योग प्रशिक्षण के साथ-साथ सुरीला गीत-संगीत भी
भारतीय संस्कृति में रचा बसा है संगीत और योग। इन दोनों के बिना इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है । स्पष्ट है कि योग की उत्पत्ति भी भारत में ही हुई है और इस हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस की मान्यता प्राप्त होना देश के लिए गौरव की बात है।
पटना के संगीत शिक्षायतन में विश्व योग दिवस तथा विश्व संगीत दिवस समारोह को बड़े हर्षोल्लास से शिक्षायतन मानया गया। जिसमे संस्था के संगीत विभाग के कलाकार गायन प्रस्तुत कर प्रांगण में पारंपरिक माहौल बनाया।
सरस्वती वंदना जो बैठे चरणों में तिहारे... गा कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। अमित ने राग भैरवी में अजहुन आय बालमा, सॉर्य सागर ने जौनपुरी राग में बाजेरी मोरी जनक पायलिया, अंबिका और सौम्या ने राग बसंत में फगवा ब्रिज देखन को चलो री गीत गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
कार्यक्रम में योग के बारे में सवालों के उत्तर दिये गए और सम्बंधित जानकारियाँ दी गई। अनेक योगासनों को प्रायोगिक रूप से दिखाया भी गया।
और अंत में सभी गायक कलाकार ने नृत्यांगना यामिनी के निर्देशन में तबला, हारमोनियम, गिटार, आदि वाद्य यंत्रों के साथ जीवन के आसान में संगीत की साधना तुम हो गुरुवार.... गीत गाकर कार्यकर्म का समापन किया। कलाकार: अमित, अंबिका, अनन्या, सौम्या, स्वेक्षा, सौर्य सागर, शिवम् आदि।
इस शुभ अवसर का पर संस्था की सचिव रेखा शर्मा, केंद्राधीक्षक रुधीश कुमार, कार्यकारी सदस्या रजनी शर्मा, प्रवीण कुमार अभिभावकों और शिक्षार्थियों आदि ने लाभ उठाया। चीफ ट्रस्टी यामिनी भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।
बच्चों में प्रारम्भ से ही योग और संगीत की शिक्षा देने का यह प्रयास प्रसंसनीय कहा जा सकता है।
..............
आलेख - बिहारी धमाका ब्यूरो
सूचना स्रोत- मधुप चंद्र शर्मा
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
No comments:
Post a Comment
अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.
Note: only a member of this blog may post a comment.