**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Saturday, 27 January 2018

भारत के तीन प्रसिद्ध कवियों का सम्मेलन सेंट स्टीफेंस स्कूल, पटना में 26.1.2018 को सम्पन्न

Main pageview-58209  (Check the latest figure on computer or web version of 4G mobile)
कानपुर, नैनीताल और पटना का संगम गणतनत्र दिवस पर 


कड़ाके की ठंढ और ऊपर खुला आकाश
फिर भी नहीं डिगेंगे अगर तुम हो मेरे पास

कुछ ऐसा ही समाँ हो जाता है जब भारत के तीन अति लोकप्रिय कवि-कवयित्री सुरेश अवस्थी, समीर परिमल और गौरी मीश्रा मंच पर आ जाते हैं भले ही दो घंटे बाद ही सही.  लोग परेशान थे कि वे उठना चाह रहे हैं  उठ ही नहीं पा रहे हैं ऐसी जोरदार कविता और हास्य-प्रसंगों को छोड़कर जायें भी तो कैसे? नैनीताल की गौरी मिश्रा तो एक आकर्षण थीं हीं किन्तु कानपुर के सुरेश अवस्थी और पटना के समीर परिमल ने अपनी अत्यंत घनीभूत भाव और संदेशों वाली कविताएँ पढ़ कर बता दिया कि उन्हें भारत का अत्यंत लोकप्रिय कवि क्यों कहा जाता है. 

अनेक बड़ी हस्तियाँ उपस्थित थीं जनमें कुछ पद्मश्री से सम्मानित सम्माननीय अतिथि भी थे. स्कूल के अधिकारियों और शिक्षकों द्वारा सभी अतिथियों का सम्मान किया गया. उसके पश्चात एक घंटे का कवि सम्मेलन हुआ जो लगभग डेढ़ घंटे चला. ठंढ इतनी ज्यादा थी कि कार्यक्रम को और लम्बा करने से डॉक्टरों से साँठ-गाँठ कर सर्दी के बीमारों के बढ़ाने का आरोप लग सकता था. सुरेश अवस्थी ने बखूबी संचालन किया और बीच-बीच में हास्य-प्रसंंंग सुनाते रहे. दर्शक कविताओं के रसास्वादन से उबर नहीं पाते थे कि नया प्रसंग सुनकर हँसते-हँसते लोट-पोट हो जाते. आधुनिक बाबाओं और उनके तथाकथित आश्रमों को भी इन प्रसंगों में याद किया गया.

सबसे पहले गौरी मिश्रा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. फिर समीर परिमल का कव्य पाठ हुआ. उनके पश्चात गौरी मिश्रा ने अपनी अन्य कविताएँ पढीं और अंत में सुरेश अवस्थी ने पढ़ा. तीनो कवि आज की परिस्थितियों पर व्यंग्य वाण छोड़ते रहे दर्शकों का हँसते हँसते हाल बुरा हो रहा था.

'दिल्ली चीखती है' नामक बहुचर्चित गज़ल संगरह के रचयिता समीर परिमल की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार थीं-
किस्मत जाने कैसे कैसे खेल दिखाने वाली है
दुनिया बन गई करणी सेना, तन्हा दिल भंसाली है

मैं बनाता तुझे हमसफर ज़िंदगी
काश आती कभी मेरे घर ज़िंदगी
तू गुजारे या जी भर के जी ले इसे
आज की रात है रात भर ज़िंदगी
हम फकीरों के काबिल रही तू कहाँ
जा अमीरों की कोठी में मर ज़िंदगी.
श्रोताओं ने तालियों की गडगड़ाहट से खूब सराहा.

गौरी मिश्रा ने बाबाओं पर चुटकी लेने के बाद माँ की बेटियों कि चिंता पर एक कविता पढ़ी जो काफी संज़ीदा थी.
फिर सोलह साल की अवस्था में ही ब्याह दी गई लड़की की पति की व्यस्तताओं के कारण उत्पन्न विरह-वेदना को शब्दों में पिरोकर सुनाया. 

नजर भर कर जो इक आशियाँ को मैं देख लेती हूँ
उसी एक पल में सारे गुलसिताँ को देख लेती हूँ
सफर में साथ रखती हूँ मैं छोटा सा इक आईना
अगर फुर्सत मिले अपनी ही माँ को देख लेती हूँ

लहर लहर लहराई ज़ुल्फें हिरणी जैसी चाल हुई
बंधी पाँव में प्रीत की पायल उमर जो सोलह साल हुई
तू ने फिकर नहीं की मेरी उलझा रहा जमाने में
सारी उमर गँवा दी अपनी पैसे चार कमाने में
तुझको क्या तेरी खातिर तो घर की मुर्गी दाल हुई.
श्रोताओं ने उन्हें तालियों की थाप दे देकर ताल में ताल मिलाया.


अंत में सुरेश अवस्थी ने हास्य प्रसंगों को सुनाकर सबको हँसाते हँसाते लोट पोट कर दिया. उनकी कुछ पंक्तियाँ थीं-
लगता है कि आजकल हम अपनेआप से ही खपा हो गए हैं
अब हम हिन्दू मुसलमान भी नहीं रहे सच तो ये है कि अब हम कांग्रेस और भाजपा हो गए हैं

हमारे सैनिक सीमाओं पर अकेले नहीं लड़्ते
उनके साथ बहन की राखी,  भाई की भुजाएँ, माँ का आँचल, पिता की पगड़ी, दादी की दुआएँ, बाबा का बेंत, बच्चों की किलकारियाँ और पत्नी के सिन्दूर के साथ-साथ पूरा देश लड़ता है.
.
इस तरह से यह कवि सम्मेलन बहुत ही सहजता के साथ लोगों को आज के तनावपूर्ण माहौल में ठहाके लगाने पर मजबूर करते हुए गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर देशप्रेम की अलख जगाते  हुए समाप्त हुआ.
....
आलेख- हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र- हेमन्त 'हिम'
ईमेल- hemantdas_2001@yahoo.com
















































No comments:

Post a Comment

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.