**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Wednesday, 13 March 2019

पटना संग्रहालय और दरभंगा के लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय के कलावस्तुओं के संरक्षण का कार्य एनआरएसीसी लखनऊ को सौंपा गया



कला और संस्कृति जीवन जीने हेतु अनिवार्य नहीं है किन्तु एक मनुष्य का मनुष्य बने रहना इनके बिना संभव नहीं है। संस्कृति प्रवाहमान है। हर युग में कुछ चीजें छूटती जातीं हैं तो कुछ नई चीजें शामिल होती जाती हैं. लेकिन क्या छूट गया यह जानना जरूरी होता है। पटना संगहालय महाराजाधिराज लक्ष्‍मीश्‍वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा में ऐसी अनेकानेक दुर्लभ कलावस्तुएँ हैं जिनके सुरक्षित बचे रहने हेतु उनका उच्च स्तरीय संरक्षण आवश्यक है। 

इसी परिप्रेक्षय  में हाल ही में बिहार सरकार के सम्बंधित विभाग द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है और इस सम्बंध में महत्वपूर्ण करार भी हुए हैं। 12 मार्च, 2019 को एनआरएलसीसी, लखनऊ  के कार्यालय में एमओयू पर  हस्ताक्षर किए गए। महाराजाधिराज लक्ष्‍मीश्‍वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा के अध्‍यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्र के अनुसार निश्चय ही बिहार के धरोहर संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा किया गया यह अत्‍यन्‍त ही महत्‍वपूर्ण कदम है जिसमें पहली इतनी बड़ी कार्य योजना को स्‍वीकृति दी गई है। 

हाथी दांत से निर्मित कला वस्‍तुओं की दृष्टि से देश का सबसे समृद्ध एवं दुर्लभ संग्रह यहां है डॉ. मिश्र ने बताया कि राज्‍य सरकार के कला संस्‍कृति एवं युवा विभाग द्वारा पटना संग्रहालय एवं महाराजाधिराज लक्ष्‍मीश्‍वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा में रखे गए कलावस्‍तुओं के संरक्षण का कार्य भारत सरकार की संस्‍था राष्‍ट्रीय सांस्‍कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला (National Research Laboratory for Conservation of Cultural proerty), लखनऊ को सौंपा गया है। महाराजाधिराज लक्ष्‍मीश्‍वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा के अध्‍यक्ष की हैसियात से उनके तथा एन.आर.एल.सी.सी., लखनऊ के महानिदेशक प्रो. मैनेजर सिंह द्वारा मंगलवार को एम.ओ.यू. पर किए गए हस्‍ताक्षर के अनुसार प्रथम चरण में (म.ल.सि.सं.) दरभंगा संग्रहालय के हाथी दांत तथा काष्‍ठ निर्मित दुर्लभ कलावस्‍तुओं के संरक्षण का दायित्‍व दिया गया है। 

ध्यातव्य है कि बिहार के मुख्‍यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा पिछले नवंबर, 2017 में दरभंगा संग्रहालय के भ्रमण के क्रम में हाथी दांत से निर्मित कला वस्‍तुओं के अविलंब संरक्षण करवाने का निदेश अधिकारियों को दिया गया था। इसी आलोक में लखनऊ से दो पदाधिकारी बिहार आए थे और पटना एवं दरभंगा संग्रहालयों के सामग्रियों के संरक्षण हेतु प्राक्‍कलन तैयार किया गया था। 

डेढ़ सौ से ज्यादा की संख्या में दरभंगा संग्रहालय के कलावस्‍तुओं का संरक्षण किया जाना है जिसमें हाथी दांत तथा काष्‍ठ निर्मित वे कला वस्‍तुएं हैं जिनका संकलन महाराजाधिराज लक्ष्‍मीश्‍वर सिंह द्वारा उन्‍नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में किया गया था। हाथी दाँत से निर्मित कला वस्तुओं के मामले में सबसे समृद्ध संग्रहालय में   हाथी का हौदा, चटाई, सोफा, सिंहासन, महिषासुदर मर्दिनी की मूर्त्ति, शाही कुर्सी आदि अनेकानेक हाथी दांत निर्मित दुर्लभ कलावस्‍तुएं प्रमुख हैं। इसके साथ ही काष्‍ठ निर्मित महिषासुदरमर्दिनी, भगवान बुद्ध के जन्‍म का दृश्‍य आदि दुर्लभ संग्रह भी हैं और इनका भी संरक्षण किया जाना है। यह कार्य दरभंगा संग्रहालय में तीन वर्षों तक चलेगा और इस पर कुल एक करोड़ पैंसठ लाख पचपन हजार रुपये खर्च होंगे।

यह भी बता दिया जाय कि पटना संग्रहालय भी अभी डॉ. शिव कुमार मिश्र के प्रभार में ही है। वहाँ राहुल सांकृत्‍यायन द्वारा तिब्‍बत से लाए गए दुर्लभ तिब्‍बती पाण्‍डुलिपियों का संरक्षण भी इसी योजना के तहत एन.आर.एल.सी.सी. लखनऊ से कराया जा रहा है। ये वस्‍तुएं पटना संग्रहालय में रखी है। उन्‍होंने कहा कि तिब्‍बती पांडुलिपियों में स्‍वर्णाक्षर में लिखे गए शत साह स्रिका, सुवर्ण प्रभाषसूत्र आदि ग्रंथों के अलावे कुछ पेंटिंग का भी संरक्षण किया जाना है। इन कार्यों दो वर्षों में चौहत्तर लाख तीस हजार के लगभग राशि खर्च होगी  और  इसके लिए इसी सप्‍ताह पटना संग्रहालय के अपर निदेशक द्वारा लखनऊ के उक्‍त संस्‍थान से समझौते के मसौदे पर हस्‍ताक्षर किया जाएगा। 

बिहार की संस्कृति के अध्येता एवं इतिहासकार भैरब लाल दास ने बताया कि बिहार सरकार का यह कदम बहुत सराहनीय है और इससे बिहार की मूल्यवान सास्कृतिक धरोहर को विनष्ट होने से बचाया जा सकेगा।

आशा है कि बिहार सरकार के इन कदमों से अति महत्वपूर्ण कलावस्तुओं का उचित संरक्षण हो पाएगा जिन्हें हमारी आने वाली संततियाँ भी देख पाएंगी
...................

आलेख - हेमन्त  दास 'हिम'
छायाचित्र सौजन्य  - शिव कुमार मिश्र
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com





2 comments:

  1. Indeed a great breakthrough and a big step in right direction. It is our duty and responsibility to preserve our heritage for generations to come

    ReplyDelete
  2. Thank you sir. Kindly mention your name if possible.

    ReplyDelete

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.