Blog pageview last count- 41835 (See the latest figure on computer or web version of 4G mobile)
अखरा रोटी जे नहि खेलक ओ की बूझत रोटिक मोल
|
रंजना झा का गायन |
पटना.02.11.2017. पटना के
विद्यापति भवन में 2 नवम्बर को
त्रिदिवसीय विद्यापति स्मृति पर्व शुरू हुआ. उद्घाटन सत्र में बिहार के
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बिहार के पूर्व
मुख्य मंत्री जगन्नाथ मिश्र, केंद्रीय मंत्री
संजय पासवान, अश्विनी चौबे,
बिहार विधान परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष हारुन
राशिद समेत अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया. वकताओं ने मैथिल लोगों के द्वारा
बिहार के बाहर जाकर अच्छा काम करने और अपनी महत्वपूर्ण पहाचान पाने का जिक्र किया.
मैथिली के आँठवीं अनुसूची में जोड़े जाने और मैथिली भाषा को लेकर के.लो.से.आ. की
परीक्षा में शानदार सफलता को लेकर संतोष व्यक्त किया गया. इस बात की विशेष रूप से
चर्चा हुई कि मैथिली भाषा को लेकर गैर मैथिल यहाँ तक कि दक्षिण भारतीय लोग
यूपीएससी परीक्षा में शानदार सफलता अर्जित कर रहे हैं. सिर्फ पिछली बार ऐसे लोगों
की संख्या लगभग आठ-दस थी. परंतु इस बात को लेकर चिन्ता भी व्यक्त की गई कि मैथिली
लोगों ने स्कूल और कॉलेजों में मैथिली पढ़ना लगभग छोड़ दिया है जिससे मैथिली
शिक्षकों के पदों के सृजन को रद्द करने की नौबत आ गई है जो मैथिली के भविष्य के
लिए विनाशकारी है.
विभिन्न क्षेत्रों में मैथिलों के योगदान हेतु उन्हें सम्मानित किया गया. रंजना झा द्वारा गायन प्रस्तुत किया गया और कवि सम्मेलन भी आयोजित हुआ जिसमें अनेक विशिष्ट कवियों में तीन दशकों से भी पुराने समय की प्रसिद्ध जोड़ी रबीन्द्र महेन्द्र के रबींद्र कुमार ठाकुर भी शामिल थे. अन्य कविगण थे रामलोचन ठाकुर, डॉ.चन्द्रमणि, स्वयंप्रभा झा, वेदकान्त मिश्र, वंशीधर मिश्र, प्रीतम कु. निषाद, डॉ.रानी झा, नवलश्री पंकज और रजनिश प्रियदर्शी. एक युवा किन्तु अत्यंत निपुण शब्दशिल्पी कवि की रचना प्रस्तुत है-
जीवनक रंग
(कवि-रजनिश प्रियदर्शी)
अखरा रोटी जे नहि खेलक
ओ की बूझत रोटिक मोल
जुन्ना भ' गेल पेट ऐंठि क'
अंत भेटल मृत्युक सङ्गोर
अगराही लागल अछि सगरो
कत्तो भूख त' कतो पाई के
ठिठुरि रहल कोरा मे नेन्ना
आँचर भरि ने वस्त्र माय के
भखरल मोन झमारल जिनगी
काहि काटि घिसीआय रहल छै
सगरो मसकल जिनगिक चदैर
जेना तेना टकुआए रहल छै
फाटल नुआ भसकल आंगी
टुकड़ा में नेन्ना के टांगि
बरखा-बुन्नी अन्हर-बिहारी मे
हुकरैत जिनगी रहलैक धाँगि
ठकबौक जगत अछि भेल ठाढ़
महल-अटारी, ठाठ-बाठ पर
पाँजर लगा कुकुर सँग सुतल
तखन कतेको मनुख बाट पर
आँखि पसारि कने जों देखब
क्षण-क्षण छलकत आँखिक नोर
आसक फुहि सँ भीजत कहिया
बारल मनुखक सूखल ठोर ।
.....
© रजनिश प्रियदर्शी
9534350530
.......
इस रिपोर्ट के लेखक: हेमन्त दास 'हिम'
फोटोग्राफर- हेमन्त 'हिम'
आप अपनी प्रतिक्रिया इस ईमेल पर भेजें- hemantdas_2001@yahoo.com
|
प्रसिद्ध गायिका रजना झा ने मधुर गायन प्रस्तुत किया |
|
पत्रकार रीना सोपम चेतना पत्रकार सम्मान से सम्मनित हुई |
|
कैथी लिपि के विशेषज्ञ और मैथिली इतिहास के विशेष जानकार भैरव लाल दास भी इस कार्यक्रम में श्रोता के;रूप में उपस्थित थे. |
|
रंजना झा का गायन |
|
कवि सम्मेलन के कवि गण |
No comments:
Post a Comment
अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.
Note: only a member of this blog may post a comment.