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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Monday 6 November 2017

4 एवं 5 नवम्बर 2017 के कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम - पटना और सहरसा/ सहरसा ग्रुप, लघुकथा सम्मेलन, अ.भा. भोजपुरी सा.सम्मेलन, नागार्जुन पुण्यतिथि, काव्योत्सव



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नोट: इस पोस्ट में 4 एवं 5 नवम्बर को सहरसा एवं पटना के उन कायक्रमों को सम्मिलित किया गया है जो इस ब्लॉग के अन्य पोस्ट में नहीं हैं. आप 6 नवम्बर की मध्यरात्रि तक इस पोस्ट के लिए अपने चित्रों और विवरणों को भेज सकते हैं जिसके लिए ईमेल आईडी है- hemantdas_2001@yahoo.com

(चित्र ऊपर)(साभार- योगेंद्र नाथ मिश्र एवं ममता मेहरोत्रा) 4 नवम्बर, 2017 को संध्या छ: बजे के बाद गोवा की महामहिम राज्यपाल डा. मृदुला सिन्हा ने पटना के प्रेमचंद रंगशाला में डा. सतीशराज पुष्करणा एवं डा. ध्रुवकुमार द्वारा आयोजित 29 वें लघुकथा सम्मेलन का उद्घाटन एक बड़े ल़घुकथा प्रेमियों के बीच किया। इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से आये लघु कथाकार उपस्थित थे। प्ररंभ में मिथिला की परंपरागत लोकनृत्य 'समा चकेवा' को बाल कलाकारों ने बड़े ही आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया। 'सामा-चकेवा में मिथिला में बहन के द्वारा भाई की मंगल कामना और उसका पौरूष गान परंपरागत स्वर से किया जाता है।जिसमें मिट्टी से अनेक प्रकार के मुर्तियों का निर्माण किया जाता है। और उसका स्वर से गुणगान किया जाता है। यह एक लोक नृत्य है।' इसके बाद डा. मृदुला सिन्हा दवारा लिखित दो कहावतों का भी किलकारी के बाल कलाकारों द्वारा नाट्य रूपान्तरण प्रदर्शित किया गया। इसमें से कहावत 'दूल्हा खाये भूसा, बराती माँगे चूड़ा' काफी गुदगुदानेवाला रहा। अपने उद्घाटन संबोधन में डा. मृदुला सिन्हा ने कहा कि सामा चकेवा मिथिला का परंपरागत बहन-भाई की अंतरंगता प्रदर्शित करता नृत्य है। किसी भी कला को प्रदर्शित करने में कलाकार को विषय में पूरा प्रवेश करना पड़ता है, तभी वह सफल मंचन कर पाता है। उन्होंने बाल कलाकारों को पुरस्कृत करने की भी बात की।
उन्होंने बिहार की परंपरा और लोक आस्था को दूर-दूर तक ले जाने की बात के संदर्भ में उन्हंने कहा कि सर्वप्रथम वे सिर्फ नौ परिवारों के साथ दिल्ली में छठ करने की बात की शुरुआत की थीं, पर वही छठ अब देश ही नहीं, विदेशों में भी फैलकर हमारी संस्कृति को बिखेर रहा है। इस अवसर पर ममता मेहरोत्रा रचित दो पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ जिनके नाम हैं- gender inequality in india , मेरी प्रिये कहानियाँ,, विश्वासघात एवं अन्य कहानियाँ (इस कार्यक्रम के नीचे के छ: चित्र भी देखें) 







(साभार- क़ासिम खुरशीद)  राज भाषा मंत्रीमंडल सचिवालय द्वारा बाबा नागार्जुन और पंडित मोहन लाल महतो वियोगी की याद में नागार्जुन पर व्याख्यान के लिए को आमंत्रित और सम्मानित किया गया. आलोक धन्वा, भगवती प्रसाद द्विवेदी अनिल विभाकर के व्याख्यान से भी ख़ास तौर पर भरे अभोलेखगार भवन में श्रोताओं को प्रभावित किया । सक्रिय निदेशक इम्तियाज़ अहमद करीमी की अध्यक्षता डॉ प्रमोद कुँवर के संचालन और डॉ विजय प्रसाद सिन्हा के धन्यवाद ज्ञापन ने प्रोग्राम को सार्थक बनाया । (इस कार्यक्रम पर नीचे के चार चित्र भी देखें)






पाण्डेय कपिल के निधन पर अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन द्वारा शोक सभा आयोजित की गई. (नीचे के तीन चित्र भी)



  
यूथ होस्टल, पटना में नये पल्लव एवं यूथ एजेंडा द्वारा कवि सम्मेलन आयोजित हुआ. चित्र में गज़ल प्रस्तुत करते नसीम अख्तर 
 (ऊपर का एक चित्र और नीचे के तीन चित्र इस कार्यक्रम के हैं) (साभार- कैलाश झा किंकर) फेसबुक पर जो सहरसा ग्रुप पाँच वर्ष पहले शुरु हुआ था ,वही 27000 सदस्यों वाला चर्चित सहरसा ग्रुप ने आज पाँचवाँ मिलन समारोह आयोजित किया ।सेमिनार, साँस्कृतिक समारोह और कवि सम्मेलन का यह नायाब कार्यक्रम रमेश झा महिला महाविद्यालय, सहरसा में आयोजित हुआ। फेसबुक के मित्रों के बीच पहली बार किंकर जी को कविता-पाठ का सुख मिला। मुक्तेश्वर मुकेश,शेखर सावंत,सियाराम यादव मयंक ,अरविन्द मिश्र नीरज,सुमन शेखर,आनन्द झा,स्वाती शाकम्भरी आदि कवि मित्रों को सुनने -सुनाने के क्रम में दहेज गीत "हमर हालत छै खरीदल जमाय सन " के साथ एक और गीत उन्होंने प्रस्तुत किया.








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