**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Thursday 1 August 2019

मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर पटना में 31.7.2019 को "भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एवं मुशी प्रेमचंद" पर चर्चा

समय के साहित्यिक योद्धा थे मुंशी प्रेमचंद

(मुख्य पेज पर जायें- bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटे पर देखते रहें - FB+ Watch Bejod India)


चित्र  साभार - डॉ. भावना शेखर के फेसबुक वाल से 

मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग द्वारा, अभिलेख भवन, पटना में मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर "भारतीय स्वाधीनता संग्राम एवं मुंशी प्रेमचंद "विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। आयोजन में  कवयित्री डां भावना शेखर ने कहा कि स्त्री स्वातंत्र्यता के मुख्य समर्थक थे मुंशी प्रेमचंद। आदर्शों को उन्होंने सिर्फ अपनी रचनाओं में ही नहीं, बल्कि अपने जीवन में भी अपनाया। दहेज के खिलाफ थे वे। अपने स्त्रीत्व  से ज्यादा नारी और कुछ नहीं चाहती। नारी दर्शन एक आदर्श है।

एक  जानकार वक्ता  ने कहा कि जो सम्मान प्रेमचंद को मिला वह की करोड़पति को भी नहीं मिला।

दिनेश प्रसाद सिंह ने कहा कि आलोचना करने वाले ने प्रेमचंद को गांधीवादी तो कई ने  मार्क्सवादी विचारधारा का कहा है। सच तो यह है कि  वे इन दोनों विचारधारा से भी अलग थे। वे भारतीय कृषक के पुरोधा थे। प्रेमचंद ने पहली बार कथा के स्वरूप को बदला। उन्होंने कहानी को आदर्श को यथार्थ से जुड़ने का काम किया। मानवीय संवेदना के सबसे सजग कलाकार थे प्रेमचंद।

डॉ. बलराम तिवारी ने अपने भाषण में कहा कि प्रेमचंद के जो पाठक हैं  वे उनके विचार को समाज में बाँटं। प्रसाद जी गड़े मुर्दे को उखाड़ते थे जबकि प्रेमचंद वर्तमानजीवी कथाकार थे। वर्तमान से भविष्य की ओर ले जाता है प्रेमचंद का साहित्य। उनके पास अपनी दृष्टि है।

प्रेमचंद ने कहा- हम गरीबी से बहुत कुछ सीखते हैं। सबसे बड़ा विश्वविद्यालय गरीबी होता है। देशभक्त सिर्फ़ वे नहीं हैं, जो स्वाधीनता संग्राम में लड़े। देशभक्त वे भी हैं जो स्वाधीनता के लिए लड़ने वालों का सम्मान करते हैं। वे अपने समय के साहित्यिक योद्धा थे। प्रेमचंद का साहित्य किसी भी विचारधारा का प्रचारात्मक साहित्य नहीं है।

प्रेमचंद देश की आजादी को सार्वभौमिक बनाना चाहते थे। मजदूर, नारी, किसान वर्गों को उन्होंने प्रमुखता दिया, मध्यम वर्ग को कम। क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि प्रथम तीन ही सर्वाधिक पीड़ित वर्ग है। सबसे दलित वर्ग है नारी। समाज के अमीर वर्ग ही वेश्यावृत्ति को प्रसय दिया । स्वतंत्रता के बाद सांप्रदायिकता सबसे बड़ी चुनौती के रूप में रही है। पैसा से जनता का वोट खरीदा जाता है।

डॉ. उपेन्द्र नाथ पांडेय ने प्रेमचंद की भारतीय स्वाधीनता संग्राम के संदर्भों को रेखांकित करते हुए कहा कि - स्वाधीनता के लिए, प्रेमचंद जी ने जो विचार हमे दिया वह है क्या? प्रेमचंद को हम सचमुच सही सम्मान तभी दे सकते हैं जब उनके जीवन मूल्यों के शोषण के प्रति हम जागरुक हो सके।

प्रेमचंद ने जो लिखा और कहा उसे अगर हमारे सरकारी कर्मचारी व्यवहार में ला सकें तो काफी अच्छा होगा। तो आज  जैसी कहानियां लिखी जा रही है उसे पढने की इच्छा नहीं होती। हर पुस्तकालय के एक मात्र प्रिय लेखक रहे हैं प्रेमचंद का साहित्य।

कुछ कवियों ने काव्य पाठ भी किया। एक कवि की पंक्तियाँ थीं- 
"फिर से दामन को दागदार करोगे ? 
मिलता नहीं मुनाफा तो कोई और काम करोगे?" 
इंसान होकर क्य् इंसान का व्यापार करोगे?

एक अन्य ने पढ़ा -
"भाग्य में  स्वराज्य  लिख, फिर कलम उठाना!"

जयप्रकाश पुजारी - " आजादी के सात सितारें!"

किरण सिंह-" न हो कोई दुःख हमसे, हमें इतना संबल देना।

शुभचंद्र सिन्हा -"  लिखता रहा जमीन पर 
चांद ने दूरी का बहाना किया!"

अपने अध्यक्षीय उद्बबोधन  में, कवि सत्यनारायण ने कहा,"जब भी विश्व स्तर पर कथा साहित्य की बात होगी  हम प्रेमचंद को आज भी सामने रख सकते हैं । हमारे समाज के जितने पहलू हैं, जितने स्तर है, वे सब प्रेमचंद के साहित्य में उपलब्ध है"।
....

आलेख - सिद्धेश्वर
छायाचित्र - सिद्धेश्वर
(डॉ. भावना शेखर के फेसबुक वाल से भी कुछ चित्र साभार)
लेखक का ईमेल आईडी - sidheshwarpoet.art@gmail.com
लेखक का पता - सिद्धेश् सदन",किड्स कार्मल स्कूल के बाएं/द्वारिकापुरी रोड नंबर:“पोस्ट :बी एच एस, हनुमान नगर, कंकड़बाग. पटना - 800026 (बिहार) 
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com

   





 









No comments:

Post a Comment

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.