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सात दिसम्बर को कला, संस्कृति और युवा विभाग, बिहार सरकार और सीआरडी के ज्ञान भवन, गांधी मैदान के पास पुस्तक मेले में सम्पन्न कार्यक्रम निम्नवत रहे-
'कविता की कार्यशाला के दूसरे और अंतिम दिन वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा ने कविता के शिल्प, कथ्य और विषयपर बहुत सारगर्भित व्याखान दिया. कविता क्या है? कविता पुरानी स्मृतियाँ हैं. यह वर्तमान कम और सुदूर ज्यादा है. कोई कविता कभी पूर्ण नहीं होता बल्कि एक छोटा सा पड़ाव आता है. यह जितना स्वप्न है उतना ही यथार्थ है. अंचित, राहुल, सत्यम, उत्कर्ष, विक्रांत, रूचि और प्रीति के प्रश्नों का उन्होंने जवाब भी दिया.
कल यानी 8 दिसम्बर, 2017 को निम्न कार्यक्रम होंगे-
1. नुक्कड़ नाटक - 1 बजे दिन में
2. नई किताब (निवेदिता झा की गीताश्री से बातचीत) - 2.20 बजे अपराह्न
3. 'असली हीरो' - 3.30 अपराह्न
4. कमलेश के कहानी संग्रह 'दक्कन टोला का लोकार्पण' - 3.30 बजे अपराह्न
5. कथा साहित्य का सामाजिक सरोकार- 4.40 बजे अपराह्न
6. 'खोखला पहाड़, लाल पोस्ते के फूल' उपन्यास का लोकार्पण - 4.40 बजे अपराह्न
पिछ्ले दिन सम्पन्न कार्यक्रमों का विवरण निम्नवत है-
नाटक का मंचन- माध्यम फाउंडेशन द्वारा शम्भू प्रसाद सिंह द्वारा लिखित और धर्मेश मेहता द्वारा निर्देशित नाटक 'कफन के बाद' नाटक का मंचन किया गया. कलाकार थे राजेन्द्र, सखींद, राकेश, दीपक, अजय, अभिनव, मिथिलेश, वीणा, कंचन, गुंजन और रणधीर.
चाणक्य साहित्य परिषद द्वारा सर्वभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ. उद्घाटन विनय कुमार विष्णुपुरी ने बज्जिका कविता से किया. अध्यक्ष थे आनंद किशोर शास्त्री. दर्जनों कवियों ने बिहार की लोकभाषाओं में कविताएँ पढीं जिनमें बी.एन. विश्वकर्मा, अर्जुन प्रसाद सिंह, सच्चिदानंद शर्मा, शाह महमूद अहमद, डॉ. आर. प्रवेश आदि शामिल थे.
तक्षशिला पब्लीकेशन का कार्यक्रम हुआ परिचर्चा का और विषय था "हमारे सपनों का समाज और बाल साहित्य की भूमिका" इसमें वरिष्ठ कवि अरुण कमल और आलोक धन्वा ने भाग लिया. दोनो कवियों ने पर्याप्त बाल साहित्य की कमी को स्वीकार किया और चरित्र निर्माण में बाल साहित्य के महत्व की चर्चा की. यह भी कहा गया कि दुनिया की श्रेष्ठ कहानियाँ सिर्फ बच्चों या सिर्फ व्यस्कों के लिए नहीं होती बल्कि दोनो के लिए होतीं हैं.
नई कवयित्रियाँ - युवा कवयित्रियों का कवि सम्मेलन आयोजित हुअ जिसका संचालन नेहा नुपूर ने किया. कवयित्रियों में रूचि, आभा, नेहा नुपूर, स्निग्धा, सना और आस्था शामिल थीं. हालाँकि इन रचनाकारों की उम्र बहुत कम है किंतु इनकी रचनाओं में गहराई दिखती है. ये चाहें तो अपनी रचनाओं को इस ब्लॉग पर 'युवा रचनाकारों' के पेज पर प्रकाशित करवा सकती हैं जिस हेतु इन्हें hemantdas_2001@yahoo.com पर अपना संक्षिप्त परिचय देते हुए रचनाओं को भेजना होगा. सिर्फ गम्भीर विषयों की रचनाएँ भेजें.
अन्य\ अनेक कार्यक्रम भी आयोजित हुए जिनमें दिग्गज कवियों और कथाकारों ने भाग लिया. उनकी विस्तृत रिपोर्ट इस ब्लॉग पर आज बाद में प्रकाशित होगी.
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आलेख एवं छायाचित्र - हेमन्त दास 'हिम'
प्रतिक्रिया भेजने हेतु ईमेल- hemantdas_2001@yahoo.com
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मंचासीन कवि हैं (बायें से) आनंद किशोर शास्त्री. डॉ. आर. प्रवेश, बी.एन. विश्वकर्मा और अन्य गणमान्य कविगण |
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कवि सम्मेलन के बाद अग्रवाल पब्लीकेशन के स्टाल पर पुस्तक देखते हुए कवि बी.एन विश्वकर्मा (दाहिने) |
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कवि आलोक धन्वा (कुरता बंडी में) उनकी पिछ्ली पंक्ति में दायें से दूसरे कवि घनश्याम, रामनाथ शोधार्थी (चेहरा छुपा), कुंदन आनंद, समीर परिमल, कासिम खुरशीद |
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(दूसरी पंक्ति में दायें से) साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त अरुण कमल और उनके बाद हैं अनिल विभाकर |
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