इस नाट्योत्सव में तीनों दिन भोपाल,मध्यप्रदेश की तीन चर्चित रंग संस्थाओं के करीब 150 कलाकारों ने भाग लिया एवं बुद्ध की जातक कथाओं पर आधारित नाटकों का मंचन किया। नाटक गजमोक्ष मनुष्य और हाथी की मैत्री और उनके पारस्परिक निर्वाह का गहन विश्लेषण करता है। मनुष्य ने अपने आप को अनंत गुण-अवगुणों में पारंगत किया है । बाहर-भीतर के भेद, बनावटीपन, छल-प्रपंच, धोखा, कृतघ्नता आदि उसके व्यक्तित्व एवं स्वभाव का हिस्सा बन गया है। पुरुषार्थहीनता, व्यग्रता, धैर्य की कमी के बीच इस नाटक को सर्वकालिकता में दिखाने की कोशिश की गई है साथ ही कथा का निष्कर्ष एक प्रेरणा के रूप में आए, दर्शकों को झकझोरे और गहरे दबे उपेक्षित एवं विस्मृत संवेदनाओं को जागृत करें, कुछ ऐसा ही उद्देश्य है इस नाटक का। प्रस्तुति ने मनोरंजन प्रदान करने के साथ कुछ जीवनोपयोगी शिक्षा भी देने में सफल रही।
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Wednesday, 23 August 2017
'गजमोक्ष' से तथागत नाट्य समारोह का समापन / राजन कुमार सिंह
इस नाट्योत्सव में तीनों दिन भोपाल,मध्यप्रदेश की तीन चर्चित रंग संस्थाओं के करीब 150 कलाकारों ने भाग लिया एवं बुद्ध की जातक कथाओं पर आधारित नाटकों का मंचन किया। नाटक गजमोक्ष मनुष्य और हाथी की मैत्री और उनके पारस्परिक निर्वाह का गहन विश्लेषण करता है। मनुष्य ने अपने आप को अनंत गुण-अवगुणों में पारंगत किया है । बाहर-भीतर के भेद, बनावटीपन, छल-प्रपंच, धोखा, कृतघ्नता आदि उसके व्यक्तित्व एवं स्वभाव का हिस्सा बन गया है। पुरुषार्थहीनता, व्यग्रता, धैर्य की कमी के बीच इस नाटक को सर्वकालिकता में दिखाने की कोशिश की गई है साथ ही कथा का निष्कर्ष एक प्रेरणा के रूप में आए, दर्शकों को झकझोरे और गहरे दबे उपेक्षित एवं विस्मृत संवेदनाओं को जागृत करें, कुछ ऐसा ही उद्देश्य है इस नाटक का। प्रस्तुति ने मनोरंजन प्रदान करने के साथ कुछ जीवनोपयोगी शिक्षा भी देने में सफल रही।
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