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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Wednesday, 13 September 2017

अस्मुरारी नंदन मिश्र की हिन्दी कविता अंग्रेजी काव्यानुवाद के साथ (Poem of Asmurari Nandan Mishra with poetic English translation)

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मत जाने की बात करो! (गीत-1) /  Please, please don't go (song-1)
अस्मुरारी नंदन मिश्र की कविता with poetic English translation



यहाँ मिलन का मौसम कम है
मत जाने की बात करो!
To meet, chances are low
Please, please don't go

पल्लव, पुष्प, पराग, ये परिमल
नहीं किसी की राह तकेंगे
मादक सुरभित पवन के झोंके
किसी लहर पर नहीं रुकेंगे
लहरें हैं उल्लास नदी का
लहराने की बात करो!
Twigs, flowers, petals, aura and pollen 
Would never, never wait for anyone again
 The gust of air and spirituous fragrance
Would never stop for any ripple, hence
The waves are the joy of the river
Come with me and billow

पूछो नभ में चांद खिला है-
‘तुम हो वैसे, जैसे कल थे?
अगणित तारे, मित्र तुम्हारे
कितने टूटे जो झिलमिल थे?’
चांद कहेगा- अरे! न तुम भी
तड़पाने की बात करो!
Ask the moon risen in the sky 
You are still fresh, eons gone by
Myriads of stars were your friend
Oh! all the shimmering ones had to end
Though if asked,the moon would say
Don't agonize me with my memory show

पंथ तुम्हारा, पंथ हमारा
अलग-अलग ये हो जाएंगे
खबर न तुमको, खबर न हमको
फिर कब दोनों मिल पाएंगे
उलझे हैं पथ अभी-अभी, नहीं
सुलझाने की बात करो!
This is your or mine path
It's not long when it goes apart
Neither you nor me are aware
When they meet, chances are rare
Very recently we have drifted
Sit together, say to differences, 'No'

सब कहते-' संसार स्वप्न है
नींद गयी और टूट गया।'
इस सपने का स्वप्न मिलन है
पल साथ रहा फिर छूट गया।
कच्ची नींद का स्वप्न सही
सज जाने की बात करो!
All say - 'The world is a dream'
It's broken with sleep, they scream
Dream of dreamy world is union
For a little time, we are companion
Cherish it to the core of your heart 
Even if it's too fragile, we know. 
.................


कविता -1

दूब, अक्षत, गंध, पुष्प
उन्होंने सब को हवि किया
कि मिले मृत्यु बाद भी

दी बलि
बनाया देवालय
तोड़े नाते
लिया संन्यास
अपने जानते किये अच्छे-अच्छे काम

उन्हें जाना था परलोक
वे परलोक सुधार रहे थे।


मैंने उगायी दूब, बचाया अन्न
रखा पानी साफ
बीने काँटे, निकाला रास्ता,
किया प्रेम,बनाया घर
पशु-पक्षी सबसे मिलकर बसाया परिवार

मैं जानता हूँ
खत्म होने के बाद भी रह जाऊंगा
इन्हीं मिट्टी, हवा, आकाश में
मुझे भी अपना लोक संवारना है।
.......................


                           
गीत-2

आज एकाकी क्षणों में
प्राण! लिख दूं नाम तेरा

बांधकर पलकें पलक से
बेझिझक तुमको निहारूं
हाथ में ले हाथ तेरे
हाथ की रेखा संवारूं
आंख में तस्वीर रच लूं
सोच में तुमको विचारूं
वार दूं तेरे अधर पर
गीत जो मन में उकेरा!

