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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Saturday 16 November 2019

'आगमन' की कवि गोष्ठी 15.11.2019 को पटना पुस्तक मेले में सम्पन्न

अहंकार जब होम हुआ /  पत्थर पत्थर मोम हुआ 

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दिनांक 15.11.2019 को पटना के राष्ट्रीय पुस्तक मेले के मुक्ताकाशी मंच पर 'साहित्यिक संंस्था 'आगमन' द्वारा एक कवि गोष्ठी सम्पन्न हुई. इसमें शहर के अनेक जाने-माने कवि-कवयित्रियों ने भागीदारी निभाई. मंच संचालन संस्था की सचिव वीणाश्री हेम्ब्रम ने किया.

शायर नीलांशु रंजन पूरे रूमानी अंदाज़ में दिखे -
उस रात / चांद को निहारते हुए
तुम्हारे कांधे पर झुककर
उंगलियों से तुम्हारी ज़ुल्फों को लपेटते हुए.

पंकज प्रियम भरी महफिल में दार्शनिक होते दिखे -
मिट्टी हो दीवार हो, जानते हो स्रोत है कहाँ
बस धरती - जहाँ जन्म लेते हैं अवसान

वीणाश्री हेम्ब्रम ने एक नई भाषा सीख ली है इन दिनों - मौन की भाषा  ‌‌
कुछ शब्द हैं कुछ् मौन हैं
तुम्हारे लिए हैं ये  / अगर समझो तो..

आराधना प्रसाद में देशभक्ति कूट-कूट कर भरी है -
हमारा देश प्यारा है / जहाँ से ये निराला है

सुनील कुमार तो वैसे भी श्रृंगार रस  के कवि  माने  जाते  हैं.  वे  फरमाते  हैं  -
नजर  का  इंतखाब  तुम  /  हसीं  लाजवाब  तुम

चैतन्य चन्दन के  हाथ  जब  प्रेमिका का पुराना ख़त आ ग़या तो उन्हें दर्द में भी मुस्कुराना आ गया  -
हाथ मेरे ख़त पुराना आ गया / याद वो गुजरा ज़माना आ गया
हर सितम मंजूर है अब मुझे / दर्द में भी मुस्कुराना आ गया

कल्याणी कुसुम ने मिलकर  फ़ोनों पक्षों को  मिल-जुलकर बदलने की बात की  -
कुछ तुम बदलो / कुछ हम बदलें

शुभ चन्द्र झा  को अंधेरों से  डर  लगने लगा है इसलिए वे -
मुझे शहर तक ले चलो
मुझे अंधेरों से डर लगाने लगा है

डॉ.  पुष्पा जमुआर ने कश्मीर की ओर ध्यान दिलानेवाली कविता सुनाई.
पूनम सिन्हा ने पत्थर-पत्थर को मोम कर दिया -
अहंकार जब होम हुआ / पत्थर पत्थर होम हुआ

इस कार्यक्म में अपनी रचना पढ़नेवाले कविताओं में अमित कु. आजाद, डॉ.  सरिता  गुप्ता,  डॉ.  एम्.  के  मधु,  नेहा  नुपूर,  चैतन्य घनश्याम,  विभूति कुमार,  अर्जुन कु. गुप्ता, श्रीकांत व्यास और  ज्योति मिश्रा ने अपनी कविताएँ सुनाकर इस कवि- गोष्ठी को  जीवंत कर  दिया.

दर्शाकगण हर पाठ पर तालियाँ बजाकर अपनी सहमति और सराहना का जोरदार तरीके  से इजहार करते रहे.

अंत में वीणाश्री हेम्ब्रम ने धन्यवाद  ज्ञापन करके कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की.
......


आलेख -  वीणाश्री  हेम्ब्रम 

छायाचित्र सौजन्य - वीणाश्री  हेम्ब्रम
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

















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