"रोगी तो इश्क के हम दोनों थे / बस हमारी दवाएं अलग अलग थी"
युवावर्ग अपने-आप में एक तूफ़ान होता है। ऊर्जा से परिपूर्ण युवावर्ग को एक दिशा की जरूरत होती है वरना वह स्वयं अपनी दिशा के चयन में गलती कर सकता है। काव्यकर्म एक ऐसी दिशा है जो उसे रचनात्मकता की और उन्मुख रखता है।
दिल्ली से चलकर आए हुए अनेक जाने-माने कवियों ने अपनी चुनिन्दा रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया तो वही बिहार के उभरते हुए युवा कलमकारों ने अपनी नई-नई श्रृंगार और ओज की रचनाओं से सभी श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित किया।
युवा कवि अनुराग कश्यप ठाकुर (सीतामढ़ी) के सफल आयोजन जिन्होंने अपनी कविता 'रावण ' -
"दशहरा के "मेला में अब झूठा रावण जलता है
झूठी कौशल्या के भीतर राम भी झूठा पलता है"
से सबका मन मोहा।
बिहार के युवा कवि मनीष तिवारी (रोहतास)
"पग पायल छनकाती छन -छन गोरी सपनों में आती है"
श्री तिवारी के शानदार संचालन में संपन्न इस कवि सम्मेलन के मुख्य आकर्षण रहे देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कवि गण।
इस अवसर पर दिल्ली से आए हुए देशभक्ति गीतों के गीतकार जय सिंह आर्य जिन्होंने अपनी भावनात्मक कविताओं से सबका मन मोहा तथा हमें गांव की याद दिला दी।
हापुड़ से पधारे डॉ. आलोक बेजान ने बड़े ही खूबसूरत तरीके से मां की महिमा का गुणगान किया तो राजकुमार सिसोदिया (हापुर ,उत्तर प्रदेश) ने मंच से ही सीधे-सीधे पडोसी देश को चुनौती दे डाली।
महफिल की जान रहे डाॅ. सतीश वर्धन (दिल्ली) जिन्होंने अपनी श्रृंगार की कविता
"खाक हो कर भी तुमको कहूंगा नहीं बेवफा बेवफा बेवफा बेवफा"
से खूब तालियां बटोरी।
सुनील कुमार (पटना) जहां में जहां एक तरफ बिहार की स्थिति तथा पटना में आए हुए बाढ़ के ऊपर कटाक्ष किया वही दूसरी तरफ पत्नी के ऊपर कविता से मन को गुदगुदाया' उनकी पंक्तियां
"फिर शुरू हुई तकरार
अरे रे बाबा ना बाबा उसे कौन करेगा प्यार"
को दिल्ली के कवियों ने खूब सराहा तथा यह पंक्तियां अपने साथ ले गए।
कुंदन आनंद (पटना) ने अपनी चिर परिचित अंदाज में श्रृंगारी की रचनाएं भी पढ़ी तथा पानी के महत्व को समझाया जिसमें उनके श्रृंगार रस की रचना का अंश था-
"उठो प्रिय नैनो को खोलो कितना सुंदर भोर हुआ।"
अभिलाषा मिश्रा (शिवहर), राहुल कांत पांडे (नालंदा) ने श्रृंगार रस की रचनाएँ पढ़ी.
मुकेश ओझा (बक्सर) ने अपनी भोजपुरी कविता -
"सुहागन के जैसे श्रृंगार बाट चूड़ी
वैसे ही हिंदी के श्रृंगार भोजपुरी"
के साथ पूरे भोजपुरी तड़का से कवि सम्मेलन को एक ऊंचाई तक पहुंचाया।
केशव कौशिक (पटना)
"क्लेशित-व्यथित जब-जब कवि हृदय हुआ
काग़ज़ से पोंछ लिए आसूँ उसने"
अश्विनी सरकार (पटना) ने पढ़ा -
"मुझे ना समझा, मेरा प्यार क्या समझ पाओगे तुम
कहती थी मर जाऊँगी बिछड़ के...
तो बताओ अब क्या मर जाओगे तुम..!"
सिमरन राज (पटना) -
"रोगी तो इश्क के हम दोनों थे
बस हमारी दवाएं अलग अलग थी"
कुमारी स्मृति (पटना) ने अपनी शानदार काव्य प्रस्तुति दी। कविगण श्रोताओं के बीच घंटों जमे रहे और इस भव्य आयोजन को गगनचुम्बी ऊंचाई तक ले गए।
यह आयोजन "हिंदी गौरव" और ठाकुर्स इंग्लिश क्लासेज के संयुक्त तत्वावधान में उसके मुसल्लापुर हाट (पटना) स्थित प्रांगण में में स्वाध्याय क्लासेज के संचालक अनुराग कश्यप ठाकुर (गणित) के अथक प्रयास से संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक कविताओं की प्रस्तुति की गई। आगत कवियों को वशिष्ठ नारायण सिंह" की स्मृति में अनुँराग कश्यप ठाकुर द्वारा स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।
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प्रस्तुति - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
मूल आलेख - सुनील कुमार (मानद सम्पादक)
छायाचित्र सौन्जय - सुनील कुमार
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
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