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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Monday, 21 January 2019

खगड़िया में हिंदी भाषा साहित्य परिषद, खगड़िया द्वारा दिल्ली की साहित्यिक यात्रा से लौटे साहित्यकारों के सम्मान में कवि-गोष्ठी 20.1.2019 को सम्पन्न

नफरतों का दौर है कुछ प्यार लिखना चाहिए 


गोगरी,खगड़िया: 20:01:2019 अनुमंडल हिन्दी भाषा साहित्य परिषद, खगड़िया ने दिल्ली की साहित्यिक यात्रा से लौटे साहित्यकारों के सम्मान में कविगोष्ठी और मुशायरा का आयोजन ब्राह्मण टोला गोगरी स्थित परिषद कार्यालय की छत पर आयोजित किया जिसकी अध्यक्षता नलिनेश सिन्हा ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में राजनेता नईम अख़्तर एवम् विशिष्ट अतिथि के रूप में विजयशंकर गुप्ता, संरक्षक-कौशिकी समेत दिल्ली से लौटे सभी कवि/साहित्यकार यथा-अवधेश्वर प्रसाद सिंह, कैलाश झा किंकर, शिवकुमार सुमन, स्वराक्षी स्वरा और विनोद कुमार विक्की मंचस्थ थे।   

सफल मंच संचालन सुनील कुमार मिश्र ने किया।

दीप प्रज्वलन करके अतिथियों ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। मंचसंचालक सुनील कुमार मिश्र ने बताया कि विश्व पुस्तक मेला नई दिल्ली-2019 में हिन्दी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया द्वारा प्रकाशित और रंजन कुमार झा के द्वारा सम्पादित कविता संकलन 'काव्य-उपवन' का लोकार्पण सम्पन्न करने हिन्दी भवन, नई दिल्ली में  सम्मानित होने और अजुमन- फ़रोग़े उर्दू, दिल्ली के द्वारा आयोजित ग़ज़ल-कुम्भ, नई दिल्ली-2019 में ग़ज़ल-पाठ करके लौटे साहित्यकारों को पुष्पमाल, प्रतीक चिह्न, सम्मान पत्र और अंगवस्त्रादि से अलंकृत करके  "गोगरी सम्मान" से सम्मानित किया गया। परिषद के संयुक्त सचिव-सह- उपनिदेशक कविता कोश राहुल शिवाय बिहार से बाहर हैं। इसलिए उनका सम्मान-पत्र परिषद कार्यालय मे सुरक्षित रखा गया है। उनके गोगरी पधारने पर समारोह पूर्वक उनको गोगरी सम्मान से सम्मानित किया जाएगा ।

सरस्वती वन्दना से कविसम्मेलन-सह-मुशायरा का आग़ाज़ सरस्वती वन्दना से करते हुए ग़ज़ल कुम्भ, नई दिल्ली-2019 और हिन्दी भवन,नई दिल्ली से सारस्वत सम्मान पाकर लौटे कैलाश झा किंकर ने ग़ज़ल-गीत की सरिता बहाई-
सरस्वती रहे जहाँ, कभी न अन्धकार हो
सुगीत काव्य-चेतना सुहास का प्रसार हो 
सुमार्ग पर मिले सदा असंख्य ऋद्धि-सिद्धियाँ
सुसभ्य भारतीय के अदम्य संस्कार हो। (1)

मैं किसी का भी दुश्मन नहीं हूँ,
पर किसी का भी मैं धन नहीं हूँ
रास्ते में बिछुड़ता नहीं मैं,
छूट जाए वो दामन नहीं हूँ। (2)

खेती-पत्ती की होतै,सौंसे गाँव बगीचा
आम ,अमरुद ,केला,कटहल लागल छै शरीफा
डेहरी-डेहरी ताश खेलै,खाय छै भाँग -धथुरा
केहन हम्मर नैहरा रहै,भेलै केहन ससुरा ।

हिन्दी भवन ,नई दिल्ली में विनोद कुमार विक्की लिखित "हास्य-व्यंग्य की भेलपूरी" का लोकार्पण 11जनवरी 2019 को हुआ था।अट्टहास के अतिथि सम्पादक के रूप में "सारस्वत सम्मान "से सम्मानित होकर लौटे विनोद कुमार विक्की ने अपनी व्यंग्य क्षणिकाओं से श्रोताओं को देर तक गुदगुदाया-
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा में
मस्तक वो झुकाते हैं 
वृद्ध माँ-बाप की सेवा में
पल-पल जो झुंझलाते हैं। (1)

माता-पिता वृद्धाश्रम में
सास-ससुर की जय-जयकार 
कलियुगी श्रवण कुमार से
मचा हुआ है हाहाकार। (2)

