बेटी की ज़िन्दगी की,थामे कमान बेटी
(नेपाल डायरी -2 और 3 के लिंक के लिए नीचे देखिये .)
नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाउण्डेशन काठमांडो, रौतहट,राम दुलारी शिव समाज केन्द्र रौतहट और भारतीय राज दूतावास, काठमांडो के 109 वाँ विश्व नारी दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय महाकुम्भ, कवि महोत्सव एवम् 7 वाँ सोशल मीडिया सम्मान समारोह ,सास्कृतिक कार्यक्रम दिनांक 6,7,8 मार्च 2019 का आयोजन प्रभा कुँवर सिंह की अध्यक्षता में आरम्भ हुआ। भारत और नेपाल के लहराते हुए झंडों के सम्मान में नेपाल और भारत के राष्ट् गान गाए गये।
दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय महा वाणिज्यिकदूत डा0 कोट्रा स्वामी ने मंचस्थ अतिथियों के साथ किया ।
हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया, बिहार के महासचिव कैलाश झा किंकर की सरस्वती वन्दना - "सरस्वती रहे जहाँ, कभी न अन्धकार हो / सुगीत,काव्य-चेतना,सुहास का प्रसार हो" से कार्यक्रम का आग़ाज़ हुआ। साथ दे रहे थे मगसम के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर सिंह सुधाकर (दिल्ली), फिरोज खान फतेहपुरी(भोपाल),भीम प्रसाद प्रजापति देवरिया(उत्तर प्रदेश) और बिहार अर्णव कलश के अध्यक्ष विनोद कुमार हँसौड़ा ।भारत के विभिन्न राज्यों से आये हुए अतिथियों का स्वागत/सम्मान हुआ। और हुआ लाजवाब सांस्कृतिक कार्यक्रम। नेपाल की स्कूली छात्राओं ने अपने सांस्कृतिक -कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा और मेरा देश रंगीला---- पर बच्चियों के भावपूर्ण नृत्य ने भारत नेपाल मैत्री के भाव संचरण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रथम सत्र का सफल संचालन डा0 अनिता रानी भारद्वाज (हरियाणा) ने किया।
द्वितीय सत्र अन्तर्राष्ट्रीय कविसम्मेलन की अध्यक्षता बाबा बैद्यनाथ झा ने की और मंचसंचालन मगसम के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर कुमार सुधाकर ने किया।मुख्य अतिथि के रूप में रेहाना बेगम मंचस्थ थी।
कविसम्मेलन की शुरुआत सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला की सरस्वती वन्दना -वर दे,वीणावादिनी वर दे ---के गायन से विनोद कुमार हँसौड़ा ने किया।प्रभाष कुमार झा (नेपाल) के बाद कर्मेश चौरसिया ,नागपुर (महाराष्ट्र ) ने कहा-
शब्द जब दिखते हैं फूलों की टोकड़ी मे/शब्दों से लार्वा टपकता है।
फिरोज खान फतेहपुरी (इलाहाबाद)-
मुझे भी गर्व है हिन्दुस्तानी अपने होने के
मैं भी अपने दिल में हिन्दुस्तान रखता हूँ ।
नरेन्द्र पाल जैन (राजस्थान)-
अगर चाहो कि ये जीवन हमारा महका महका हो
तो घर में फूल बेटी का सदा खिलना जरूरी है।
नेहा भंडारकर (महाराष्ट्र)और भीम प्रजापति देवरिया के बाद नन्द लाल त्रिपाठी (गोरखपुर) की पंक्ति आई-
काँटों पर चलना सीखा ही नहीं
फूलों पे क्या तुम चल पाओगे
जीवन की मधुशाला तुमने देखी ही नहीं
तुम क्या जाओगे मधुशाला।
कर्मेश सिन्हा तन्हा, औरंगाबाद के बाद कृष्ण कुमार द्विवेद्वी नागपुर, महाराष्ट्र ने फरमाया-
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता के समान
मेरी यात्रा अनन्त है
प्रारम्भ हूँ मैं, मध्य हूँ मैं ,
किन्तु नहीं हुआ मेरा अन्त ।
जन्म से लेकर मृत्यु तक
हर कार्य में आपका साथ देता हूँ
जी महोदय-मैं कोई और नहीं -
एक कोमल सा कागज हूँ।
कौशिकी के सम्पादक कैलाश झा किंकर ने अपनी बेटी शीर्षक कविता में कहा-
सम्मान-मान बेटी,है आन-बान बेटी
बेटी की सुरक्षा में,खुद आसमान बेटी
बेटी की भ्रूण हत्या,सौ फीसदी रुके अब
बेटी की ज़िन्दगी की,थामे कमान बेटी ।
विनोद कुमार हँसौड़ा,दरभंगा ने अपनी रचना में सुनाया-
भारत नेपाल की तो मित्रता मिसाल रही
अच्छे हैं पड़ोसी दोनों,मित्रता भी जारी है।
अवध के राजा राम मिथिला की बेटी सीता
घर-घर कितने ही, ऐसी रिश्तेदारी है।
चन्द्र शेखर राउत(नेपाल)-
हे मेहमां करूँ तेरा दिल से नमन
शुक्रिया शुक्रिया कोटि कोटि है नमन
सुधीर कुमार सुधाकर (वाराणसी)-
सोने सी चिड़ैया,मेरी गोरैया,
आओ न मेरे द्वार ।
डा0 रेहाना बेगम(नेपाल)-
इक ग़ज़ल सुनाती हूँ मैं प्यार से करो कुबूल
ये जि़न्दगी है क्या इसे पहचान कर करो कुबूल।
बाबा बैद्यनाथ झा(पूर्णियां)-
नहीं अस्तित्व ही होता ,मिले दमखम नहीं होते,
हमारी माँ नहीं होती,जगत में हम नहीं होते ।
अध्यक्षता कर रहे बाबा बैद्यनाथ झा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आज के कार्यक्रम को विराम दिया।
आलेख - कैलाझ झा किंकर
छायाचित्र सौजन्य - कैलाश झा किंकर
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