**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Saturday 10 August 2019

"मधुबनी: द स्टेशन ऑफ कलर्स" को गैर फीचर श्रेणी की "बेस्ट नैरेशन" श्रेणी में राष्ट्रीय फिल पुरस्कार 2019 देने की घोषणा

फिल्म की निर्मात्री उषा शर्मा कभी स्केवेंजर थीं, आज हैं सुलभ की मानद अध्यक्ष
नैरेशन लिखा है कमलेश के मिश्र ने और आवाज दी है उर्विजा उपाध्याय एवं दीपक अग्निहोत्री ने

       (मुख्य पेज पर जायें- bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटे पर देखते रहें - FB+ Watch Bejod India)




09 अगस्त 2019 को घोषित 66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों में ग़ैर फ़ीचर श्रेणी में फ़िल्म “मधुबनी: द स्टेशन ऑफ़ कलर्स” को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस फ़िल्म का निर्माण बिहार विभूति पद्मभूषण डॉक्टर विंदेश्वर पाठक जी की प्रेरणा से उनके मार्गदर्शन में हुआ है। फ़िल्म का निर्देशन किया है और नैरेशन लिखा है कमलेश के मिश्र ने। इस फ़िल्म को यह पुरस्कार “बेस्ट नैरेशन” श्रेणी में मिला है। इसके लिए आवाज़ दी है उर्विजा उपाध्याय और दीपक अग्निहोत्री ने। 

इस फ़िल्म से जुड़ी एक दिलचस्प बात बड़ी बात यह है कि इस  फ़िल्म की प्रोड्यूसर उषा शर्मा हैं। ग़ौरतलब है कि उषा शर्मा जी की जीवन यात्रा बेहद रोमांचकारी है। अलवर राजस्थान की निवासी उषा शर्मा कभी सिर पर मैला ढोकर अपना गुज़ारा करतीं थीं, आज यह सुलभ की मानद अध्यक्षा हैं। पिछले साल इन्होंने प्रधानमंत्री के हाथों आजतक का सफ़ाईगिरी सम्मान अर्जित किया। राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार के इतिहास में निसंदेह यह पहला मौक़ा है कि अपने जीवन में स्केवेंजर रही किसी महिला ने फ़िल्म बनाई हो और उसकी पहली ही फ़िल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया हो। 

“मधुबनी: द स्टेशन ऑफ़ कलर्स” को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना समूचे बिहार का सम्मान है ख़ासकर मिथिला चित्रकला से जुड़े सभी कलाकारों का। आपको बता दें कि दें कि तत्कालीन डीआरएम समस्तीपुर की पहल पर दिसम्बर 2017 में  लगभग 200 कलाकारों ने दिन रात की मेहनत और लगन से समूचे मधुबनी स्टेशन को मिथिला पेंटिंग से सज़ा दिया। इसके बाद सुलभ संस्थापक डॉ. विंदेश्वर पाठक ने इन कलाकारों को नक़द राशि और सम्मान पत्र से सम्मानित किया और इस फ़िल्म के निर्माण की योजना बनाई। फ़िल्म के निर्देशन की ज़िम्मेवारी उन्होंने कमलेश के मिश्र को सौंपीं जिन्होंने एक बेहतरीन फ़िल्म बनाकर बिहार के लिये यह गौरवपूर्ण क्षण हासिल किया। 

बता दें कि कमलेश के मिश्र मूलतः गोपालगंज जिले के निवासी हैं। वे इन दिनों मुंबई और दिल्ली में फ़िल्म मेकिंग में सक्रिय हैं। इससे पहले 2018 में आयी टॉम ऑल्टर अभिनीत इनकी पहली शॉर्ट फ़िल्म “किताब” की देश विदेश में बड़ी धूम रही।  कमलेश के मिश्र साल 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री के हाथों फ़िल्म “रहिमन पानी” के लिए सम्मानित हो चुके हैं। साल 2006 में इनका लिखा नारा “बेटी बचाओ” देश भर में एक सार्थक संदेश दे रहा है। साल 2015 में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी फ़िल्म “दिनकर” को मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ूब सराहा था।

इस फ़िल्म के सह-निर्देशक सुभाष कुमार हैं, जो मधुबनी के निवासी है और हिंदी सिनेमा निरंतर काम कर रहे हैं , कमलेश के मिश्रा जी का सहायक रूप में।
......

सामग्री स्रोत - सुभाष कुमार
छायाचित्र - परिकल्पना मंच
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com


 








कलाकार नूतन बाला मधुबनी स्टेशन की दीवार पर बनाई गई अपनी पेंटिग और अपनी बहन के साथ



3 comments:

  1. जबरदस्त, बहुत गजब

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रशंसा हेतु धन्यवाद. यदि आप blogger.com में गूगल पासवर्ड से login करने के बाद इसमें कमेंट करेंगे तो blogger.google.com वाला आपका नाम और प्रोफाइल फोटो भी दिखेगा.

      Delete
  2. शुभकामना बहुत बहुत धन्यवाद

    ReplyDelete

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.