चुनावों में बाँटते हैं
लैपटॉप और खाट 
आदमी रह गया सिम्पल
मोबाइल हुआ स्मार्ट ।

ग़ज़ल कुम्भ-2019,नई दिल्ली से लौटे परिषद् के उपाध्यक्ष अवधेश्वर प्रसाद सिंह ने गाया-
शब्दों का गुलदस्ता लाया हूँ
भरकर बोरा बस्ता लाया हुआ हूँ ।

ग़ज़ल-कुम्भ-2019 नई दिल्ली से लौटे शायर शिव कुमार सुमन ने अपनी ग़ज़लों से महफिल को गरमा दिया-
नफरतों का दौर है कुछ प्यार लिखना चाहिए 
ख़त कभी महबूब को इक बार लिखना चाहिए 
भूख ही जिसने खो दी हो रोटियों को जीत कर
उस फ़तह को यार केवल हार लिखना चाहिए ।

ग़ज़ल-कुम्भ दिल्ली से लौटी पूर्व संयुक्त सचिव, स्वराक्षी स्वरा ने अपनी ग़ज़लों में कहा-
ये कैसी अदावत दिखाई है तुमने
अदू से मोहब्बत निभाई है तुमने 
कभी थे तुम्हारी निगाहों के मरकज़
कसम क्यों मिटाने की खाई है तुमने।

इस आयोजन में सलीमनगर के शायर मो0 रिजवान खाँ अहमक  और जमाल खाँ परवाना की शायरी ने कार्यक्रम को शायराना बना दिया।
रिजवान खाँ अहमक ने अपनी ग़ज़ल में कहा-
ना कभी शिकवा करेंगे,बेवफा के वास्ते
जुल्म हम सारे सहेंगे,बेवफा के वास्ते
भूल जाएँगे पड़े छालों की हर तकलीफ को
तपती रेतों पर चलेंगे बेवफा के वास्ते।

जमाल खाँ परवाना ने ग़ज़ल सुनायी-
ताबीर मेरे ख़्वाब की उल्टी निकल गयी
हाथों में मेरे आई मछली निकल गयी
अल्लाह ऐसी चुस्ती करे सबको वो अता
आवाज तश्तरी को दी, कुल्फी निकल गयी।

इस अवसर पर विगत 20 वर्षों से कैलाश झा किंकर समेत परिषद् के तमाम कार्यकर्ताओं के साहित्यिक प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए विनोद  झा, उमेश पटेल, नरेश सिंह, मनोज कुमार झा आदि ने प्रशंसा के पुल बाँधे। पुष्पा मिश्रा की अतिथि सेवा भी अविस्मरणीय कही जा सकती है।

विकास कुमार मिश्र, नीरज कुमार, वीरेंद्र कुमार विवेक, सुधाकर पांडे, विनोद कुमार सिंह,सामाजिक कार्यकर्ता , सुभाष दास, उमेश पासवान, संतोष पासवान, खोखा यादव, बिंदा लाल राय ,कन्हैया लाल राय ,प्रधानाध्यापक, अजय मिश्र अधिवक्ता, प्रेम शंकर मिश्र, अमर प्रकाश सिंह, अनंत प्रसाद सहित दर्जनों साहित्य प्रेमी उपस्थित थे ।

खास बात यह रही कि इस आयोजन में परिषद के संरक्षक विजय शंकर गुप्ता ने हिन्दी भाषा साहित्य परिषद को पिपरा, चौथम में एक कट्ठा जमीन दान देने और गद्य सृजन के लिए हर वर्ष एक साहित्यकार को महाधिवेशन में चन्द्रावती स्वर्ण स्मृति सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा की। वहीं "इस्लाम और जिहादी आतंकवाद" पुस्तक के लेखक और नेता नईम अख़्तर ने हिन्दी भाषा साहित्य परिषद को राष्ट्रीय पहचान स्थापित करने के लिए बधाई दी और लेखन, प्रकाशन तथा आयोजन की गति और तेज करने के लिए उत्साहबर्द्धन किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डा0 सुनील कुमार मिश्रा ने पहली बार परिषद कार्यालय, ब्राह्मण टोला, गोगरी में आयोजित इस कार्यक्रम में पधारे हुए तमाम अतिथियों -कवियों और पत्रकारों के प्रति आभार प्रकट किया।
.......
आलेख-   डा0 सुनील कुमार मिश्र
छायाचित्र सौजन्य- कैलाश झा किंकर
प्रस्तुति - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com


इस आलेख के लेखक डा0 सुनील कुमार मिश्र अनुमंडल हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् गोगरी ,खगड़िया के संस्थापक सचिव हैं।
  

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