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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Wednesday, 23 August 2017

'गजमोक्ष' से तथागत नाट्य समारोह का समापन / राजन कुमार सिंह

      मैत्री, छल और बनावटीपन की पड़ताल करता नाटक



   छल-प्रपंच से पूरी दुनिया आज त्रस्त है. उसमें मित्रता निभाना एक बड़ी चुनौती है कुछ इसी तरह की बातों पर विश्लेषण करता पटना के कालिदास रंगालय में निर्माण कला मंच द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव 'तथागत नाटक समारोह' के अंतिम दिन त्रिकर्षि, भोपाल ने सुनील मिश्र लिखित के जी त्रिवेदी निर्देशित नाटक 'गजमोक्ष' का मंचन किया। यह महोत्सव आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी, भोपाल की सहभागिता से किया गया। 

   इस नाट्योत्सव में तीनों दिन भोपाल,मध्यप्रदेश की तीन चर्चित रंग संस्थाओं के करीब 150 कलाकारों ने भाग लिया एवं बुद्ध की जातक कथाओं पर आधारित नाटकों का मंचन किया। नाटक गजमोक्ष मनुष्य और हाथी की मैत्री और उनके पारस्परिक निर्वाह का गहन विश्लेषण करता है। मनुष्य ने अपने आप को अनंत गुण-अवगुणों में पारंगत किया है । बाहर-भीतर के भेद, बनावटीपन, छल-प्रपंच, धोखा, कृतघ्नता आदि उसके व्यक्तित्व एवं स्वभाव का हिस्सा बन गया है। पुरुषार्थहीनता, व्यग्रताधैर्य की कमी के बीच इस नाटक को सर्वकालिकता में दिखाने की कोशिश की गई है साथ ही कथा का निष्कर्ष एक प्रेरणा के रूप में आए, दर्शकों को झकझोरे और गहरे दबे उपेक्षित एवं विस्मृत संवेदनाओं को जागृत करें, कुछ ऐसा ही उद्देश्य है इस नाटक का। प्रस्तुति ने मनोरंजन प्रदान करने के साथ कुछ जीवनोपयोगी शिक्षा भी देने में सफल रही।



      मंच पर भाग लेने वाले कलाकारों में प्रखर सक्सेना, सिद्धार्थ दाभाड़े, रमेश अहिरे ,त्रिलोक कर्णवंशी, आशीष शर्मा, रचित सक्सेना, देवेन्द्र झा, विरल मेश्राम, शशांकमणि पांडेय,प्रियेश पाल, शिवकांत, देवांश यादव,  राहुल राजपूत, राहुल सिंह, राहुल पाटीदार, देवांश यादव, गीत तिवारी ,केशव रोकड़े, केशव सिंह, मधुसूदन, शिवकांत शर्मा, आशीष ओझा, सिद्धार्थ, इमलेश बाघ, जतिन मिश्रा, अभिषेक ,देवाशीष, विरल मेश्राम, शिवम गुप्ता, कृष्णा ,आयुष शर्मा, काव्या ,सक्षम, तन्मय सुनीता अहिरे, प्राची नवरे, आकांक्षा, आकृति मोघे, सोनम उपाध्याय, मंजू मालवीय ,रितिका मल्होत्रा, चारु बैरागी, प्रज्ञा चतुर्वेदी थे।

      मंच परे कलाकारों में मंच व्यवस्था-मृदुला भारद्वाज, वेशभूषा- रश्मि आचार्य, मुखौटा-देवेंद्र शर्मा/ मयूर भाई उज्जैन, रूप सज्जा -स्वप्निल ,प्रकाश परिकल्पना - कमलेश ,रंग गति - मिलिंद दाभाड़े, वाद्यवृंद- सुरेंद्र वानखेड़े, विद्याधर आम्टे, अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण, पूजा ,सोहेला, रमेश अहिरे, सुनीता अहिरे, आकांक्षा ओझा ,आकृति मोघे,प्राची नवरे, ऋतिका, सोनम, प्रज्ञा चतुर्वेदी। प्रथम सत्र में बिनीता सिंह के निर्देशन में एम के मिश्रा लिखित नुक्कड़ नाटक "सस्ते जहाज का सपना" की प्रस्तुति की गई। कलाकारों में  लवकुश, अनिकेश राज, बिनीता सिंह और मोरया राहुल ने भाग लिया था।
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इस आलेख के लेखक: राजन कुमार सिंह
लेखक का लिंक: https://www.facebook.com/raajdev.9507271010

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