By this post, we claim to be the first in publishing report in Magahi language on internet (that too with English translation)
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अप्पन दूध पिला के तपेसर के बड़ा कयलक ओहि तपेसर बड़ा होके अप्पन सामन्ती रंग देखाबे लगलक
मगही भाषा में रिपोर्ट with English translation- लता पराशर
पटना के जमाल रोड के बिहार माध्यमिक संघ के सभागार में सतरह जून दू हजार सतरह के (17.6.2017) दू गो पुस्तक लोकार्पित कयल गेल. दूनू पुस्तक में घमंडी राम जी मगहिया लेखक आउ हिंदी पाठक के अपना ओर खींचे के दम भरलन हे. 'कजरिया' में कहानी सहेजल गेल हे आउ' 'ढाइ आखर प्रेम का' हिंदी निबंध संग्रह कयल गेल हे. कजरिया में तेरह गो जे कहानी हे उ तेरहो में तेरह गुण समाएल हे. 'कजरिया' में एगो गुलगुलइनी ओखा अपन कहानी के पात्र बना के केतना सम्मान देलन हे.एसहीं इ मगही सेवा हमेसा से कर रहलन हे. इनकर जोड़ न लगावल जा सकS हे.
Patna, 17th of July, 2017. In Bihar Madhyamik Adhyamik Sangh Auditorium, Jamal Road, Patna, two books of Magahi writer Ghamandi Ram were relelased . In both books Ghamandi Ram has made efforts to attract Magahi writers and Hindi readers towards Magahi fold. In kajariya, the story has been beautifully crafted and in 'Dhai Akhar Prem Ka' is the collection of Hindi essays. All the thirteen stories in 'Kajaria' are filled with thirteen merits. 'Kajaria' story has a character named as Gulagulani. It is awful how Ghamadi Ram ji has given so much honour to such a neglected sort of personality. In the same way, he has been serving Magahi similarly since long. There is no match of his contribution.
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Lata Prasar - author of this report in Magahi language
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घमंडी राम जी के पुस्तक लोकार्पण में हिंदी-मगही-भोजपुरी,अंगिका,मैथिली इ सब भासा के जानल-मानल लेखक सब पधारलन. इनकर रचनावन पर सब अपन विचार
रखलन. जे जउन भासा के हलन ऊ ओही भासा बात कह के मगही के बादसाह घमंडी राम जी के
सम्मानित कयलन. कुछ उर्दू के लेखक भी अइलन हल. घमंडी जी के पैठ सब्भे भासा के
लेखनकन के बीच हे. तैयब हुसैन जी के कहनाम हल कि शास्त्र आउ लोक दुन्नो तत्व से
मिल के साहित्य के रचना होबS हे. अब पहिले
बाला बात नय रह गेल कि शास्त्रीय साहित्य ही साहित्य कहलावत.
In the function organised on the occasion of the book-release of Ghamandi Ram, a large number of renowned litterateurs in Hindi, Magahi, Bhojpuri, Angika, Maithili and Bajjika showed up. All expressed their own views on the the creations by him. The speakers chose to speak the language they belong to and thus honoured the celebrity writer of regional language Ghamadi Ram. Some Urdu writers had also turned up. The popularity of Ghamandi Ram is among the writers of all Bihari languages. Taiyab Hussain stated that the literature is built with the help of both elements - popular and classics. Now the belief has changed that classical writing is the only literature.
हरेन्द्र विद्यार्थी जी के कहनाम हे कि बाबूलाल मधुकर के बाद घमण्डी राम ही खाँटी मगही के शब्द अपनयलन हे. इनकर नजर में मगही के साथ आजहु सौतेला बेवहार हो रहल हे. नोमाँ-दसमा किलास में आउ सब भासा पढ़ावल जा रहल हे बाकि मगही पर केकरो धियान नय हे जे कि हमर पूर्वज के भासा रहल हे. मगध के शान मगही रहल हे. हृषीकेश पाठक कहलन कि इनकर किताब देख के लगS हे कि काव्य के किताब हे बाकि कजरिया कहानी संग्रह हे. और दूसरका किताब निबंध संग्रह हे. इहे दुन्नो किताब के विशेष बात हे. जफर इमाम कहलन कि पढ़ाय-लिखाय बड़गो खतरा बला काम हो गेल हे. जेने देखS ओनही बतकुच्ची हो रहल हे. इसे कुछो कहे से पहिले बहुत सोच विचार करे पड़S हे.
