**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Monday 28 August 2017

मनु कॉग्नीटो पब्लीशर्स द्वारा 26.8.2017 को पटना में आयोजित कवि गोष्ठी सफलतापूर्वक सम्पन्न

Blog  pageview last count- 28833 (Check the latest figure on computer or web version of 4G mobile
अगणित शाश्वत लहर में स्वच्छंद उड़ते हुए कवि
हेमन्त दास 'हिम' की रिपोर्ट

    पटना के एक्जीबिशन रोड में स्थित होटल गार्गी ग्रैण्ड में 26 अगस्त,2017 को मनु कोंग्निटो पब्लीशर्स द्वारा एक कवि-गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें उस पब्लीशिंग हाउस से जुड़े अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों के अलावे नये कवियों ने भी भाग लिया. विशेष बात थी कि कविताओं का पाठ करने के अलावे उनका गायन भी हुआ वह भी प्रशिक्षित नालवादक के थापों पर. सभी कविताएँ छन्दबद्ध थीं ताकि आये हुए वे लोग भी इनका आनन्द ले पाएँ जो साहित्य से जुड़े हुए नहीं हैं. पढ़ी गई कविताएँ हिन्दी के अलावे मैथिली, अंगिका और बज्जिका में भी थीं.  स्थापित कवियों में राष्ट्रीय स्तर के कवि भागवत शरण झा अनिमेष', वरिष्ठ कवि अर्जुन नारायण चौधरी, दिल्ली में काफी प्रसिद्धि पा चुकीं मैथिली कवयित्री विनीता मल्लिक, 'बिहारी धमाका' के सम्पादक हेमन्त दास 'हिम', अंगिका के गौरव राजकुमार भारती, अपने एल्बम से चर्चित हुए सुधांशु थापा आदि प्रमुख थे जबकि नये रचनाकारों में विद्या और भारती लाल भी शामिल थीं. शशिभूषण कविताओं के गायन में सिद्धस्त हैं और उन्हें विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था. 

    घंटों चली यह कवि-गोष्ठी और कविता-गायन बहुत के कार्यक्रम ने खचाखच भरे प्रथम तल वाले सभागार में उपस्थित श्रोताओं को पूरी तरह से बाँधे रखा. प्रथम सत्र में गम्भीर कविताओं का पाठ और गायन हुआ जबकि दूसरे सत्र में हास्य कविताओं का पाठ हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता आयोजक पब्लीशिंग हाउस की आशा लता ने की और संचालन हेमन्त दास 'हिम' ने किया. मुख्य अतिथि थे आइआइटी रुड़्की के पूर्व विभागाध्यक्ष और जेपी युनिवर्सिटी, नोयडा के वर्तमान संकायाध्यक्ष डॉ. पदम कुमार. श्रोताओं ने तालियों और वाहवाही की आवाजों से पूरे माहौल को गूंजायमान रखा.

    सबसे पहले मनु कॉग्नीटो पब्लीशर्स द्वारा दुबारा प्रकाशित खड्ग बल्लभ दास 'स्वजन' के महान मैथिली काव्य ग्रंथ 'सीता-शील' के कुछ छन्दों का कवि के पुत्र रमाकान्त दास के द्वारा पाठ कर शुभारम्भ किया गया -
"मणिमाल उर मे भाल परम विशाल बाल-स्वभाव केँ
सखि मुग्ध छथि सीता विसरली अपन शक्ति प्रभाव केँ
विह्वल विदेह-कुमारि भेली जखन प्रेम अपार सँ
दृग गेह मे प्रभु-रूप कैलनि बन्द पलक-किवार सँ"
यहाँ यह स्पष्ट कर देना उचित होगा कि विगत वर्षों में प्रसिद्ध मैथिली ई-पत्रिका 'विदेह' में विस्तृत चर्चा और डॉ. वीणा कर्ण की तत्व-विवेचना के बाद पुन: काफी चर्चित हुआ 'स्वजन' जी का काव्य-ग्रंथ 'सीता-शील' पहले-पहल 1986 में विद्यार्जुन प्रकाशन, पटना-7 द्वारा प्रकाशित हुआ था. इस पहले पाठ के अलावे सभी कविता-पाठ कवियों द्वारा स्वयँ किये गये. हाँ मधुर गायक शशिभूषण ने अपने साथियों की कविताओं का गायन अवश्य किया.

    उनके बाद एक कवयित्री विद्या आयीं जो दशकों से मैथिली लोकगीत की प्रसिद्ध गायिका रहीं हैं और कविता में उनकी शुरुआत हो रही है. उन्होंने युवाओं को आगे बढ़ते रहने आ आह्वाहन किया-
"बढ‌‌‌‌‌ते चलो फूटेगा कभी जरूर सफलता का अंकुर
सद्विप्र समाज बनेगा तेरी अभिलाषा होगी पूर्ण"
फिर राँची से आये कवि सुधांशु थापा ने स्वयं और अपने साथी श्रोताओं का परिचय करवाया जो राँची से आये थे. तत्पश्चात भोजन का कार्यक्रम हुआ.

