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अधर्शतक से अधिक संख्या में कवियों ने काव्य गंगा प्रवाहित की
कविता विचारों और भावों की स्वतंत्र और सुंदर अभिव्यक्ति का दूसरा नाम है. कविताओं का असली स्वरूप तब निखरता है जब वह विशुद्ध साहित्यिक दृष्टिकोण से बिना किसी खास विचारधारा का अनुगामी बने लिखी जाय. इस परिपेक्ष्य में राष्ट्रीय कवि संगम से बहुत आशाएँ रखीं जा सकती हैं.
पटना। दिनांक 28 जनवरी 2018 (रविवार) को'राष्ट्रीय कवि संगम' के तत्वाधान में प्रथम बार बिहार में आयोजित कवि सम्मेलन में पटना समेत कई जिलों के 50 से भी अधिक प्रतिनिधियों कवियों ने जमकर काव्य-धारा बहाई। 6 घंटे तक चले इस कार्यक्रम का उद्घाटन झारखंड से आए नव्यव्याकरणाचार्य एवं मुख्य अतिथि पंकज झा द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर अविनाश कुमार पांडेय के संयोजकत्व में राष्ट्रीय कवि संगम की बिहार इकाई का गठन किया गया तथा 6 जिला इकाइयों का भी गठन किया गया। इस मौके पर पंकज झा ने अपने संस्कृत गीतों से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। सामुदायिक भवन, शिवपुरी (अनीसाबाद), पटना में आयोजित यह कवि सम्मेलन कवियों की भागीदारी ने संख्या के लिहाज से अर्धशतक को भी पार कर लिया.
प्रसिद्ध शायर समीर परिमल ने सुनाया
'किस्मत जाने कैसे कैसे खेल दिखाने वाली है
दुनिया बन गई करणी सेना, तन्हा दिल भंसाली है'
डॉ. रामनाथ शोधार्थी ने सुनाया
'रात भर थपथपाया है ख़ुद को
जैसे तैसे सुलाया है ख़ुद को'
नालंदा से आये युवा कवि संजीव मुकेश ने मगध की धरती पर अपनी मगही व्यंग रचना
'ई ससुरी चाय! बड़ी बलाय,
जे घर जाहूं ओजय मिल जाय! ई ससुरी चाय!'
से लोगों को खूब गुदगुदाया व तालियां बटोरीं।
अंजनी कुमार सुमन जी ने 'सब मुहब्बत करे वो जमाना तो दो' सुनाया।
दरभंगा के विनोद कुमार हसौड़ा जी
ने वीर रस एवं हास्य रस की रचनाओं से दर्शकों को लोटपोट कर दिया। राजगीर की डॉ रेखा सिन्हा ने भी रचना पढ़ी।
नालंदा के मनीष रंजन ने ओज की कविता सुनाकर सबका दिल जीतने का प्रयास किया।
जहानाबाद के सागर आनंद ने गज़ल पेश किया। समस्तीपुर से विजय व्रत कंठ के द्वारा रचना पढ़ी गई।
कवि सम्मेलन का संचालन किया कुमारी स्मृति कुमकुम ने तथा अध्यक्षता की डॉ सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य ने। उपस्थित अन्य महत्वपूर्ण कवियों में कवि घनश्याम, गणेश जी बागी, सिद्धेश्वर, नसीम अख्तर, स्वराक्षी स्वरा, नेहा नारायण सिंह, सरोज तिवारी, अरुण कुमार राय, सुरज ठाकुर, संजीव मुकेश, अक्स समस्तीपुरी, मधुरेश नारायण, विकास राज आदि ने दर्शकों की खूब वाह वाही लूटी। धन्यवाद ज्ञापन संयोजक अविनाश कुमार पांडेय ने किया। सभी कवियों को 'राष्ट्रीय कवि संगम' द्वारा प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया।
यह काव्य संगठन कविसमूह को एकत्र करके साहित्य साधना के वास्तविक उद्देश्य को प्रचारित प्रसारित करने में बड़ा योगदान देता रहेगा ऐसा सोचना वाजिब होगा.
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