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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Friday, 19 July 2019

एक आम पीड़ित भारतीय पति की डायरी / हास्य कथा

हास्य कथा
कैटरीना खूबसूरत है या दीपिका इस पर डिबेट चल रहा है 
मगर मेरे ख्यालों मे तो है श्रीमती का तमतमाया चेहरा

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लेखक - प्रकाश रंजन 'शैल'

सुबह-सुबह कैंडी क्रश की सात लेवलें पार कर गया। दिन शायद अच्छा गुजरे मगर जाने क्यूँ श्रीमती गुस्से मे दिख रही हैं!

सब खैरियत हो अखबार में घुस जाऊँ। मोदी जी ने अच्छे दिनों के लिए कुछ घोषणाएं और कर दी हैं मगर श्रीमती की त्यौरियां चढी हुयी हैं। 

चलूँ  बालकनी में। पड़ोसन सामने बाल संवार रही है। चेहरा खिल उठा है। कनखियों से मगर देखता हूं तो श्रीमती अब भी नाराज दिखती हैं। 

सबेरे निकल लूँ आज। कार्यालय में दिन सामान्य-सा है। कैटरीना खूबसूरत है या दीपिका इस पर डिबेट चल रहा है मगर मेरे ख्यालों मे तो श्रीमती का लाल-लाल तमतमाया चेहरा नाच रहा है।

ओवरटाइम कर लेता हूँ मगर शाम को आफिस से घर लौटते कदम भारी हैं। पटना जंक्शन वाले महावीर मंदिर होते हुए डरते-सहमते वापस लौटा हूँ। श्रीमती बच्चों पर गुस्सा उतार रहीं है आज यकीनन कुछ होने वाला है।

मोबाइल, टीवी खतरनाक हैं सो बच्चों को पढाने को दुबक गया हूं। बीच-बीच मे हालात की बानगी लेता हूँ पर श्रीमती के सामान्य होने के आसार नही दिखते।

भारत ने पाकिस्तान से मैच जीत लिया है। मन खुश होना चाहता है उछलना चाहता है मगर श्रीमती के खौफ से जब्त कर लेता हूं। 
"जान है तो जहान है -
भारत और पाकिस्तान है।"

खाने की मेज पर खामोशी का साया है। पिन-ड्रॉप साइलेंस पसरा हुआ है और श्रीमती जी के तेवर अब भी चढे हुए हैं मेरा मन बुरी तरह से घबड़ाया हुआ है।

सिरहाने मे हनुमान चालीसा रख जल्दी से सो जाना हितकारी है मगर रात खौफनाक डरावने ख्वाबों से भरी हुयी होगी, यह सोच काँप उठता हूँ।

"पत्निम शरणं गच्छामि" - ज्ञान की प्राप्ति होती है और चरणागत हो जाता हूँ। 

"हे बच्चों की अम्मां, यह जो तुमने दुष्टों का संहार करनेवाला रूप धरा है उससे मेरा मन भावी अनिष्ट के लिए सशंकित है। अपने शरण मे आए हुए इस तुच्छ प्राणी का कल्याण करो बच्चों की माते। तुम जिस तरह जिस हाल मे रखोगी मै रह लूंगा किन्तु तुम्हारे मुखमंडल का यह तेज अब न सह सकूंगा प्रिये!"

श्रीमती के चेहरे पर अब मुस्कान है, 
हे दया की मूर्ति तू कितनी महान है।
(- एक आम पीड़ित भारतीय पति के एक आम दिन की ईमानदारी से की गयी डायरी इंट्री)
......

लेखक - प्रकाश रंजन 'शैल'
लेखक का ईमेल आईडी - prakashphc@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com

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