     भोजन के बाद पुन: जमी महफिल में गम्भीर कविताओं से शुरुआत हुई. अति विख्यात हिन्दी कवि और रंगकर्मी भागवत अनिमेष ने अपनी कुछ गम्भीर कविताओं का पाठ किया और फिर दर्शकों की फरमाईश पर संदेशपूर्ण मनोरंजक कविताओं का पाठ भी किया. उनकी इन पंक्तियों पर ठहाके गूँज उठे-
"ऐसे वे त्यागी हैं / जन के अनुरागी हैं
होता क्या इससे यदि / थोड़ा सा दागी हैं
एके सैंतालिस के साथ रखे बम"

"सौतन महँगाई आफत बन आई
एतना महँग साग राजा कइसे खरीदाई
कीमत में लगी यहाँ आग रे / आज बईमान बालमा"

    फिर माहौल को थोड़ा गम्भीरता देते हुए हेमन्त दास 'हिम' ने एक छोटी कविता पढ़ी जिसकी कुछ पंक्तियाँ थीं-
"अंतर्नाद से हमेशा झूमता है मन
सावन में जो नाचे वो मोर नहीं हूँ
लाख बचने पर भी जो कोई ललकारे 
तो प्राण दे दूँ प्रण में रणछोड़ नहीं हूँ"

    तत्पश्चात कविताओं के गायन में सिद्धस्त सुरीले गायक शशिभूषण ने अनेक कविताओं को गाकर सुनाया जिनमें हेमन्त 'हिम' की ये पंक्तियों ने सबकी आँखें नम कर दी-
"जो रजामंदी से हो तो सूत का पर्दा काफी
वर्ना देखा हमने पहाड़ों को दरकते हुए
ये दर्द का अहसास है जिंदा रहने का ऐलान 
क्या कभी देखा है मुर्दों को तड़पते हुए"

    अगली बारी में थे अंगिका के महान कवि राजकुमार भारती, जो हिंदी में भी काफी अच्छी रचनाएँ लिखते हैं,  को आमंत्रित किया गया जिन्होंने अपनी हास्य कविताओं से सभी श्रोतागण को गुदगुदा दिया. उनकी खासियत यह है कि वो एक आशुकवि भी हैं और उन्होंने तुरंत की परिस्थितियों पर अनेक छोटी छोटी सटीक रचनाएँ सुनाकर यह साबित कर दिया. एक कविता थी - गोरकी कैनियन के करका दुल्हा' जिसकी कुछ पंक्तियाँ थीं-
"हाँस्सै दुलहबा त दाॅत खाली सूझै
बुझै बाला अब मने मन बुझै
कौआ के मिललै रानी झकास
ऊछलै छै कुदै छै करै छै नाज"

     पुन: दिल्ली से आईं हुईं मैथिली और हिंदी की मशहूर कवयित्री बिनिता मल्लिक ने एक कविता सुनाकर सबकी भावनाओं को झंकृत कर वाहवाही लूटी-
जिसने जिंदगी गँवा दी नि:स्वार्थ सेवा में
और न कोई भाव लाया मन में
शरीर हो गया है क्षीण/ बची न कोई शक्ति तन में"

     नवोदित कवयित्री भारती लाल ने भी अपनी रचना पढ़कर लोगों से भरपूर सराहना पाई-
"संयुक्त परिवार की थी एक कुटिया
जहाँ बाबा-माँ, पापा-मम्मी, काका-काकी, दिदिया
प्यार की डोर से बाँध रखी थी मम्मी से दुनिया"

     फिर राँची से अपने ग्यारह काव्यप्रेमियों के साथ आये कवि सुधांशु थापा ने अपनी हास्य कविता 'मास्टर जी' पर ऐसी सुनाई कि सभागार में उपस्थित हर एक व्यक्ति को हँसते-हँसते पेट में बल पड़ने लगे. पर उन्होंने अपने शिक्षक के प्रति परम आदर भाव की पुनर्स्थापना करते हुए इन पंक्तियों से अंत किया-
"अपने ही मारते हैं / अपने ही समझाते हैं
और जो खुद जल जल के इस सारे जहाँ को रौशन कर दें
ऐसे गुरुवर के आगे हम सब अपना शीष झुकाते हैं"

    काव्य-पाठ का समापन बहुत ही गरिमामय तरीके से वयोवृद्ध परन्तु अत्यंत सक्रिय आंदोलनकारी आध्यात्मिक कवि अर्जुन नारायण चौधरी की दार्शनिक कविता से हुआ जिसकी कुछ पंक्तियाँ कुछ यूँ थीं-
"स्वप्रेरित, स्वयंसमर्पित / स्वप्रकाशित निज केंद्र की 
अगणित शाश्वत लहर में  / स्वयं उड़ेंगे / स्वछन्द उड़ेंगे"

     कवि-गोष्ठी की समाप्ति पर डॉ. पदम कुमार ने कुछ साहित्यिक प्रसंग सुनाये तथा प्रशान्त दास और मीनू अग्रवाल ने पब्लीशिंग हाउस के प्रादुर्भाव से सम्बंधित एक आकर्षक स्लाइड-शो प्रस्तुत किया. सभा में अंत में आये हुए सभी कवियों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापण अरबिन्द दास ने किया.
...................
इस रिपोर्ट के लेखक: हेमन्त दास 'हिम'
रिपोर्ट लेखक का ईमेल: hemantdas_2001@yahoo.com

















बिनीता मल्लिक कविता पाठ करते हुए

बिनीता मल्लिक कविता पाठ करते हुए

आशा लता व्हील चेयर पर कवियों और अपने सहयोगियों के साथ

भारती लाल 

कवि अर्जुन नारायण चौधरी और कवयित्री विद्या
              
रमाकान्त दास


सुधांशु थापा अपने काव्यप्रेमी मित्रों के साथ

सुधांशु थापा

No comments:

Post a Comment

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.