अलौकिक आनंद में डुबोती स्वर लहरी
नीता सूरमा के गायन और केशव गिंडे का बांसुरी वादन
(कार्यक्रम के वीडियो का लिंक नीचे देखिए)
संगीत एक यात्रा है शरीर से आत्मा की, लौकिकता से अलौकिकता की, बंधन से मुक्ति की, भटकन से स्थायित्व की और व्याकुलता से शांति की. आज के जीवन में जहाँ लोगों को साँस लेने की फुरसत नहीं है वहाँ संगीत-श्रवण में बिताये गए दो पल यह बताते हैं कि असली जीवन तो दर असल यही है जब हम कोई दुनियादारी का कोई काम नहीं कर रहे होते हैं बल्कि सीधा-सीधा आत्मिक सुख पा रहे होते हैं । हमारी तमाम व्यस्तताओं का अंतिम उद्देश्य यही है ।
नीता सूरमा और केशव भिंडे जैसे राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात कलाकारों के कार्यक्रम का संचलन नृत्य निर्देशिका और कलाकार पल्लवी विश्वास ने किया । भारतीय नृत्य कला मंदिर , पटना मे आकाशवाणी संगीत सम्मेलन का आयोजन किया गया । आकाशवाणी पटना द्वारा आयोजित इस सम्मेलन मे दिल्ली की नीता सूरमा ने उप शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया , उनके साथ तबले पर संगत कर रहे थे आकाशवाणी दिल्ली के मशहुर कलाकार उस्ताद अख़्तर हसन , सारंगी पर पंडित भारतभूषण गोस्वामी और हारमोनियम पर उस्ताद बद्लु खान । नीता सूरमा ने सुधि श्रोताओं के समक्ष राग मिश्र खमाज मे ठुमरी , राग कसुरी भैरवी मे दादरा के साथ-साथ चैती, झूला और बारहमासा की प्रस्तुत की ।
नीता सूरमा की प्रस्तुति के बाद पुणे से पधारे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बांसुरी वादक पंडित केशव भिंडे ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं का मन मोह लिया । उन्होने राग विहाग, पीलू और भैरवी मे प्रस्तुति दी। उनके साथ तबले पर संगति कर रहे थे पुणे के मशहूर तबला वादक डॉ अरविंद कुमार आज़ाद । बांसुरी वादक पंडित केशव भिंडे को अपनी अनोखी स्वनिर्मित बांसुरी केशव वेणु के लिए भी जाना जाता है ।
आकाशवाणी पटना के सहायक निदेशक (कार्यक्रम) डॉ किशोर कुमार सिन्हा ने बताया कि आकाशवाणी संगीत सम्मेलन देश के सबसे पुराने शास्त्रीय संगीत समारोहों मे से एक है जो सन 1954 से देश मे आयोजित किया जाता है । आज के दिन दिनांक 6 अक्टूबर 2018 को देश के 24 शहरों मे आकाशवाणी संगीत सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिनमे से पटना को भी ये सौभाग्य प्राप्त हुआ है ।
भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना मे कि गई आज कि प्रस्तुतियों को देश भर के महत्वपूर्ण आकाशवाणी केन्द्रों से दिनांक 7 दिसम्बर 2018 और 10 दिसम्बर 2018 को रात्रि 10 बजे प्रसारित किया जायगा।
कार्यक्रम के दौरान सभागार में लगातार भारी संख्या में श्रोतागण की उपस्थिति बनी रही. वे सभी अत्यंत शिष्ट और सभ्य रसप्रेमी श्रोता थे जिन्होंने बहुत ही शांति से संगीत का रसास्वादन किया. भावातिरेक से अधिकांशत: वे मौन और स्तब्ध बने रहे किन्तु बीच बीच में तालियों की गड़गड़ाहट देने से स्वयं को नहीं रोक पाए. ऐसे मनोहारी और यादगार कार्यक्रम के आयोजन हेतु आकाशवाणी निश्चित रूप से बधाई की पात्र है.
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आलेख प्रस्तुति- डॉ. नीरजा दास
चित्र - बिनय कुमार
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