भंवरों ने भी अन्ततः तोड़ दिया उपवास
राष्ट्रीय कवि संगम बिहार की ओर से संगम के प्रांतीय कार्यालय तेज प्रताप नगर पटना में 14 मार्च 2019 गुरुवार को होली मिलन सह हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
होली के पावन अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में लव्ध प्रतिष्ठित शायर समीर परिमल उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतिष्ठित ग़ज़लकार घनश्याम ने की। हास्य कवि सम्मेलन बड़े हर्ष और उल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।इस कवि सम्मेलन का संचालन राष्ट्रीय कवि संगम मुजफ्फरपुर के उपाध्यक्ष अमीर हमजा ने किया।
इस धरा को अपने काव्य-रस से सिंचित करने हेतु विभिन्न जिलों से पधारे हास्य -व्यंग, श्रृंगार, गीत ,ग़ज़ल कविता ,संस्कृत गीतादि विभिन्न रसों से पूर्ण कवियों ने अविस्मरणीय कवि सम्मेलन का स्वरुप दे दिया।
इस आनंदोत्सव में पुष्पमाला को रंग-बिरंगे पुष्पों सुशोभित करने वाले कवि जहानाबाद से अमृतेश मिश्रा, अरवल से राहुल वत्स, हाजीपुर से नागेन्द्रमणि एवं कुछ नवांकुर कवि पटना से गुंजन, पटना सीटी से मनीष, अनीशाबाद से शिवम् झा, कुरथौल से रवि तथा धैर्यवान् दर्शकों की उपस्थिति सराहनीय रही।
समीर परिमल ने होली के अवसर पर सारी तल्खियों को भूल जाने की गुजारिश की -
तल्खियां भूल जाओ होली में
दिल को दिल से मिलाओ होली में
इक जहाँ प्यार का बसायेंगे
नफ़रतों को जलाओ होली में
ये हवाएँ उदास लगती हैं
यार अब आ भी जाओ होली में
फिर उन्होंने अपने द्वारा की गई होली की तैयारी को कुछ यूं बताया-
वफ़ा का रंग दुआ का गुलाल रक्खा है
हवा में इश्क़ ओ चाहत उछाल रक्खा है
चले भी आओ कि फागुन बुला रहा है तुम्हें
तुम्हारे वास्ते क्या-क्या सँभाल रक्खा है
वहीं देवभाषा संस्कृत के कवि और राष्ट्रीय कवि संगम के बिहार प्रांत के महासचिव अविनाश पांडेय ने 'ए कान्हा होली खेले अइह' को संस्कृत में गा कर सुनाया।
अमीर हमज़ा पर एक लड़की मोटिवेट तो गई पर ये उसे न पाने के दर्द को कुछ यूं बयाँ करते हैं -
एक सुंदर सी बाला मुझसे मोटीवेट हो गई
पर प्यार वाली गाड़ी मेरी लेट हो गई
किस्मत का दोष है या गरीबी है इसका कारण
जिस जिस पर मेरी नजर थी सब सेट हो गई।
अंत में गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कवि घनश्याम ने फगुनाई में रचे दोहे उमंग के साथ सुनाये -
शिशिर गया अवकाश पर फिर आया मधुमास
भंवरों ने भी अन्ततः तोड़ दिया उपवास
कुसुमायुद्ध से कर गया आहत हमें अनंग
अंग अंग पर चढ़ गया फिर फागुन का रंग
फागुन ने तन को छुआ मन में उठी तरंग
पुलकित होकर झूमने लगा अंग प्रत्यंग
फागुन को जब से मिला नया नया अनुबंध
बाँट रहा दिल खोलकर रूप रंग रस गंध।
कविताओं पर तालियाँ गड़गड़ाती रहीं और ठहाके गूंजते रहे। इस तरह होली के हास्य और उल्लास के साथ यह यादगार कवि गोष्ठी समाप्त हुई।
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आलेख - अमीर हमज़ा
छायाचित्र - राष्ट्रीय कवि संगम
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बहुत खूब।शानदार।।
ReplyDeleteधन्यवाद अमीर जी. कृपया Follow पर क्लिक किया जाय.
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद महोदय.
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ReplyDeleteछायाचित्र सुन्दर
ReplyDeleteचितचित्र अतिसुन्दर
अमीर जी तो अमीर हैं
गरीब लिखना blunder.
होली मिलन के साथ काव्य गोष्ठी ने सम्पूर्ण वातावरण को मधुमय बना दिया. इस सरस आयोजन की बेहतरीन रिपोर्टिंग के लिए बिहारी धमाका को बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय!
Deleteछायाचित्र सुन्दर
ReplyDeleteचितचित्र अतिसुन्दर
अमीर जी तो अमीर हैं
गरीब लिखना blunder.
कृपया Follow पर क्लिक किया जाय.
Deleteछायाचित्र सुन्दर
ReplyDeleteचितचित्र अतिसुन्दर
अमीर जी तो अमीर हैं
गरीब लिखना blunder.
क्या बात है हरी शंकर जी !वाह!
Deleteबेहतरीन रिपोर्टिंग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
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