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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Sunday, 20 October 2019

डा. सुधा सिन्हा के प्रथम कविता संग्रह "गगरिया छलकत जाय " का लोकार्पण 18.10.2019 को पटना में सम्पन्न

स्वजन तेवर बदल कर बोलते हैं / सच्चाई भी संभल कर बोलते हैं

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"कविता पीड़ा हरती है। एक नई उर्जा प्रदान करती है।
एक शेर है कि - "बात बेसलीका हो भली/ बात कहने का सलीका चाहिए। "
-और यही सलीका सिखाती है कविता।

अभिव्यक्ति की आरंभिक विधा है कविता। किंतु कविता अपने फार्म में होना चाहिए। लालित्यपूर्ण ढंग से कही गई पंक्तियां कविता है। यदि उसमें लयात्मकता न हो। तो वह गीत नहीं। काफिया नहीं, छंद नहीं तो वह गजल क्यों? त्रुटियों से भरी रचनाएं हमारी छवि बिगाड़ देती है। बेहतर हो कि रचनाओं को संशोधन के बाद प्रकाशित करवाया जाए। सुधा सिंहा की यह काव्य पुस्तक स्वागत योग्य है किंतु प्रकाशन के पहले इन कविताओं का संशोधन होता, तो बात कुछ और होती।  कुछ ऐसी ही चर्चा चल पड़ी मंच पर बैठे अतिथि साहित्यकारों के द्वारा।

अतिथि रामउपदेश सिंह ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक में टिकाऊ और बड़ी कविता लिखने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है।

मुख्य अतिथि जियालाल आर्य ने कहा कि इस पुस्तक में आत्मीय ढंग से लिखी हुई कविताएं हैं। नृपेन्द्रनाथ गुप्त ने कहा कि  डॉ सुधा की कविताओं में मोती की सुगंध है।  

अपने अध्यक्षीय उद्बबोधन के पश्चात अनिल सुलभ ने कहा कि - 
"कौन सा गम खा रहा तुझको सुलभ? 
वह राज कहो जो तुम्हारे दिल में है।"     

कवि गोष्ठी का आरंभ हुआ तो कवि घनश्याम ने कहा कि - 
"स्वजन तेवर बदल कर बोलते हैं।
सच्चाई भी संभल कर बोलते हैं।
इसे घनश्याम की खूबी समझिए। 
जहां पर जाते , जमकर बोलते हैं। "

दूसरी तरफ  डा मेहता नागेन्द्र सिंह ने कहा कि --
" दौलत नहीं मगर, शोहरत मेरे पास है
कुदरत का हूं सेवक, कुदरत मेरे पास है।

 सिद्धेश्वर ने की मुक्तक पेश किया -
"झूठ और कत्लेआम को, संघर्ष का नाम न दो 
सुना है, इस आजाद मुल्क में, इंसानियत कहीं लेट गई है!"

विजय गुंजन ने  गत्यात्मक  दो गीतों का सस्वर पाठ किया।

इसी तरह की सारगर्भित कविताओं से गूंजता रहा बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का सभागार। अवसर था- डॉ.सुधा सिन्हा की काव्य कृति "गगरिया छलकत जाए" के लोकार्पण का।

इस अवसर पर कवि घनश्याम/शंकर प्रसाद, श्रीकांत व्यास, मेहता नागेन्द्र सिंह, ओम प्रकाश. पांडेय ,श्याम जी सहाय,कल्याणी सिंस, कालिनी त्रिवेद, जनार्दन प्रसाद, पंचूराम, पुष्पा जमुआर,/पूनम श्रेय, अनुपमा, कुमारी मेनका, जय प्रकाश पुजारी, मीना कुमारी परिहार, मनोज गोवर्ध, इंदुमाधुरी, सिंधु कुमारी। पूरे समारोह का संचालन किया योगेन्द्र मिश्र ने। 

योगेन्द्र मिश्र और कार्यक्रम अध्यक्ष अनिल सुलभ आदि ने  कविताओं का पाठ कर श्रोताओं को मनमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम दिनांक 18.10.2019 को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना के सभागार में आयोजित हुआ था।
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प्रस्तुति - सिद्धेश्वर
छायाचित्र - सिद्धेश्वर
लेखक का ईमले - sidheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejdindia@yahoo.com












 







1 comment:

  1. सुन्दर और सार्थक रिपोर्टिंग

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