 स्थानीय कालिदास रंगालय में रंगमार्च, पटना द्वारा आयोजित  थिएटरवाला
नाट्योत्सव के तीसरे दिन जन-विकल्प, सीतामढ़ी द्वारा मृत्युंजय शर्मा लिखित नाटक 'सपनों का मर जाना...' का मंचन युवा निर्देशक राजन कुमार सिंह के निर्देशन में
किया गया। ये नाटक स्कूली बच्चों और युवाओं में पनप रहे आत्महत्या की प्रवृति के
लिये जिम्मेदार सामाजिक परिस्थितियों की पड़ताल करने का प्रयास करती है। कैसे कोई
सपना समझौता में बदल जाता है और कभी-कभी आत्महत्या तक कि नौबत आ जाती है।
    स्थानीय कालिदास रंगालय में रंगमार्च, पटना द्वारा आयोजित  थिएटरवाला
नाट्योत्सव के तीसरे दिन जन-विकल्प, सीतामढ़ी द्वारा मृत्युंजय शर्मा लिखित नाटक 'सपनों का मर जाना...' का मंचन युवा निर्देशक राजन कुमार सिंह के निर्देशन में
किया गया। ये नाटक स्कूली बच्चों और युवाओं में पनप रहे आत्महत्या की प्रवृति के
लिये जिम्मेदार सामाजिक परिस्थितियों की पड़ताल करने का प्रयास करती है। कैसे कोई
सपना समझौता में बदल जाता है और कभी-कभी आत्महत्या तक कि नौबत आ जाती है।बिहारी धमाका / بہاری دھماکا - A blog in English, हिन्दी, اردو, मैथिली, भोजपुरी, मगही, अंगिका and बज्जिका. / Contact us at editorbejodindia@gmail.com (IT'S LINKS CAN NOT BE SHARED ON FACEBOOK but CAN BE SHARED IN WHATSAPP, TWITTER etc.) (For full view, open the blog in web/desktop version by clicking on the option given at the bottom.)
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Sunday, 13 August 2017
जन-विकल्प, सीतामढ़ी द्वारा 'सपनों का मर जाना' का पटना में 12.8.2017 को सफल मंचन
 स्थानीय कालिदास रंगालय में रंगमार्च, पटना द्वारा आयोजित  थिएटरवाला
नाट्योत्सव के तीसरे दिन जन-विकल्प, सीतामढ़ी द्वारा मृत्युंजय शर्मा लिखित नाटक 'सपनों का मर जाना...' का मंचन युवा निर्देशक राजन कुमार सिंह के निर्देशन में
किया गया। ये नाटक स्कूली बच्चों और युवाओं में पनप रहे आत्महत्या की प्रवृति के
लिये जिम्मेदार सामाजिक परिस्थितियों की पड़ताल करने का प्रयास करती है। कैसे कोई
सपना समझौता में बदल जाता है और कभी-कभी आत्महत्या तक कि नौबत आ जाती है।
    स्थानीय कालिदास रंगालय में रंगमार्च, पटना द्वारा आयोजित  थिएटरवाला
नाट्योत्सव के तीसरे दिन जन-विकल्प, सीतामढ़ी द्वारा मृत्युंजय शर्मा लिखित नाटक 'सपनों का मर जाना...' का मंचन युवा निर्देशक राजन कुमार सिंह के निर्देशन में
किया गया। ये नाटक स्कूली बच्चों और युवाओं में पनप रहे आत्महत्या की प्रवृति के
लिये जिम्मेदार सामाजिक परिस्थितियों की पड़ताल करने का प्रयास करती है। कैसे कोई
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