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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Thursday, 7 March 2019

पुण्यार्क कला निकेतन, पंडारक द्वारा चतुर्भुज ऐतिहासिक नाट्य महोत्सव में 'कालसर्पिणी नाटक' पटना में 6.3.2019 को मंचित

अलाउद्दीन खिलजी के व्यक्तित्व को उधेड़ता नाटक 


पटना  के  कालिदास रंगालय  में  दिनांक 4 मार्च से 6 मार्च, 2019 तक नाटककार डॉ. चतुर्भुज की स्मृति में 10वां ऐतिहासिक नाट्य महोत्सव मनाया गया. इसके अंतिम दिन कला जागरण द्वारा नाटक 'कालसर्पिणी' का  मंचन किया गया. यह नाटक अलाउदीन खिलजी के गुजरात विजय के बाद के परिदृश्य को बखूबी दिखाता है. अलाउद्दीन खिलजी दर-असल अपने चाचा और सुलतान जलालुद्दीन खिलजी के सेनानायक के तौर पर देवगिर गया था जहां विजय प्राप्त कर उसने अकूत धनराशि अर्जित की थी.वह सुलतान जलालुद्दीन की हत्या कर खुद दिल्ली का सुलतान बन बैठा.   राजा करणदेव को भागने पर मजबूर होना पडा और उसकी पत्नी कमलादेवी को अपने हरम में ले आया. उसे मालिक काफूर नामक हिजड़े का बहुत सहयोग मिला था. नाटक के निर्देशक विजय आनंद थे. 
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सूचना स्रोत - रोहित कुमार 
छायाचित्र - कला जागरण 
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