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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Friday, 6 December 2019

"लेख्य मंजूषा" की तृतीय वर्षगांठ, -- एक रपट / दिनांक 4.12.2019 स्थान पटना

संस्मरण में झूठ की गुंजाइश नहीं पर उसमें साहित्यिकता जरूर हो

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साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था "लेख्य मंजूषा" का तृतीय वर्षगांठ, साहित्योत्सव के रुप में,खूब धूमधाम से मनाया गया। सैंकड़ो कवि कथाकारों ने एक से बढ़कर एक कविता, लघुकथा और संस्मरणात्म आलेख प्रस्तुत कर, एक यादगार समारोह के शक्ल में बदल दिया। लेख्य-मंजूषा द्वारा आयोजित इस वार्षिकोत्सव समारोह में साहित्यकार कृष्णा सिंह ने अपनी लघु चलचित्र 'षड्यंत्र' के माध्यम से अपनी एक मिसाल रखी। चार सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्था की त्रैमासिकी पत्रिका 'स्पंदन' का विमोचन किया गया। 

साथ ही साथ साझा पद्म संगह "विह्वल हृदय धारा" पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। पुस्तक  विमोचन के समय डां सतीशराज  पुस्करणा, भावना शेखर, राहूल शिवाय  तथा सिद्धेश्वर, लता प्रासर, घनश्याम, मधुरेश नारायण, विभा रानी श्रीवास्तव आदि  साहित्यकारों की सहभागिता रही। 
       
संस्था की अध्यक्ष वरिष्ठ कवयित्री और लघुकथाकार डां विभा रानी श्रीवास्तव के नेतृत्व में मंचासिन डॉ. अनिता राकेश, ध्रुव कुमार, डां सतीशराज पुष्करणा, भगवती प्रसाद द्विवेदी के अतिरिक्त कवि घनश्याम,  नीलांशु रंजन, मधुरेश शरण, नसीम अख्तर आदि  पचास से अधिक कवि, लघुकथाकार, साहित्यकारों की शानदार उपस्थिति ने समारोह को यादगार बना दिया। 

डां  सतीशराज पुष्करणा ने संस्मरणात्मक बारिकियों पर चर्चा करते हुए कहा कि - "संस्मरण में जो कुछ भी होता हो सत्य होता है। इसमें झूठ की कोई गुंजाईश नहीं होती।  स्मरण में विस्तार की कोई गुंजाइश नहीं होती। जो आत्म संस्मरण में संभव है। किंतु जो  कुछ भी लिखा जाए उसमें  साहित्यिकता जरुर हो।" 

कवि घनश्याम ने, समारोह पर  विस्तार से प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि  "पटना की महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था लेख्य मंजूषा के सुसंयोजित, सफल और भव्य तृतीय वार्षिक साहित्योत्सव में सम्मिलित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ।"

संस्था की यशस्वी अध्यक्षा विभा रानी श्रीवास्तव के कुशल नेतृत्व में यह संस्था निरन्तर प्रगति कर रही है और साहित्य की विभिन्न विधाओं पर संस्था के सदस्यों में  अभिरुचि उत्पन्न करने के अलावा प्रमुख साहित्यकारों के निर्देशन में कार्यशालाएं आयोजित कर उन्हें प्रशिक्षित भी कर रही है

कल इसकी गतिविधियों में एक नया आयाम जुड़ गया जब इस संस्था के सदस्यों द्वारा 'षडयंत्र' शीर्षक लघुकथा पर आधारित एक टेलीफिल्म का प्रदर्शन भी किया गयाइस टेलीफिल्म में लेख्य मंजूषा के सदस्यों का सशक्त अभिनय देखकर लगा ही नहीं कि ये पहली बार अभिनय कर रहे हैं

हाइकू दिवस पर हाइकू के अलावा लघुकथा,संस्मरण, गीत, ग़ज़ल, कविता के प्रस्तुतिकरण, चर्चा, परिचर्चा, पुस्तक लोकार्पण आदि के विविध आयामी आयोजन के सफल  रहा।"
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आलेख - सिद्धेश्वर
छायाचित्र - सिद्धेश्वार
रपट के लेखक का ईमेल - sidheshwar poet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com 
नोट - इसी कार्यक्रम पर दूसरी रपट देखिए- यहाँ क्लिक कीजिए











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