मास्टर के मस्टरबा कहभो
ते बच्चा पढ़तो कहियो नै
ऐतो-जैतो स्कूल लेकिन
आगू बढ़तो कहियो नै
If you abuse
the teacher
Your child will never
learn
Will go to and come
from school
But into learned one, he would never turn
उत्स ज्ञान के गुरुवे छथनी
गुरुवे से ईंजोर छै
देखै नै छो दस बरस से
केहन घटा घनघोर छै
The origin of
knowledge is the very teacher
Only through him, it’s
light everywhere
Don’t you see, since
last ten years
It’s thunder cloud
here and there
रहलो इहे हाल अगर ते
देश सुधरतो कहियो नै
मास्टर के मस्टरबा कहभो
ते बच्चा पढ़तो कहियो नै
If this remains the
condition
From progress, nation
would get spurn
If you abuse
the teacher
Your child will never
learn
वेतन जब से मिलै लगलै
गुरु चढ़ल छो ऐँख पर
जब विकास के सीढ़ी मिललै
चोट करै छो पैंख पर
Since salary payment
became regular
Teacher is object of
envy
Since one is flying above to progress
On plumes, strike is
heavy
नौकर जब तक बुझतें रहभो
ज्ञान मँजरतो कहियो नै
मास्टर के मस्टरबा कहभो
ते बच्चा पढ़तो कहियो नै
Till you treat
him as a servant
Understanding- child won’t
earn
If you abuse the
teacher
Your child will never
learn
गुरु ते ब्रह्मा, विष्णु, शिव के
धरती पर अवतार छथिन
गुरु ते भव-सागर तड़वैया
माँझी के पतवार छथिन
In Brahma, Vishnu and
Mahesha
The very teacher incarnated on earth
Teacher is a rudder to
boatmen
In the seas of cycle
of birth
मिलतै नै सम्मान गुरु के
ते स्वर्ग उतरतो कहियो नै
मास्टर के मस्टरबा कहभो
ते बच्चा पढ़तो कहियो नै ।
If teacher don’t get
honour
Then the gloom would
never burn
If you abuse the
teacher
Your child would never
learn
.........
Original Poem in Angkika by Kailash Jha Kinkar
Poetic English tranlation by Hemant Das 'Him'
Mobile No. of Kailash Jha Kinkar: 9430042712
कवि-परिचय: कैलाश झा किंकर, अंगिका और हिन्दी के प्रसिद्ध कवि हैं और खगड़िया में रहते हैं. ये 'कौशिकी' नामक साहित्यिक पत्रिका के सम्पादक हैं और इनकी प्रकाशित पुस्तकों में 'मुझको अपना बना के लूटेगा' भी एक है. किंकर की खासियत हैं इनकी सकारत्मकता. तमाम विषमताओं के बीच ये ऊर्जा से परिपूर्ण वांछित स्थितिओं को साकार होते हुए देखते हैं या यूँ कहिए कि उनके अंवेषण में इस तरह से लीन हैं कि वह उन्हें कल्पना नहीं बल्कि एक सत्य दिखता है.
Introduction of Poet: Kailash Jha Kinkar is a well-known poet in Angika and Hindi. He lives in Khagaria and is the editor of a literary magazine titled 'Kaushiki'. One of his published book is titled as 'Mujhko Apna Bana Ke Lootega' (He will rob me after making me his own).The specialty of Kinkar is his optimism. Even among the glut of paradoxes, he finds lining of hopes. This is his absolute identification with the desired worldly set up that makes him unique.
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