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Monday, 21 August 2017

तथागत नाट्य समारोह की शानदार शुरुआत पटना में 'तीसरा मन्तर' नाटक के साथ / राजन कुमार सिंह

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मिथकों के कथानक में हास्य का पुट
(निर्माण कला मंच, पटना द्वारा आयोजित समारोह का पहला नाटक)
       


       पटना के कालिदास रंगालय में दर्शकों की भीड़ कुछ बताना चाह रह थी कि नाटक अगर बेहातरीन हो तो देखनेवाले दर्शकों की भरमार है यहाँ। स्थानीय कालिदास रंगालय में निर्माण कला मंच,पटना द्वारा तीन दिवसीय "तथागत नाट्य समारोह" का आयोजन किया गया। तीनों दिन भोपाल की रंग-संस्थाओं द्वारा बुद्ध की जातक कथाओं पर आधारित नाटकों का क्रमशः मंचन किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रोफेसर श्याम शर्मा, नाटककार हृषिकेश सुलभ, डॉ उषा किरण खान और डॉ शांति जैन ने किया। महोत्सव के पहले दिन रंग-त्रिवेणी, भोपाल द्वारा योगेश त्रिपाठी लिखित नाटक "तीसरा मंतर" का मंचन देश के ख्यातिप्राप्त रंग-निर्देशक मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के निदेशक संजय उपाध्याय के निर्देशन में किया गया।

       कहानी वाराणसी के राजा सेनक की है जो अपने मित्र नागराज के प्राण बचाते हैं बदले में नागराज उन्हें नागकन्या देना चाहते है जिसे राजा स्वीकार नही करना चाहते। अंततः नागराज एक मंत्र देता है जिसके प्रयोग से राजा  जब चाहे नागकन्या को देख एवं पास बुला सकता है। एक दिन जब राजा इस मंत्र का प्रयोग करता है तो नागकन्या को डेंगू युवक के साथ प्रणयरत देख क्रुद्ध होकर उसकी पिटाई कर देता है । नागकन्या नागराज को प्रतिशोध लेने के लिए उकसाती है। कुछ नागयुवकों को राजा को जला मारने के लिए भेजा जाता है , पर यह पता चलने पर कि राजा निर्दोष है नागयुवक लौट आता। इस बार नागकन्या के कहने पर नागराज स्वयं  बदला लेने निकल पड़ता है और षडयंत्र के साथ राजा को दूसरा मंत्र दे देता है,जिससे पशु-पक्षियों की बातें समझी जा सकती है। पर इस मंत्र का रहस्य दूसरों को बताने पर राजा की मृत्यु निश्चित है। राजा इस मंत्र के प्रयोग से चीटियों , मक्खियों की बातें सुनकर हंसता है । रानी उससे हंसने का कारण पूछती है । बार-बार मना करने पर भी रानी नहीं मानती और राजा अगले दिन उसे सच्चाई बताने का वादा करता है जबकि वह जानता है कि इसके बाद वह मर जाएगा। यह सब जानकर स्वर्ग लोक से इंद्र और इंद्राणी मृत्यु लोक पर आकर राजा को युक्ति बताते हैं , जिससे वह संकट से मुक्त होता है।

       मंचन के दौरान राजा का अंग्रेजी बोलना हास्य उत्पन्न कर रहा था। वस्त्र विन्यास इस नाटक की खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। मुखौटे का भी अच्छा प्रयोग किया गया। कुल मिलाकर अपनी देसी संगीत शैली के लिये विख्यात संजय उपाध्याय के कर्णप्रिय संगीत ने विभिन्न दृश्यबंध के साथ इस गर्मी और उमस भरे मौसम में प्रेक्षागृह में दर्शकों को खड़े होकर नाटक देखने को मजबूर कर दिया। मंच पर भाग लेने वाले कलाकारों में योगेश तिवारी,विभा श्रीवास्तव, प्रेम अष्ठाना, अर्चना कुमारी , अजय दाहिया, शैलेंद्र कुशवाह, विशाल आचार्य ,अनुज शुक्ला ,ललित सिंह,प्रभाकर दुबे ,अक्षत सिंह, सूरज शर्मा ,सिंजा कुमार ,पायल मांडले, हिमांशी गुप्ता, अंशुमान सिंह, रूपेश तिवारी, खुश्बू एवं मानेंद्र मारन थे।  मंच परे कलाकारों में हारमोनियम-रहीमुद्दीन, तालवाद्य -रवि राव, बांसुरी-विद्याधर आम्टे, देहगति- चंद्र माधव बारिक, नृत्य संयोजन-राखी दुबे ,प्रकाश परिकल्पना - अनूप जोशी बंटी ,अभिनय प्रशिक्षण- वंदना वशिष्ठ, मंच संचालन अभिषेक शर्मा ने किया । नाट्योत्सव के पहले सत्र में "दि स्ट्रगलर्स", पटना द्वारा रमेश कुमार रघु द्वारा लिखित एवं निर्देशित नुक्कड़ नाटक "पेट की भूख" का मंचन किया गया।      
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 (इस रिपोर्ट के लेखक -राजन कुमार सिंह)













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