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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Saturday, 9 September 2017

प्रेरणा (जासामो) द्वारा नाटक 'हे राम' का 8.9.2017 को पटना में सफल मंचन संपन्न / राजन कुमार सिंह की रिपोर्ट

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"भगत सिंह और महात्मा गांधी अगर आज होते"
मंचित नाटक की संक्षिप्त रिपोर्ट 


स्थानीय कालिदास रंगालय में प्रेरणा (जासामो) पटना द्वारा गौरी लंकेश की निर्मम हत्या के खिलाफ सांस्कृतिक प्रतिरोध को समर्पित नाटक "हे राम" का मंचन किया गया। इस नाटक का लेखन एवं निर्देशन हसन इमाम ने किया।

यथार्थ एवं स्वप्न वास्तविकता एवं आकांक्षा का अंतर्द्वंद है नाटक हे राम। नाटक की कथावस्तु बुनियादी तंत्र की संरचना है। समकालीन राजनीतिक विसंगतियों से वैचारिक एवं भौतिक मुठभेड़ के बीच कथावस्तु जन्म लेती है। पूरा घटनाक्रम 'सपनू' नामक एक नौजवान के सपने में घटित हो रहा है। नाटक की शुरुआत ही अदालत में भगत सिंह और सरकारी वकील के बीच तीखी बहस से शुरू होती है। आजादी के सपनों और मूल्यों पर हो रहे हमलों के खिलाफ भगत सिंह बारी-बारी से सहजानंद के किसान पिता द्वारा की गई आत्महत्या, हरिचरण पर हुए अत्याचार और हामिद के भाई अशफाक के कत्ल का मामला अदालत उठाते रहे। इन वारदातों के हवाले वे नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों एवं आजादी के सपनों और मूल्यों पर हो रहे हमलों की विस्तार से चर्चा करते हुए अदालत में न्याय की अपील करते हैं। 

सरकारी वकील अपना बचाव पक्ष रखता है और वारदातों का चश्मदीद गवाह अदालत में पेश नहीं किए जाने के आधार पर केस को डिसमिस करने की अपील करता है। भगतसिंह पीड़ितों को दर्शक दीर्घा में मौजूद कवि, रंगकर्मी,समाजिक कार्यकर्ता का नाम बतौर चश्मदीद गवाह रखते हैं लेकिन सब नाम खारिज कर दिया जाता है। अचानक से बापू अदालत में गवाही देने आते हैं ।बापू अपनी गवाही में भगत सिंह द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों के पक्ष में दलील देते हैं। अंततः अदालत यह फैसला सुनाता है कि देश जब महाशक्ति बनने जा रहा है, जब हर जगह भारत का डंका बज रहा है,ऐसे समय में पीड़ितों से सांठगांठ कर भगत सिंह ने जो मुकदमा दायर किया उससे राष्ट्र की छवि धूमिल हुई है । राष्ट्र की गरिमा और छवि को धूमिल करने के आरोप में भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई जाती है एवं गवाही से लौट रहे बापू को गोली मार दी जाती है। 'सपनू' का सपना टूट जाता है।

मंच पर भाग लेने वाले कलाकारों में हसन इमाम, अमरेंद्र कुमार ,दीपक कुमार ,निखिल कुमार सुमन, राहुल कुमार ओझा, पवन कुमार ,संदेश कुमार, सत्यम पराशर, मृत्युंजय कुमार , जीशान फजल, कुणाल सिकंद, अरमान सिन्हा, रत्नेश पांडे, रौनित नयन, गंगाधर तंतुबाई थे।

मंच परे कलाकारों में वस्त्र विन्यास-परवेज अख्तर, गीत-हसन इमाम, संगीत मंडली-हारमोनियम-मोहम्मद जानी,ढोलक-सुधांशु आनंद,रूप सज्जा-आकाश कुमार, प्रकाश परिकल्पना-हीरालाल राय एवं रोशन कुमार।
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इस रिपोर्ट  के लेखक - राजन कुमार सिंह 
राजन कुमार सिंह का लिंक- https://www.facebook.com/raajdev.9507271010
छायाकार - संजय कुमार कुन्दन 
(राजन कुमार सिंह, बिहार के जाने-माने रंग-निर्देशक, अभिनेता, रंगकर्म के संघठनकर्ता और सांस्कृतिक गतिविधियों के विशेषज्ञ लेखक हैं. 
संजय कुमार कुंदन राष्ट्रीय स्तर के विख्यात गंभीर शायर हैं और इनकी चार पुस्तकें आ चुकी हैं. 






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