बीसवीं और इक्कीसवीं दोनों ही सदियों की चेतना को समेटती हुई कहानी
31 जुलाई 2019 कथा-सम्राट प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर साहित्य का स्त्री स्वर 'आयाम' द्वारा 'लेख्य-मंजूषा' के सहयोग से पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान की अध्यक्षता में हुए एक आयोजन में लखनऊ से आईं हिन्दी की सुप्रसिद्ध उपन्यासकार और कथाकार रजनी गुप्त ने अपनी कहानी "पगडंडियों पर साथ साथ" का पाठ किया।
स्वागत विभा रानी श्रीवास्तव, मंच संचालन आशा कुमारी और धन्यवाद ज्ञापन इति माधवी ने किया.
शहरी, विशेषकर कामकाजी स्त्रियों की स्वातंत्र्यचेतना, उनके सपनों और संघर्षों को बेहतरीन अभिव्यक्ति देने वाली रजनी गुप्त का शुमार स्त्री विमर्श की प्रमुख लेखिकाओं में होता है। कहानी-पाठ के बाद उस पर चर्चा का लंबा सिलसिला चला जिसमें पटना के कई प्रमुख लेखकों और लेखिकाओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
अपने अध्यक्षीय भाषण में पद्मश्री उषा किरण ने कहा कि यह कहानी बीसवीं और इक्कीसवीं दोनों ही सदियों की चेतना को समेटती है। इसमें औपन्यासिक संभावना कैए कहानी है।
इस अवसर पर ध्रुव गुप्त, कथाकार संतोष दीक्षित, भगवती प्रसाद द्विवेदी, शिवनारायण, शिवदयाल, वीरेंद्र कुमार यादव, कवि घनश्याम, संजीव कुमार आदि शहर के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार उपस्थित थे।
कार्यक्रम में उपस्थित सदस्यों की सूची नीचे प्रस्तुत है-
'आयाम' के सदस्य -
01. निवेदिता
02. सुनीता सृष्टि
03. प्रो० रानी श्रीवास्तव
04. शाइस्ता अंजुम
05. अलका कुमारी
06. उषा ओझा
07. मीरा मिश्रा
08. पूनम आंनद
09. डॉ. विद्या चौधरी
10. इति माधवी
11.आशा कुमारी
12. नताशा
13. शहनाज़ फातमी
'लेख्य-मंजूषा' के सदस्य-
01. ईशानी सरकार
02. रंजना सिंह
03. अनिता मिश्रा
04. श्रुति अग्रवाल
05. मीरा प्रकाश
06. सीमा रानी
07. प्रेमलता सिंह
08. राजकांता राज
09. पूनम कतियार
10. रश्मि अभया
11. वीणाश्री हेम्ब्रम
12.अभिलाषा सिंह
13. अमृता सिन्हा
14. प्रियंका श्रीवास्तव
14. रवि श्रीवास्तव
15. डॉ. मो० रब्बान अली
.......
प्रस्तुति - विभा रानी श्रीवास्तव
छायाचित्र - बिभा रानी श्रीवास्तव
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आदरणीया. ये नया उपनाम आपे क्यों रख लिया है?
Deleteधन्यवाद महोदय.
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