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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Monday, 6 November 2017

'नई धारा' उदयराज सिंह स्मारक व्याख्यान एवं साहित्यकार सम्मान समारोह, पटना में 5.11.2017 को सम्पन्न

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अपनी लोक-संस्कृति को दुनिया भर में झमकाने का संदेश


पटना. 05.11.2017. तारामंडल सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में 69 वर्षों से निकल रही सम्मानित हिन्दी साहित्यिक पत्रिका 'नई धारा' द्वारा उदय्रराज सिंह स्मारक व्याख्यान और साहित्यकार सम्मान समारोह बिहार के वर्तमान राज्यपाल महामहिम श्री सत्यपाल मल्लिक एवं गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा की उपस्थिति से गारवान्वित रहा. उदयराज सिंह स्मृति सम्मान महामहिम श्रीमति मृदुला सिन्हा और नई धारा रचना सम्मान सुरेश उनियाल, बी.आर. विप्लबी  एवं गौरहरि दास को दिया गया. इस अवसर पर महा. श्रीमती मृदुला सिन्हा ने 'बिहार की लोक-संस्कृति में नारी का महत्व' विषय पर अपना व्याख्यान दिया. उन्होंने जिस तरह विभिन्न मुहावरों का उद्धरण देकर नारी के महत्व को स्थापित किया उससे यह स्पष्ट था कि बिहार की लोक-संस्कृति की न सिर्फ उन्हें गहरी जानकारी है बल्कि उसके प्रति एक स्वाभाविक अनुराग और दृढ़ प्रतिबद्धता भी है. उन्होंने भाई बहन के उत्सवों की विस्तार में चर्चा की और सामा-चकेवा आदि लोकगीतों का वर्णन भी किया. उन्होंने एक लोकगीत का उदाहरण देते हुए बताया कि बहनें अपने भाई की लाख वर्ष की आयु की कामना करती है. लोग इस कामना को अव्यावहारिक समझते हैं परन्तु गौर करने पर पता चलेगा कि वह अपने भाई की शारीरिक आयु की कामना नहीं कर रही है बल्कि उसके यश के जीवित रहने की कामना कर रही है. अपने पिता और भाई के बारे के कल्याण के बारे में सोचते समय वह चुगली करनेवाले को फाँसी देने की बात कर यह प्रदर्शित कर रही है कि उसमें न्याय के निष्पादन की भी क्षमता है. 

"पेन्हैये सब कोई, झमकावैये कोय कोय" इस मुहाव्ररे पर दर्शक दीर्घा से हँसी के फव्वारे छूट पड़े. महामहिम ने समझाया कि हमें आज सिर्फ पहनने की नहीं बल्कि दुनिया में झमकाने अर्थात शान से दिखाने की जरूरत भी है. और वह चीज कौन सी है जिसे झमकायी जाय तो वह है हमारी समृद्ध लोकसंस्कृति. हम  इसे छोड़ें नहीं. ठीक हैं नारियाँ जिंस पहनें लोग अंग्रेजी पढें लेकिन उनका स्वाभिमान जिसमें बसता है उस लोकसंस्कृति को छोड़ें नहीं. आज दुनिया बिहार की लोक-संस्कृति को देखकर, यहाँ की मधुबनी पेंटिंग जैसी विलक्षण चीजों को देख कर हतप्रभ है. हमें इससे गौरव प्राप्त करना चाहिए और इस प्रदेश का होने के नाते लोकगीतों लोकनृत्यों और लोकभाषाओं का भी आदर अवश्य करना चाहिए.  उन्होंने एक राजा के देशनिकाले की लोककथा सुनाई और उसमें निहित संदेशों का अर्थ भी समझाया. यह लोकगीत ही हैं जिन्होंने राम, सीता, कृष्ण और राधा को अब तक जीवित रखा है.

उनके बाद बिहार के राज्यपाल महामहिम श्री सत्यपाल मल्लिक को आमंत्रित किया गया जिन्होंने संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित व्याख्यान दिया. उनहोंने गोवा की राज्यपाल को उदयराज सिंह स्मृति सम्मान देने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की.. उन्होंने साहित्यकार को अपना दायित्व निभाने को कहा और अपसंंस्कृति को दूर भगाने की बात की. उन्होंने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत पर समाज और साहित्य के सृजन करने की बात की.

नई धारा के सम्पादक शिव नारायण ने कार्यक्रम का संचालन किया. अंत में अध्यक्ष की अनुमति से सभा के विसर्जन की घोषणा की. इस अवसर पर बड़ी संख्या में देश के अनेक साहित्यकार उपस्थित थे.
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प्रतिक्रिया देने हेतु ईमेल- hemantdas_2001@yahoo.com
































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