Harendra Vidyarthi stated that Ghamandi Ram is the only person who has adopted original Magahi words in his literature after Babulal Madhukar. In his view, Magahi is still getting half-blood treatment. At the level of Nineth and Tenth, all other languages are being taught but not Magahi as nobody pays attention to this language which has been the language of our ancestors. Magahi had been the pride of Magadh. Hrishikesh Pathak said that after reading his books, it seems that it is a poetry though he actually, has written stories. And the other book is of essays. This is the special feature of these two books. Jafar Imam opined that creative writing has become a dangerous job nowadays. Wherever you see, you would find sycophancy. Therefore we must consider adequately before saying something.
भगवती प्रसाद द्विवेदी जी के कहनाम हल कि घमंडी राम मूलत: गद्य कवि हथिन आउ इनकर गद्य में बहुते सरसता भरल हे. इनकर कोशिश हे गद्य के काव्याअतमक बनावल जाय. ई समय में आलोचना के काम बड़ी विपत्ति से गुजर रहल हे. उ कोय कोय विशेष आदमी के उपरे काम कर रहलन हे. एकरा पर बिचार होबे. सब लोग के बढ़िया बढ़िया रचना सामने नय आ रहल हे. ई भासा के दुर्भाअग्य हे. लेखक अप्पन विचार रचना के माध्यम से ला रहलन हे. बाकी एकरा पर विचार करे बाला भी होबे के चाही.
Bhagwati Prasad Dwivedi expressed his views that Ghamandi Ram is basically a prosaic poet and his prose is very succulent. His attempt is to give poetic touch to the prose. In this time, the job of review is passing through great adversity. Reviewers are working only on some particular class of people. We must be aware of it. Good creations are not coming forward from every corner. This is unfortunate for the language. The authors are bringing forth their individual beliefs through their piece of creations. Though, there must be people capable enough to ponder over this.
बिहार मगही मंडल के सचिव राजकुमार प्रेमी जे अपने भी मगही सेवा में जीवन बीता रहलन हे. उनकर कहनाम हे कि जे लेखक पात्र के जेतना करीब होबS हे उनकर रचना में ओतनहीं भाव भरल रहे हे. ई से रचना करे ला लेखक के जन के पास समय बिताना जरूरी हे. तभिये रचनाकार उनकर भाव उतार सकS हे.येही भाव घमंडी जी के रचना में भी देखे ला मिलय हे.
Rajkumar Premi, the secretary of Bihar Magahi Mandal who is also devoting his time for the service of Magahi, said that the writer who is so nearer to the characters, produces the compositions as much full of feelings. Therefore, for writing something well, the authors must spend time with the people they write about. Then only the authors can put forth the sensitivity of them. The same kind of sensitivity is seen in the compositions of Ghamandi Ram.
सत्येंद्र कुमार 'सुमन' जी भासा पर जादे जोर देलन हे. हुनकर कहनाम हे कि कोय रचनाकार केवल क्रिया के रूप बदल के हिन्दी से मगही नय बन सकS हे. ई मगही के पुरजोर वकालत कयलन हे आउ कहलन हे कि मगही में लिखे ला हे त मगही ठेठ शब्द के उपयोग जरूरी हे. जिनकर पहचान मगही शब्द से नय हे उ मगही नय लिख सकलन हे. आज इ हम्मर राज्य के दुर्भाग्य हे कि जे इ राज्य के सरताज हथीन उहे मगही से नजर चुरा रहलन हे. आउ ओकरो से बड़गा दुर्भाग्य त इ हे कि दोसर दोसर भासा बालन के मगही पुरस्कार देल जा रहल हे.
