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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Friday, 7 September 2018

"कहो न प्यार है" के गीतकार का एकल काव्य पाठ एवं संक्षिप्त साक्षात्कार - इब्राहीम अश्क से उनके पटना आगमन पर

फासले सारे मिटाने को तड़पता मैं ही था

इब्राहीम अश्क के साथ हुई सामूहिक कवि गोष्ठी का लिंक- यहाँ क्लिक कीजिए

"कहो न प्यार है" "कृष" और अनेक सुपरडुपर हिट फिल्मों के गीतकार, बेहद उम्दा शायर, कथाकार और रंगकर्मी इब्राहीम अश्क 6.9.2018 को पटना में थे. जनशब्द ने उनके एकल काव्य पाठ का कार्यक्रम आयोजित किया जो  टैगोर एडुकॉन, बोरिंग रोड, पटना में उसी  दिन सम्पन्न हुआ. श्री इब्राहीम की दिल को छू लेनेवाली और मदमस्त कर देनेवाली शायरी पर सुननेवाले फिदा हो गए.

पहले प्रस्तुत है उनके द्वारा सुनाई गई कुछ गज़लों के अंश और फिर उनसे हुई संक्षिप्त भेंटवार्ता.


रात भर तन्हा रहा दिन भर अकेला मैं ही था
शहर की आबादियों में मेरे जैसा मैं ही था
किस लिए कतरा के मुसाफिर जाता है दम तो ले 
आज सूखा पेड़ हूँ कल तेरा साया मैं ही था
मैं ही दरिया मैं ही तूफाँ मैं ही था हर मौज भी
मैं ही खुद को पी गया सदियों से प्यासा मैं ही था
मेरी आहट सुननेवाला दिल न था दुनिया के पास
सबकी आहट सबकी धड़कन सुननेवाला मैं ही था
दूर ही से चाहनेवाले मिले हर मोड़ पर
फासले सारे मिटाने को तड़पता मैं ही था
सरदर्द मुहब्बत में मजा देता है
हर दर्द मुहब्बत में मजा देता है
ये दर्द बुरी चीज है माना हमने
पर दर्द मुहब्बत में मजा देता है

दो चार ही लम्हों में मिटा डाली है सदियाँ
देखे हैं जमीनों पे कई ऐसे जलालाँ
चमका दिए तालीम के फिर चाँद सितारे
इस्लाम में जागी है कई ऐसी मलालाँ

हुनर कमाल बुलंदी उरूज शीशावरी
यही तो दौलते फन है मिसाले ताजवरी
गुरूर  नाज़ अदा  बाँकपन कि अंगराई
सरापाँ उसके चलन में बसी है फितनागिरी
शराब दश्त समंदर पहाड़ और दरिया
उसी के वास्तेये कायनात है बिखरी
शुरूर मौज मचलना जुनून या मस्ती
उसी के दम से है आलम में सारी बेखबरी
वो आँख नाक वो रुकसार लब वो पेशानी
कि दिल भरे ही नहीं ऐसी दीदावरी
फरिश्ते शाहो गदा मस्तजाँ निसार आशिक
हर एक ने उसकी तलब में हमेशा आह भरी
गज़ल बयान ये अहसास ये फिक्र और ख्याल 
नहीं है खेल मियाँ अश्क है ये जादूगरी

आरजू आरजू जुस्तजू जुस्तजू 
खामोशी में भी है गुफ्तगू गुफ्तगू
मेरी राहों में है रंगो-बू रंगो-बू
हर तसव्वुर में है माहरू माहरू 
कुछ पता ही नहीं क्या हो गया

हम भी हमराज है उसके दमसाज़ हैं
उसकी धड़कन हैं हम उसकी आवाज हैं
आशिकों में कहाँ हमसे ज़ाँबाज हैं
देखकर बाँकपन वो फिदा हो गया
.....

इब्राहीम अश्क के एकल काव्य पाठ के बाद टैगोर एडुकोन के अमित कुमार ने आये मशहूर शायर और फिल्मी गीतकार इब्राहीम अश्क और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापण किया. तत्पश्चात बिहारी धमाका की टीम की ओर से हेमन्त दास 'हिम', विभूति कुमार और अमरनाथ झा ने उनका संक्षिप्त साक्षात्कार लिया जो नीचे प्रस्तुत है-

प्रश्न- आपकी शायरी अक्सर बड़े ही आसान लफ्जों में की गई शायरी है. क्या आप इसके लिए खास कोशिश करते हैं?
इब्राहीम अश्क-  नहीं यह मुझमें रचा-बसा है. मुझे इसके लिए कोई कोशिश नहीं करनी पड़ती है.

प्रश्न- आपको फिल्म "कहो न प्यार है" कैसे मिली?
इब्राहीम अश्क- यह फिल्म 2000 ई. में रिलीज हुई. इसके लिए पहले सावन कुमार टाक लिख रहे थे जिनके कुछ गीतोंं से डिस्ट्रीब्यूटर संतुष्ट नहीं थे. तब निर्माता राकेश रौशन ने मुझे गाने लिखने को कहा. मैंने टाइटल सौंग समेत कई  ऐसे गाने लिखे जिसने दशकों का रिकार्ड तोड़ दिया. 

प्रश्न- आज के गीतकारों के बारे में क्या कहना है?
इब्राहीम अश्क- आज ज्यादातर वैसे लोग फिल्मों में गीत लिख रहे हैं जिन्हें हिन्दी या ऊर्दू साहित्य का कोई ज्ञान नहीं है. इसलिए कालजयी गाने नहीं लिखे जा रहे. ऐसे गानों को लोग तुरंत भूल जाते हैं.

प्रश्न- आप कहानियाँ भी लिखते हैं?
इब्राहीम अश्क-  हाँ मेरी दो कहानियाँ आउतलुक पत्रिका में छप चुकी हैं जिनके शीर्षक हैं-धंधा और बेकरी.

प्रश्न- आप अपने पूर्वकाल केे जीवन के संघर्षो के बारे में बताइये.
इब्राहीम अश्क- मैंने हिंदी में एम.ए. किया है. 15 सालों तक पत्रकारिता की. मशहूर पत्रिका सरिता, शमा सुषमा, इंदौर समाचार आदि के  लिए काम किया. मेरे संघर्ष की अपनी एक कहानी है जो ऑनलाइन सर्च करके आसानी से कोई भी देख सकता है.

प्रश्न- क्या आपका कोई संग्रह आनेवाला है?
इब्राहीम अश्क- मेरी पहले अठारह किताबें आ चुकीं हैं. उनमें से कई पर बहुत सारे लोगों ने पीएचडी और एम.फिल. हो चुके हैं. आगे भी लिखूँगा.
....
प्रस्तुति - बिहारी धमाका ब्यूरो
ईमेल- editorbiharidhamaka@yahoo.com





























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