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तटस्थ
(Neutral)
कवि- डॉ. विनय कुमार (Poet- Dr. Vinay Kumar)
तुम समुद्र की तरह पुकारना
मैं पेड़ की तरह सुनूंगा
मगर अपनी जगह से
एक इंच भी नहीं हिलूंगा
You call me like a
sea
I shall hear like a
tree
But from my place
Won't move even an inch
पूरा ढीठ हूं मैं
ऐसा वैसा नहीं
तुजुर्बेदार
जैसे तुमने साधा है ज्वार
वैसे ही
मैंने भी आलस
जान गया हूं
कि यह बीमारी नहीं
समझदारी है
I am an absolute
stubborn
Not like a Tom, Dick
and Harry
Fully experienced,
Just as you have
taken to tide
I have hold indolence
And have come to know
That this is not an
ill
Rather, for today’s
time, it’s a pill
तुम बाहर-बाहर हहाना
भीतर-भीतर समाना
जड़ों की जीभ तक
नमक-पानी पहुंचाना
You make noise from
outside
And get deep into me
Bringing salt and
water
To the tongues of the
roots
मगर मैं तुम्हारे लिए
सिर्फ सूखे पत्ते गिराऊँगा
और दुनिया को बताऊँगा
कि तुझे क्या परवाह
मेरे रोके ही रुकती है
तूफान की राह
But I will drop for
you Only dry leaves
And shall tell the
whole world
About you need not
care
That for stopping
hurricane
Here I am who dare
और जब सचमुच तूफान आएगा
मैं हिलूंगा
और उखड़ जाउंगा
फिर पता नहीं
कहां जाकर गिरूंगा
तुम पुकारते रहोगे
समुद्र की तरह
मगर मैं
पेड़ की तरह नहीं सुनूंगा
And when a hurricane
comes such a big
Who moves me
I would be rooted out
Then, I don’t know
Where will I go to
fall down
You would be calling
me like a sea
No one would be there
to hear like me
--
Original poem in Hindi by Dr. Vinay Kumar
Translated into English by Hemant Das ‘Him'
Introduction of the poet: Dr. Vinay Kumar is a renowned Psychiatrist at Manoved Mind Hospital, Patna. He is an excellent contemporary writer in Hindi and 'Amrapali aur anya kavitayen', 'Kanze-tahjeeb ek duniya hai' and 'Ek manochikitsak ki diary' have been published by him before the latest collection of thematic self-composed poems 'Mall me kabootar'. Dr. Vinay Kumar is having a distinguished space in Hindi literature for his effective and easily conveyable style of writing which always keep a strong grip on the main challenges faced by the society and nation.
कवि-परिचय: डॉ.विनय कुमार एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं जो मनोवेद माइंड हॉस्पीटल में कार्यरत हैं. वे हिंदी में समकालीन कविताएँ रचने में अपनी विशेष पहचान रखते हैं. उनकी पुस्तकें, 'आम्रपाली और अन्य कविताएँ', 'कर्जे-तहजीब एक दुनिया है'(गज़ल-संग्रह) और 'एक मनोचिकित्सक की डायरी' नाम से पुस्तकें प्रकाशित तो चुके हैं. उनका वर्तमान कविता-संग्रह 'मॉल में कबूतर' मॉल-संस्कृति के बहाने मानवीय मूल्यों के अपक्षय पर मौन रहकर भी करारा प्रहार करती दिखती है. डॉ. विनय कुुुमार अपनी सुगम, प्रभावकारी और वर्तमान सामाजिक-राष्ट्रीय
मुद्दों से जुड़े लेखन हेतु हिन्दी साहित्य में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं.
Contact Dr. Vanay Kumar: dr.vinaykr@gmail.com
See the report of his book-release in English and Hindi (उनके पुस्तक के लोकार्पण की रिपोर्ट को हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ें) http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/02/26022017-release-of-dr-vinay-kumars.html
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