Satyendra Kumar 'Suman' has stressed much on the language. His view was that no writer should think that just by changing the form of verb, Hindi can be converted into Magahi. He advocated strongly about Magahi and said if you want to write in Magahi then you must use the typical words of Magahi. Those who are not familiar with Magahi, can write in Magahi. Today, this is the misfortune about our state that he who is the Head of the state, is trying to neglect Magahi. And the more unfortunate is that people who belong to other languages are getting awards for Magahi.
बिजय कुमार सिन्हा, घमंडी राम के बराबरी कबीर से कयलन हे. काहे कि मगही भासा के बचावे में इनकर बड़गो हाथ हे. आउ कजरिया के कहानी सुना के बतयलन कि कैसे कजरिया के कोय गुण्डा उठा के ले जाहे आउ ओकर शीलहरण करS हे. बाकि इ कहानी के अंतिम में इ बतावल गेल हे कि कजरिया विधायक बन जा हे. आउ ओकर जिनगी में बहार आ जा हे. अलका मिश्रा अप्प्न विचार सावन के कजरिया गा के देलन-"कैसे खेलन जहिये सावन में कजरिया"./घिर-भिर आए बदरिया हो सजनी". 'कजरिया' जे घमंडी राम जी की रचना पुस्तक के नाम हे. आउ एगो कहानी भी है. हम्मर समाज में महिला के दयनीय स्थिति आउ उत्पीड़न के ई कहानी में देखावल गेल हे.
Vijay Kumar Sinha equated Ghamandi Ram with Kabir. Because, his role in saving Magahi is very big, And he said after telling the story of 'Kajaria' how goons abducted Kajaria and raped her. But at the end of story, Kajaria becomes an MLA. and his life is full of happiness. Alaka Mishra gave her views by singing 'kajaria' of Savan.- "How I would go to play Kajaria in Savan / The sky is so cloudy my friend" ("Kaise khelan jahiye Savan me Kajaria/ Ghir-ghir aaye badariya ho sajani).
विनितांश कहलन कि कजरिया गुलगुतिया जाति से आबS हे. ई जाति के महिला बहुत साहसी होबS हे. आज के नवमानवतावाद मे सबेकुछ हो सके हेS. कजरिया जैसन चरित्र भी बिधायक बन सकS हे. बिफनी काकी के की कहल जाय. जे बिफनी काकी अप्पन दूध पिला के तपेसर के बड़ा कयलक ओहि तपेसर बड़ा होके अप्पन सामन्ती रंग देखाबे लगलक. एतना बढ़िया-बढ़िया कहानी लीखेबला लेखक के हमर समाज में उपेक्षा हो रहल हे. अगर बढ़िया से उनकर किताब के समीक्षा कयल जाय त मगही भासा के उद्धार हो जायत. हम्मर समाज में मगही लीखेला और पढ़ेला दुन्नू जरूरी हे.
Vinitansh said that Kajaaria belongs to Gulgutia clan. This clan is know for brave women. In todays Neo-humanistic society, everything can happen. A character like Kajaria can become an MLA. What to say about Bifani Kaki. The aunt who breast-feed Tapesar during his childhood and brought him up, had herself to bear the brunt of feudal character of the sameTapesar. The authors who write such excellent stories, are being ignored by our society. If his book is reviewed well then Magahi language will get a thrust badly needed. In our society, both is required- to write Magahi and to read it.
श्रीराम तिवारी अप्पन अध्यक्षीय भाषण में कहलन कि हमनी सब भूगोल में जी रहलूँ हे, इतिहास में नय. हमनी सब के इतिहास से जुड़ल रहे के चाही. अब देखS नारी जब हाथ में बंदूक उठा लेलक. घमण्डी राम जी के दुन्नू पुस्तक में आन्दोलन के बात कयल गेल हे. आज जे बाजारीकरण हो रहल हे ओकर असर साहित्य पर भी पड़ रहल हे. इनकर कहनाम रहे कि कोय आदमी बाजारीकरण से नय बच सकय हे. अलका मिश्रा अप्प्न विचार सावन के कजरिया गा के देलन-"कैसे खेलन जहिये सावन में कजरिया"./घिर-भिर आए बदरिया हो सजनी". 'कजरिया' जे घमंडी राम जी की रचना पुस्तक के नाम हे. आउ एगो कहानी भी है. हम्मर समाज में महिला के दयनीय स्थिति आउ उत्पीड़न के ई कहानी में देखावल गेल हे.
