**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Wednesday 18 September 2019

साहित्य परिक्रमा, रा व ना का मंच और भा यु.सा. परिषद द्वारा संयुक्त कवि गोष्ठी पटना में 17.9.2019 को सम्पन्न

चल, करे फूलों की खेती

(मुख्य पेज पर जायें- bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटे पर देखते रहें - FB+ Watch Bejod India)



सिर्फ और सिर्फ हिन्दी दिवस, हिन्दी पखवाड़ा और हिंदी माह मनाकर, हम अपने उत्तरदायित्व से मुक्त नहीं हो सकते। हिंदुस्तान में हिंदी रोजमर्रा की भाषा है। इसलिए अब और देर न करते हुएहमारी सरकार को चाहिए कि  पूरी कर्मठता से यह घोषित कर दे कि देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी है।"

संगोष्ठी का सशक्त संचालन करते हुए, उपरोक्त उद्गार जाने-माने लेखक सिद्धेश्वर ने, साहित्य परिक्रमा, राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच एवं भारतीय युवा साहित्यकार परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिन्दी महोत्सव के अवसर पर कही। गीतकार मधुरेश नारायण ने, अपने निवास के प्रांगण में आयोजित हिन्दी महोत्सव में काव्य पाठ के पहले, अपने स्वागत भाषण में कहा कि "हिंदी की चलन और अनिवार्यता पहले से अधिक बढ़ी है!" 

बेतिया से पधारे इस सारस्वत संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डां गोरख प्रसाद मस्ताना  ने कहा कि "अपनी एक राष्ट्रभाषा में ही, किसी भी देश का विकास हो सकता है।" काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वनाथ वर्मा ने कुछ हास्य कविताओं से श्रोताओं का मनोरंजन किया।

काव्य पाठ करने वाले कवियों में प्रमुख थे - सुनील कुमार उपाध्याय,  मनोज कुमार अम्बष्ठ, अर्जुन कुमार गुप्ता,  आराधना प्रसाद, प्रभात कुमार धवन, उषा, सिद्धेश्वर आदि।

कवि घनश्याम ने कई हिन्दी गजलों का पाठ कर शमां को रौशन किया -
"दोस्ती बालू की होगी भीत ये सोचा न था ?  
क्षत-विक्षत होगी पुरानी प्रीत ये सोचा न था  
हमने सुर मेंं सुर मिलाया था नये सुर के लिए  
पर चुभन देगा मधुर संगीत ये सोचा न था! 
और
"दिल के दरिया मेंं मुहब्बत की लहर होती है 
जब कभी आपके आने की ख़बर होती है!"

अपने मोहक और आकर्षक अंदाज़ में गीत प्रस्तुत किया मधुरेश नारायण ने-
"भगवन इसमें कोई भेद ज़रूर है 
तेरी भक्ति में रहे / वो उतना तुझ से दूर है!"

उपस्थित रचनाकारों ने अर्जुन प्रसाद गुप्ता की आनुप्रासिक कविता  उनके सुमधुर आवाज में सुनी तो उनकी काव्य-प्रतिभा का कायल हो गए आदि से अंत तक प्रत्येक पंक्ति में अनुप्रास का अद्भुत संयोजन कविता के भाव और अर्थ बोध का सम्यक् निर्वाह करते हुए

इस गोष्ठी में आराधना प्रसाद ने अपने सुमधुर कंठ से अपनी बेहतरीन ग़ज़लें प्रस्तुत कीं। 

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे विश्वनाथ प्रसाद वर्मा ने अपनी हास्य रचनाओं से माहौल को खुशनुमा बना दिया। डॉ. सुनील कुमार उपाध्याय ने क्रमशः हिन्दी और भोजपुरी में गांव की सोंधी खुशबू से सराबोर कविताओं का सस्वर पाठ कर वातावरण को सांगीतिक बना दिया।

इस गोष्ठी अरुण शाद्वल, प्रभात कुमार धवन, मनोज कुमार अम्बष्ट तथा उषा नेरुला ने अपनी उत्कृष्ट कविताएं प्रस्तुत कीं। 

अन्त में डा.गोरख प्रसाद 'मस्ताना' ने अपने गीतों का सस्वर पाठ कर सबों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने हिन्दी और भोजपुरी में मुक्तक और गीतों का पाठ किया। डॉ. मस्ताना ने अपने सधे हुए कंठ से हिन्दी और भोजपुरी में गीत सुनाये - 
"चल करे फूलों की खेती / सुगन्धित मन प्राण हो
स्वस्ति कण कण धारा / सब के लिए वरदान हो!"

अंत में  मधुरेश नारायण ने धन्यवाद ज्ञापन किया।  इस प्रकार स्नेहपूर्ण माहौल में इस गोष्ठी का समापन हुआ। 
......

आलेख - सिद्धेश्वर / घनश्याम
छायाचित्र - सिद्धेश्वर एवं अन्य सहभागी
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com








2 comments:

  1. सुन्दर और विस्तृत रिपोर्टिंग के लिये बहुत बहुत धन्यवाद

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यावाद आपका महोदय.

      Delete

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.