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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Tuesday 23 July 2019

"एक शाम नीरज के नाम" धरोहर द्वारा पटना में 21.7.2019 को भव्य कार्यक्रम प्रस्तुत

 "कारवां गुजर गया गुब्बार देखते रहें!"
महामहिम राज्यपाल और अन्य गणमान्य थे उपस्थित

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नीरज के गीतों में, प्रेम, विरह, श्रृंगार सबकुछ था। उनके गीत "कारवां गुजर गया गुब्बार देखते रहें, शोखियों में घोली जाए थोड़ी - सी शराब, ये प्यासों का प्रेम सभा है, यहां संभलकर आना जी, ऐ भाई जरा देख कर चलो' जैसी कविताओं को भला कौन भूल सकता है? 

पटना के बी आई ए सभागार में आयोजित और धरोहर संस्था द्वारा प्रस्तुत" एक शाम नीरज के नाम 'समारोह का उद्घाटन करते हुए बिहार के राज्यपाल महामहिम श्री लालजी टंडन ने उपरोक्त विचार प्रकट किया।

कार्यक्रम की शुरुआत 'नीरज' के उन गीतों से हुई, जिसे वीडियो एल्बम के रुप में प्रस्तुत किया - वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आलोक राज ने सुनाया -
"आदमी को आदमी बनाने के लिए 
जिंदगी में प्यार की कहानी चाहिए!"

इस भव्य और यादगार समारोह में, साहित्य से लेकर, राजनीति और विज्ञान सै लेकर ब्यूरोक्रेसी तक के लोगों की जबरदस्त भीड़ थी।

समारोह में गोपालदास 'नीरज' के पुत्र शशांक प्रभाकर की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण रही जिन्होंने सुनाया-
"मैं सोच रहा/ अगर तीसरा युद्ध हुआ /
इस नई सुबह की नई फसल का क्या होगा.!"

इस समारोह में सांसद आर के सिन्हा, आलोक राज और शशांक प्रभाकर के अतिरिक्त डॉ. गोपाल प्रसाद सिंहा, सूरज सिन्हा, सुरेश अवस्थी,  कुमार रजत, मधुरेश नारायण, राजकुमार प्रेमी, कुमारी राधा, सिद्धेश्वर आदि की उपस्थिति  दर्ज हुई।

सभी विद्वानों ने एक मत से कहा कि - "नीरज की कविताओं में सबकुछ था- प्रेम, विरह, सौंदर्य, दार्शनिकता, आध्यात्म।" नीरज ने स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं किया और फिल्म ग्लैमर वाली दुनिया को छोड़कर वापस अपने शहर अलीगढ़ आ गए।

इस समारोह में आमंत्रित मात्र चार कवियों ने काव्य पाठ कर, 'नीरज' के प्रति श्रद्धा अर्पित किया। शशांक प्रभाकर के बाद सुरेश अवस्थी ने सुनाया- 
"सांई इस संसार में, ऐसे मिले फकीर
भीतर से लादेन है, बाहर बने कबीर! 

कुमार रजत ने कविता की शुरुआत की-
"गीतों-ग़ज़लों का सूरज हो
सुननेवालों को अचरज हो
सूनी महफ़िल की ख्वाहिश है
मंचों पे फिर से नीरज हो।" 

उनकी और एक कविता थी-
"इक जिद्द ने साजिश बड़ी की है
हम कहीं रोए नहीं थे, इश्क ने कहीं गड़बड़ी की है"!
......

आलेख - सिद्धेश्वर 
छायाचित्र - सिद्धेश्वर तथा अन्य
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com





 

















4 comments:

  1. वाह्ह!अति सुन्दर!पुज्य हैं कवि नीरज जिनकी समझ समय से कहीं आगे थी। 🙏🙏

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    1. धन्यवाद। blogger.com में गूगल पासवर्ड से login करने के बाद यहां टिप्पणी करने आए आपका ब्लॉगर प्रोफाइल वाला फोटो और नाम यहां दिखना चाहिए।।

      Delete
  2. प्रेम की भाषा लिखने वाले गीतकार गोपाल दास नीरज किसे प्रिय नहीं होंगे। उनकी याद में एक भव्य और यादगार समारोह। सुंदर रिपोर्ट।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद महोदय।

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