Shriram Tiwri, in his presidential speech said that all of us are living in geogrphy and not in history. We all must be attached to our history. Now you see that a woman has lifted a rifle into her hand. Both of the books of Ghamandi Ram talk about revolution. The marketisation happening nowadays is also casting it's bad effect on literature. He stated that nobody can save himself from marketisation. Alka Mishra sang a song typically sung in Rainy season and called 'kajari'- "How Kajaria will go to play Holi in Rainy season. The sky is cloudy everywhere my darling". Notably, 'kajaria' is the title of the book by Ghamandi Ram and also is one of the stories in it. In this story, the poor plight of women in our society and her victimisation has been presented.
नचिकेता जी कहलन कि घमंडी भाई हमेशा स मगही ला समर्पित रहलन हे. इनकर जेतना धन्यवाद कयल जाय कम हे. हम त इनका साथे सब मगही आन्दोलन में साथ निभयली हे. मगही हमनी के ओढ़ना बिछौना हे. मगहिए हमर धरती के पहचान हे. हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ भी घमंडी राम के बधाई देलन आउ कहलन कि घमंडी राम जब कभी हमरा के याद कयलन हम उहाँ पहुँचे के कोशिश कयली हे. घमंडी राम जी मगही के साथे-साथे हिन्दी में खूब रचना कयलन हे.
Nachiketa said that Ghamandi ji has always been devoted to magahi. Any amount of thank will prove less for his contribution. I have accompanied him in every Magahi revolution. Magahi is our everything. Only Magahi is the identity of our place. Dr. Anil Sulabh, the President of Bihar Hindi Sahitya Sammelan, also congratulated Ghamandi Ram and said that whenever Ghamandi ji called him, he tried to be present on the occasion. Ghamandi Ram ji has done a lot of creative works in Hindi also along with Magahi.
आउ अन्त में भोजपुरी के लेखक लक्ष्मीकान्त निराला जी सभ आबेवला के धन्यवाद कयलन कि जैसन भोजपुरी लोकभासा में भिखारी ठाकुर हथिन वसने मगही में घमंडीराम. साहित्यकार के लोभ से दूर रहे के चाही आउ इ गुण से भरल घमंडी जी हथिन. समूचा कार्यक्रम के चलाबेवाली डॉ. सीमा रानी भी बीच-बीच में अप्पन बात कहलन आउ कय गो साहित्यकार अयलन हल जेकरा में डॉ. चन्द्रावती चंदन, राकेश प्रियदर्शी, लता प्रासर, डॉ. लक्ष्मी पासवान, अनीश अंकुर, आनन्द किशोर शर्मा, डॉ. बी.एन.विश्वकर्मा, हरेन्द्र सिन्हा, हेमन्त दास 'हिम' भी आल हलथिन. घंटों चलल पूरा कार्यक्रम में सभागार खचाखच भरल रहल आउ सब लोग ताली बजा-बजा के वक्ता लोगन के अप्पन समर्थन देते रहलन.
And at the end of the program, the writer in Magahi, Lakshmikant Nirala thanked everybody who turned up in the function. He said that Ghamandi Ram stands in Magahi in the same way as Bhikari Thakur is in Bhojpuri. The writers must keep themselves aloof .from greed. And Ghamandi Ram is the epitome of this feature. The whole program was conducted by Dr. Seema Rani who also expressed her views in between the speeches of the dignitaries. Many other writers have also attended the function among which Dr. Chandravati Chandan, Rakesh Priyadarshi, Lata Prasar, Dr. Lakshmi Paswan, Anish Ankur, Dr. B.N. Vishwakarma, Harendra Sinha, Hemant Das 'Him' were inclulded. The program lasted for hours and the auditorium remained fully packed during the whole event. Also, the viewers clapped frequently to express their consent to the speakers.
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Original script in Magahi by: Lata Prasar
Translated into English by: Hemant Das 'Him'
Semd your reponse on this report by email to hemantadas_2001@yahoo.com
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