विषयों पर अपनी कविताओं का रसास्वादन कराया..

उपस्थित तमाम कवियों ने बाल साहित्य में उत्कृष्ट लेखन के लिए मध्य प्रदेश शोध संस्थान, इंदौर में श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी को " लाइफ टाइम एचीवमेंट सम्मान" के लिए चयनित किए जाने पर प्रसन्नता जाहिर की और उन्हें बधाई दी.

इस कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिकों को मिलजुलकर सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य करने पर भी बल दिया गया.
.....
आलेख- मो. नसीम अख्तर 
छायाचित्र - साहित्य परिक्रमा
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com


Sunday 6 January 2019

'संयम' द्वारा आयोजित ललित कला अकादमी, पटना में कलाकृतियों की प्रदर्शनी जारी है

ज्यामितीय प्रतीकात्मक चित्रों ने मोहा सबका दिल 

For report in English - Click here



'संयम' की ओर से ललित कला अकादमी, पटना की कला दीर्घा में समकालीन कलाकारों की कलाकृतियों की समूह प्रदर्शनी लगाई गई है। 5 जनवरी को प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार अंजनी कुमार सिंह और ए. एन. काॅलेज की उप प्राचार्या प्रो. पूर्णिमा शेखर सिंह ने किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि बिहार संग्रहालय के निदेशक मो. यूसुफ, प्रो. श्याम शर्मा , मो. नसीम अख्तर उपस्थित थे। भारी संख्या में पटना के कला प्रेमी और दर्शक भी देखे गए।

 सुधीर कुमार पंडित की कृतियां भक्तिमय आनंद की अभिव्यक्ति कर रही हैं तो सत्या सार्थ की कृति ज्यामितीय प्रतीकात्मक स्वरुप सुकून दे रहा है।अन्य कलाकारों में अनीता,निशी सिंह ,सुनील कुमार ,रंजीत कृष्ण ,स्मिता पराशर ,संगीता ,रामू कुमार एवं दिनेश कुमार की लगभग 150 कलाकृतियां प्रदर्शित की गई है। 9 जनवरी तक प्रदर्शनी दर्शकों के लिए खुली रहेगी।
....
आलेख-  मो. नसीम अख्तर
छायाचित्र  सौजन्य  -  मो. नसीम अख्तर
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com









Saturday 5 January 2019

दृष्टिहीनों के मसीहा रॉबर्ट लुईस ब्रेल की 210वीं जयन्ती समारोह का आयोजन 4.1.2019 को पटना में संपन्न

दिल्ली से आयी दृष्टिबाधित छात्राओं ने प्रस्तुत की सरस्वती वन्दना



आज दिनांक 4 जनवरी 2019 को दृष्टिहीनों के सम्राट रॉबर्ट लुई ब्रेल की 210वीं जयंती समारोह का आयोजन ज्वाइंट आर्गेनाईजेशन (ब्रेल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड ट्रेनिंग (बीआईआरटी) पटना, राष्ट्रीय दृष्टिहीन युवा संघ शाखा, दरभंगा, बिहार एवं सारण प्रमंडलीय नेत्रहीन संघ, छपरा) के द्वारा बी. एन. कॉलेज सभागार, पटना में किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य के विशिष्ठ प्रतिनिधियों ने दीप प्रज्वलन  तथा रॉबर्ट लुई ब्रेल की तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया जिनमें बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, विधायक श्याम रजक, विधायक संजीव चौरसिया, समाज कल्याण विभाग निशक्तता के आयुक्त  डॉ. शिवाजी,  नेता चन्देश्वर कु. चंद्रवंशी, हड्डी एवं पोलियो विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार,  भोजपुरी अभिनेता और नेता अमित कुमार मंगल शामिल हुए। साथ ही प्रमुख लोगों में  शोभित कुमार यादव, राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय दृष्टिहीन युवा संघ, दिल्ली, डॉ. राजकिशोर प्रसाद, प्राचार्य, बी. एन. कॉलेज, पटना, विजय कुमार भास्कर, अध्यक्ष (बीआईआरटी) उपस्थित थे।

इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से आये दिव्य अंगों वाले विशेष व्यक्तियों (दृष्टिबाधित) ने सर लुई ब्रेल की जीवनी पर चर्चा की साथ ही दृष्टिहीनों की समस्या पर सरकार का ध्यानाकृष्ट किया। 

दिल्ली से आयी दृष्टिबाधित छात्राओं ने सरस्वती वन्दना की और अन्तरज्योति विद्यालय, पटना की छात्राओं ने स्वागत गान से सभी अतिथियों का स्वागत किया। मंच संचालन  वीणाश्री हेम्ब्रम, उपाध्यक्ष ((बीआईआरटी) ने किया ।
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आलेख - वीणाश्री 
छायाचित्र सौजन्य - बीआइआरटी
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Wednesday 2 January 2019

चित्रकार और शायरा परवीन शेर के सम्मान में बिहार उर्दू अकादमी द्वारा 19.12.2018 को पटना में आयोजित सम्मान समारोह संपन्न



कुछ दिनों पहले उर्दू डायरेक्टरेट, बिहार सरकार की ओर से मोहतरमा परवीन  शेर साहिबा के सम्मान में एक बहुत ही शानदार कार्यक्रम का आयोजन बिहार उर्दू अकादमी में किया गया। एक बेहतरीन मुशायरा हुआ और उनके नज़्म संग्रह "बेकरानियाँ" का लोकार्पण किया गया,उन्हें एक प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया। 

मोहतरमा परवीन शेर साहिबा ने बताया की वो कनाडा में रहती थीं पर अब बच्चों के पास अमेरिका में आकर रह रहीं हैं, ये उर्दू और अंग्रेजी की मशहूर शायरा हैं, उनकी कई किताबें छप चुकी हैं और दुनिया के 42 देशों में इनकी पेंटिंग की प्रदर्शनी लग चुकी है। गीत - संगीत की दुनिया में भी जानी जाती हैं। उन्होंने यह भी बताया की इन सब से इन्हें जो लाखों डॉलर की आमदनी होती है उस रक़म को ये यूनीसेफ में गरीब बच्चों के उत्थान के लिए दान कर देती हैं और उनसे यह जानकार और भी ख़ुशी हुई कि ये ये पटना, बिहार की हैं।

इस खास मौके पर उर्दू  विभाग के सचिव जनाब इम्तियाज अहमद करीमी, जनाब एजाज़ अली अरशद, जनाब शफी मशहदी ,अलीमुल्लाह हाली के अलावा मशहूर शायर मो. नसीम अख्तर ,निकहत आरा, शमा कौसर, मासूमा खातून इत्यादि मौजूद थे।
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आलेख - मो. नसीम अख्तर
छायाचित्र सौजन्य - मो. नसीम अख्तर 
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