Blog pageview last count: 17240 (Check the latest figure on compter of web verion of 4G mobile)
रुकावटों का हुजूम
नायक परेशान है। वह अपने किसी भी रचनात्मक कार्यों के साथ आगे बढ़ने में सक्षम नहीं है। न तो वह बांग्लादेश की सुंदर साक्षात्कारकर्ता को इंटरव्यू देने में सक्षम है और न ही वह आराम करने में सक्षम है। इस प्रकार की स्थिति का प्रदर्शन दरअसल समाज में एक सही मायने में आम आदमी की स्थिति की अभिव्यक्ति है। अपने पूरी तरह से विनीत, सभ्य, कर्ताव्यनिष्ठा और उद्देश्य की पवित्रता के बाद भी वह कुछ भी करने में सक्षम नहीं होता। वह हमेशा घर के अंदर फजूल के संघर्षों में उलझा रहता है और घर के बाहर भी बेकार की सामाजिक दायित्वों में फँसा अनुभव करता है।
यह नाटक बहुत ही प्रतीकात्मक रूप से हमारे देश के इस परिदृश्य को मंच पर दिखाता है जहां राष्ट्रीय प्रगति को पूरी तरह से रोक देने को बहुत सारे बाधक तत्व हमेशा पुरजोर कोशिश करते रहते हैं।
यह नाटक पति और उसकी अर्धांगिनी के बीच मौखिक झड़प के साथ शुरू होता है और यह लड़ाई नाटक के अंत तक बनी रहती है जहां वह पति-पति और सास-बहू के बीच खुशहाल रिश्ते की घोषणा की कृत्रिम परिणति तक पहुंचती है। यह अंतिम संवाद कि "सुखद अंत दिखाना चाहिए" वास्तव में मानवीय सम्बंधों में उस पतन का रोना है जिसमें मधुरता सिर्फ कल्पना की चीज रह गई है।
नाटक में पति-पत्नी या सास-बहू में से किनके बीच की लड़ाई अधिक जोरदार थी? इस सवाल का जवाब देना उतना ही कठिन है जितना कि किसी की पत्नी के द्वारा अक्सर पूछा गया यह सवाल, "किसे आप अधिक प्यार करते हैं- मुझे या आपकी मां को?"
कहानी में और भी अधिक तीखापन लाने के लिए, नायक का एक लेखक दोस्त है जो अपनी आने वाली फीचर फिल्म के क्लाइमेक्स का वर्णन करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। माँ के किराए के घर की खोज का एक अलग मुद्दा है जहां वह अपने सतानेवाली बहू से दूर रह सकती है। और घर की खोज में उत्कट संलग्नता ने उसे एक पूर्ण पागल बना दिया है। नौकरानी को नायक से और भी प्यार करने वाले व्यवहार की अपनी उम्मीद है एक और महिला अपने मोबाइल फोन पर अपने पहले पति बिल्लु को नायक में ढ़ूँढ रही है । इसी बात को पक्का करने के लिए वह बार-बार फोन करती है। दरवाजे की घंटी भी बिल्कुल तभी बजती है, जब नायक किसी तरह से सभी बातों को निबटाने के बाद आराम करना चाहता है।
दो प्लंबर और एक सीआईडी इंस्पेक्टर भी बारी-बारी से नायक पर नये प्रकार के हमलों के साथ आते हैं। घर में पाइपलाइन इतनी इतनी रिसने वाली है कि घरेलू बाढ़ का डर जल्द आने का संकट है। इंस्पेक्टर, नायक के घर से एक आतंकवादी या सेक्स रैकेटियर को जबर्दस्ती प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है ताकि वह अपने पेशे के लिए एक केस पा सके। 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो' फोन की घंटी इतनी बार बजती है कि इस नाटक के बाद कोई भी इस गाने को फिर से सुनने की हिम्मत नहीं कर सकता। दरवाजे पर घंटी जल्दी-जल्दी और बार-बार की आवाज़ "कभी तो खोलो" बोलती है । संक्षेप में, नाटक पूरी तरह से तबाह नायक के जीवन की एक झाँकी है।
नायिका माया के रूप में रूबी खातुन और नायक के रूप में रवि राज / सौरभ कुमार ने अपने अभिनय के अद्भुत नमूनों को प्रस्तुत किया। दोनों पूरी तरह से परिपक्व हैं और पात्रों की भावनाओं को जीवंत ढंग से व्यक्त करने में सक्षम दिखे। बिल्लू की पूर्व पत्नी ने भी दर्शकों पर अपना प्रभाव "काट दिया फोन" तकियाकलाम के साथ छोड़ा। मित्र (फिल्म की कहानी का लेखक) ने शानदार काम किया। निरीक्षक भी हर मामले में एक आतंकवादी या रैकेटियर को हर समय सूँघते हुए एक आतंक पैदा करने में सफल रहा। नौकरानी और प्लंबर ने निर्देशक के बताये अनुसार अच्छा काम किया। दरवाजे की घंटी पर व्यक्ति का प्रदर्शन उत्तम था। ध्वनि प्रणाली उचित थी और कई कट-ऑफ के बाद त्वरित पुनर्रचना का प्रबंधन कर पाने वाली प्रकाश-व्यवस्था बहुत अच्ची थी।
नाटक की मांग के अनुसार मंच-सज्जा और रूप-सज्जा पूरी तरह से अनुकूल थीं। जया एननई की मूलकथा को रणजीत कपूर द्वारा नाटक में ढाला गया है। हालांकि उन्होंने एक प्रशंसनीय काम किया है पर कहानी का चयन कुछ और बेहतर हो सकता था। उनके पास और अधिक प्रासंगिक व्यंग्यात्मक कहानी को चुनने के अधिक विकल्प हो सकते थे। एक शुद्ध कॉमेडी में अंतर्निहित संदेश केवल एक आलोचक द्वारा देखे जा सकते हैं न कि साधारण दर्शक के द्वारा। निर्देशक विनोद राय का निर्देशन काफी अच्छा था और विशेष बात यह है कि वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले कुछ बच्चों में नाटकीय कौशल भरने में सफल रहे।
प्रेमचंद रंगशाला, पटना में नाटक की हुई यह पूरी प्रस्तुति सराहना करने योग्य है।
................................
आप hemantdas_2001@yahoo.com पर ई-मेल के माध्यम से इस लेख के लेखक को आपकी प्रतिक्रिया भेज सकते हैं
No comments:
Post a Comment
अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.
Note: only a member of this blog may post a comment.