सिहर मन के तार बोले
नयन होकर चार बोले
बीन सुमधुर बज उठी है
बीन की गुंजार बोले-
प्यार कर ले!, प्यार पाले
इस फिजां में प्यार बो ले!
प्यार की अलकों में संध्या
और पलकों पर सवेरा

इन लटों की उलझनों को
प्रेम से मैं को खोल दूं
लाओ अधर को पास में
अब मौन से कुछ बोल दूं
शब्दों के परे गीतिके!
निज भावनाएँ तोल दूं
मोल दूं पुलकित छुअन का
रंग का, बनकर चितेरा

वक्त की अनवरत टिकटिक
कान को दस्तक सुनाये
मिल सको तो अभी मिल लो
फिर समय आये, न आये
क्या पता चिड़ियाँ न चहके
क्या पता भंवरा न गाये
रात का विरही न पाये
मेल का मधुमय सवेरा.
................


गीत-3

जो एक शब्द बोल दो
असंख्य गीत वार दूं
मैं तुम्हारे होठ पर
भाव निज उतार दूं

बोल था सुना कभी
मनस मयूर नच उठा
भाव थे मुखर हुए
अनेक गीत रच उठा
सजग श्रवण रहे खड़े
फिर मिले तो बांध लूं
शब्द रह गये सहम
सुरूप कैसे साध लूं

आज फिर से ज्वार वह
सजा के अपने तार वह
बढ़ा अतुल्य वेग से
चांद को दुलार लूं

कूक हूक से भरी
थी गूंजती बहार में
पी की सुध संवर गयी
‘पी कहां' पुकार में
गीत गा रही मिली
नदी की तेज धार भी
सुना रही थी निज कथा
मेघ की फुहार भी

गा चुका अली भी जब
खिल चुकी कली भी जब
लगा कि लेके साथ सब
तुम्हीं को मैं पुकार लूं

जिंदगी की राह जो
संवारती रही सदा
दीवार की वही घड़ी
पुकारती रही सदा
किंतु गा सका न मैं
सजा के उसके बोल को
निभा सका नहीं कभी
उससे मेलजोल को

निहारता रहा तुझे
पुकारता रहा तुझे
एक स्वर मिले तेरा
तो जिंदगी सुधार लूं।
...........
मूल हिंदी कविताओं के रचयिता- अस्मुरारी नंदन मिश्र
Poet of original Hindi poems- Asmurari Nandan Mishra
E-mail of Sri Asmurari Nandan Mishra- asmuraribhu@gmail.com
Poetic English translation of the first poem made by - Hemant Das 'Him'
You may send your responses also to the blogger at hemantdas_2001@yahoo.com

कवि-परिचय: अस्मुरारी नंदन मिश्र छंदों पर पकड़ रखनेवाले किन्तु अत्यन्त गंभीर युवा कवि हैं. इनका वैचारिक पटल उदात्त है और वामपंथ के प्रति इनका झुकाव है. इनकी कविताओं में विशुद्ध तत्सम शब्दावलियों की छटा अपने पूरे निखार के साथ अभिव्यक्त होती है.समसामयिक मुद्दों पर इनका  वक्तव्य सोशल मीडिया पर बड़े गौर से पढ़ा जाता है. इन्हें पिछले वर्ष जयपुर की संस्था द्वारा दीपक अरोड़ा पाण्डुलिपि पुरस्कार प्राप्त हुआ था और उसी योजना के तहत उनकी काव्य पुस्तक 'चांदमारी समय' प्रकाशित हुआ है. वर्तमान में ये  केंद्रीय विद्यालय में कार्यरत हैं. इनसे हिंदी साहित्य को बहुत आशाएं हैं.   

Introduction of the poet- Asmurari Nandan is a very serious young poet, who is having a good hold over the contemporary trends of verses. His ideological level is very sublime and inclined towards the left. In his poems, Hindi emancipates in its purest form with full blossom. His statement on contemporary issues over social media are read keenly by a large section of people . He has received the Deepak Arora Manuscript Award last year by an institution of Jaipur and under their scheme, his poem book, 'Chandmari Samay' has been published. At present, he is working in the Central School. Hindi literature looks towards this highly potential writer with a great hope.













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