**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Friday, 30 June 2017

'मास्टर'- अंगिका कविता अंग्रेजी काव्यानुवाद के साथ / कवि- कैलाश झा किंकर ('Master'- Angika poem of Kailash Jha Kinkar with poetic English translation)

Blog pageview last count: 19601 (Check the latest figure on computer or web version of 4G mobile)
'मास्टर' - अंगिका कविता
('Master'- Angika poem)



मास्टर के मस्टरबा कहभो
ते बच्चा पढ़तो कहियो नै
ऐतो-जैतो स्कूल लेकिन
आगू बढ़तो कहियो नै
If you abuse the teacher
Your child will never learn
Will go to and come from school
But into learned one, he would never turn


उत्स ज्ञान के गुरुवे छथनी
गुरुवे से ईंजोर छै
देखै नै छो दस बरस से
केहन घटा घनघोर छै
The origin of knowledge is the very teacher
Only through him, it’s light everywhere
Don’t you see, since last ten years
It’s thunder cloud here and there

  
रहलो इहे हाल अगर ते
देश सुधरतो कहियो नै
मास्टर के मस्टरबा कहभो
ते बच्चा पढ़तो कहियो नै
If this remains the condition
From progress, nation would get spurn
If you abuse the teacher
Your child will never learn


वेतन जब से मिलै लगलै
गुरु चढ़ल छो ऐँख पर
जब विकास के सीढ़ी मिललै
चोट करै छो पैंख पर
Since salary payment became regular
Teacher is object of envy
Since one is flying above to progress
On plumes, strike is heavy


नौकर जब तक बुझतें रहभो
ज्ञान मँजरतो कहियो नै
मास्टर के मस्टरबा कहभो
ते बच्चा पढ़तो कहियो नै
Till you treat him as a servant
Understanding- child won’t earn
If you abuse the teacher
Your child will never learn


गुरु ते ब्रह्मा, विष्णु, शिव के
धरती पर अवतार छथिन
गुरु ते भव-सागर तड़वैया
माँझी के पतवार छथिन
In Brahma, Vishnu and  Mahesha
 The very teacher incarnated on earth
Teacher is a rudder to boatmen
In the seas of cycle of birth


मिलतै नै सम्मान गुरु के
ते स्वर्ग उतरतो कहियो नै
मास्टर के मस्टरबा कहभो
ते बच्चा पढ़तो कहियो नै ।
If teacher don’t get honour
Then the gloom would never burn
If you abuse the teacher
Your child would never learn
.........
Original Poem in Angkika by Kailash Jha Kinkar
Poetic English tranlation by Hemant Das 'Him'


Mobile No. of Kailash Jha Kinkar: 9430042712

कवि-परिचय: कैलाश झा किंकर, अंगिका और हिन्दी के प्रसिद्ध कवि हैं और खगड़िया में रहते हैं. ये 'कौशिकी' नामक साहित्यिक पत्रिका के सम्पादक हैं और इनकी प्रकाशित पुस्तकों में 'मुझको अपना बना के लूटेगा' भी एक है. किंकर की खासियत हैं इनकी सकारत्मकता. तमाम विषमताओं के बीच ये ऊर्जा से परिपूर्ण वांछित स्थितिओं को साकार होते हुए देखते हैं या यूँ कहिए कि उनके अंवेषण में इस तरह से लीन हैं कि वह उन्हें कल्पना नहीं बल्कि एक सत्य दिखता है. 
Introduction of Poet: Kailash Jha Kinkar is a well-known poet in Angika and Hindi. He lives in Khagaria and is the editor of a literary magazine titled 'Kaushiki'. One of his published book is titled as 'Mujhko Apna Bana Ke Lootega' (He will rob me after making me his own).The specialty of Kinkar is his optimism. Even among the glut of paradoxes, he finds lining of hopes. This is his absolute identification with the desired worldly set up that makes him unique. 








No comments:

Post a Comment

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.