**New post** on See photo+ page

बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

यदि कोई पोस्ट नहीं दिख रहा हो तो ऊपर "Current Page" पर क्लिक कीजिए. If no post is visible then click on Current page given above.

Tuesday, 18 June 2019

एक शाम हफीज़ बनारसी के नाम - 16.6.2019 को पटना में मुशायरा सम्पन्न

दिल की आवाज़ से आवाज़ मिलाते रहिए / जागते रहिए ज़माने को जगाते रहिए



16 जून 2019 रविवार को बिहार उर्दू अकादमी, पटना के सभागार में उस्ताद शायर हफीज़ बनारसी की 11 वीं पुण्य तिथि के मौके पर एक शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे इम्तियाज अहमद करीमी और विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. अनिल सुलभ, खुर्शीद अकबर, अख्तर मसूद, अब्दुल क़ादिर थे। इनके अलावा बज़्मे हफीज़ बनारसी के चेयरपर्सन रमेश कँवल  ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी परवेज आलम भी मौजूद थे। अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया जिसका संपादन मशहूर शायर मो. नसीम अख्तर ने किया है । इसके अलावा हफीज़ बनारसी की ग़ज़लों को मशहूर गुलुकार शंकर प्रसाद ने अपनी आवाज़ में प्रस्तुत किया। मौके पर बज़्मे हफीज़ बनारसी के सभी सदस्यों को मेमेंटो और सर्टिफिकेट दिया गया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में एक शानदार तरही मुशायरा आयोजित किया गया।कार्यक्रम का संचालन फ़खरुद्दीन आरफी और शकील सासरामी ने संयुक्त रूप से किया।

मो.नसीम अख़्तर ने ये शेर पढ़ा -
ज़िंदगी भी किसी महबूब से कुछ कम तो नहीं
प्यार है उससे तो फिर नाज़ उठाते रहिए
ज़िंदगी दर्द की तस्वीर न बनने पाए
बोलते रहिए ज़रा हँसते हँसाते रहिए

ज़ीनत शेख ने कुछ यूँ पढ़ा -
दिल की आवाज़ से आवाज़ मिलाते रहिए
जागते रहिए ज़माने को जगाते रहिए

आराधना प्रसाद ने पढ़ा -
दर्द को गीत में ढालो कि बहार आई है
मयकशो जाम उछालो कि बहार आई है

पूनम सिन्हा ने पढ़ा -
मुहब्बत में कोई गिला तब कहाँ था
दिलों में फासला तब कहाँ था

निकहत आरा ने पढ़ा -
इस शहर से उस शहर क्यों भागती है ज़िन्दगी
हर नई पसपाई से भी मारती है ज़िन्दगी

इनके अलावा जिन शायरों और शायरात ने अपने कलाम वो ये हैं - अरुण कुमार आर्य, इरफान अहमद बेदालवी, कुमारी स्मृति, घनश्याम ,नईम सबा, ,नेयाज़ नज़र फातमी ,मासूमा खातून ,शाज़ीया नाज़,डॉ. शालिनी पाण्डेय ,शुभ चन्द्र सिन्हा ,सुनील कुमार, हिना रिज़्वी हैदर, मीना कुमारी परिहार इत्यादि।
......

आलेख -  मो. नसीम अख्तर
छायाचित्र सौजन्य - मो. नसीम अख्तर
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com






No comments:

Post a Comment

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.