**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Friday, 28 July 2017

प्रस्तुति रंगमंडल का नाटक 'बकरी' 25.7.2017 को पटना में मंचित (Bakari- a paly by Prastuti Rangmandal,staged in Patna on 25.7.2017)

Blog pageview last count- 24021 (Check the latest figure on computer or web version of 4G mobile.)
"Capture and beat him till he becomes a goat"

(हिन्दी में यह आलेख अंग्रेजी ट्क्स्ट के नीचे है)
       Bakari i.e. goat is a symbol of scapegoat It is sometimes a means of fooling others for amassing wealth and on other occasions, is  just a part of  delicacy of food. Saraweshwar Dayal Shaksena  has made everything clear very beautifully how the so-called religious gurus and political leaders use the sentiments of meek people in their favour and of course, in an unethical manner. The dialogues are pithy and  the whole script is well-knit bereft of any superfluous sequences.

       The presentation was an evidence of symphony between director and actors where both gave their best. Sharda Singh was again a successful director, Sanjay Upadhyay had designed the concept of lighting, Md. Jonny provided music from background with team and Ruby Khatoon had designed the costume.  
(Provide name of artists to hemantdas_2001@yahoo.com) 

         बकरी, बलि का बकरा का प्रतीक है। बकरी महज कभी धन इकट्ठा करने हेतु दूसरों को बेवकूफ बनाने का एक साधन होती है तो कभी  स्वादिष्ट भोजन का सिर्फ एक हिस्सा बनती है। सरवेश्वर दयाल सक्सेंना ने सब कुछ स्पष्ट रूप से व्यक्त कर दिया है कि तथाकथित धार्मिक गुरु और राजनीतिक नेताओं ने सीधे-साधे लोगों की भावनाओं को उनके पक्ष में करने के लिए किस तरह से हर अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल किया है। सम्वाद सारगर्भित हैं और पूरा कथानक भली-भाँति बुना गया है।

        यह प्रस्तुति निर्देशक और अभिनेताओं के बीच समस्वरता का एक सबूत थी जहां दोनों ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। शारदा सिंह फिर से सफल निर्देशक रहीं, संजय उपाध्याय ने प्रकाश व्यवस्था को डिजाइन किया था, मोहम्मद जॉनी ने टीम के साथ पृष्ठभूमि में संगीत प्रदान किया और रुबी खातून ने पोशाक डिजाइन किया था।
(कलाकारों का नाम प्रदान करें इस ईमेल पर- hemantdas_2001@yahoo.com) 
....
Send more info and your response to this article at hemantdas_2001@yahoo.com
























No comments:

Post a Comment

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.