रगकर्मियों का संघर्ष रोजी रोटी के लिए
दिनांक 16.6.2019 को संध्या 5 बजे गांधी मैदान, गांधी मूर्ति के पास "नाटय शिक्षक की बहाली" का मंचन किया गया। इस नाटक में बताया गया है कि कला-संस्कृति के फंड को काटकर एवं रंगकर्मियों को दी जाने वाली सुविधाओं को बंद कर दिया गया है।
सालों से मिलने वाले रंगकर्मियों के ग्रांट को भी पिछले कई सालों से बंद कर दिया गया है। रंगकर्मी इस नाटक में इसका पुरजोर विरोध करते हैं। नाटक के आरंभ से ही यह पता चल जाता है कि एक नाटक तैयार करने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है निर्देशक को कितना पापड़ बेलना पड़ता है, वह भी बिना किसी सरकारी सहयोग के बिना किसी सामाजिक मदद के। फिर भी रंगकर्मी तन, मन और धन लगाकर नाटक कर ही रहे हैं।
नाटक में रंगकर्मियों के व्यक्तिगत जीवन के संघर्ष की अलग अलग कहानियों को दिखाय गया है। जिसमें एक रंगकर्मी के जीवन के उस पहलू को उकेरा गया है जहाँ वो पढ़ाई के बाद भी अपने परिवार और समाज में उपेक्षित है, उन्हें स्कूल, कॉलेज में एक अदद नाट्य शिक्षक की नौकरी भी नहीं मिल सकती क्यूँ की हमारे यहां नाटक के शिक्षकों की बहाली का कोई नियम नहीं है, इस मुखर सवाल पर आकार नाटक दर्शकों के लिए रंगकर्मियों के जीवन संघर्ष से जुड़ा निम्न सवाल भी छोड़ जाता है।
नाटक खत्म होने के बाद दर्शक तालियां बजाते हैं, स्मृति चिन्ह देकर व ताली बजाकर दर्शक उन्हें सम्मानित करते हैंl
यही रंगकर्मी जब अपने घर पहुंचते हैं तो घर में इन से बेहूदा किस्म के प्रश्न पूछे जाते हैं - क्या कर रहे हो ? नाटक करने से क्या होगा ? लोग तुम्हें लौंडा कहते हैं। नाचने वाला कहते हैं, यह सब करने से रोजी-रोटी नहीं चलेगा, कोई अच्छी घर की लड़की का हाथ तक नहीं मिलेगा। इस तरह के अनगिनत ताने सुनने पड़ते हैं फिर भी रंगकर्मी यह सब सहने के बावजूद रंगकर्म करते रहते हैं।
नाटक के माध्यम से रंगकर्मी सरकार से मांग करते हैं की स्कूल और कालेजों में नाट्य शिक्षक की बहाली हो।सरकार से निवेदन है कि बंद पढ़ा ग्रांट फिर से शुरू किया जाए सरकार रंगकर्मियों को नौकरी दे, उन्हें रोजगार दे तभी वे भी खुलकर समाज का साथ दे सकते हैं l
नाटक के अंत में रंगकर्मी अपने हक के लिए, अपनी आजादी के लिए आवाज उठाते हैं और अपने आंदोलन के साथ नाटक की समाप्ति करते हैं।
भाग लेनेवाले कलाकार थे मनीष महिवाल, प्रभात कुमार, दीपा दिक्षित, रजनीश पांडे, ममता कुमारी, मोडल, समीर, विकी कुमार, जितेंद्र राज, अमीत ऐमी, आदीय और हीरालाल रॉय. मंच सामग्री दीपा दीक्षित की थी, वस्त्र विन्यास कुमारी आरती का और प्रस्तुति नियंत्रक थे राम कुमार सिंह। प्रस्तुुुुति केे लेखक एवं निर्देशक थे मनीष महिवाल। प्रस्तुत करनेवाली संस्था है लोक पंच, पटना।
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आलेख - मनीष महिवाल
छायाचित्र - लोक पंच
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
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