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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Tuesday, 26 February 2019

साहित्यिक संस्था पंक्षी का ओपन माइक कार्यक्रम दिनांक 24.02.19 को पटना सीटी में संपन्न

ये ज़मीं ऐसी शोला बदन हो गई / उठ रहा हर तरफ धुआँ आजकल


दिनांक 24.02.19 को साहित्यिक संस्था 'पंक्षी' के द्वारा में पटना सिटी के पन्नालाल मुक्ताकाश मंच पर ओपन माइक का सफ़ल आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आरंभ कुमार निशांत ने सरस्वती वंदना से हुआ। पंक्षी के संस्थापक विष्णु ने अपने स्वागत भाषण में उपस्थित सभी अतिथि गणों का स्वागत कर संस्था के सहित्यिक एवं सांस्कृतिक उद्देश्य को लोगों के सामने रखा। इस अवसर पर मशहूर शायर मो.नसीम अख्तर , कवि घनश्याम, प्रभात कुमार धवन, शाइस्ता अंजुम विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे।

शायर मो. नसीम अख्तर ने पेश किया-
नदियां खून की हैं र'वाँ आजकल
कौन कहता लहु है गिराँ आजकल
ये ज़मीं ऐसी शोला बदन हो गई
उठ रहा हर तरफ धुआँ आजकल।

कुमारी स्मृति-
हवा ज़रा बुझा दो नफरतों का सिलसिला।
शहर-शहर आग है कौन सा ये गुल खिला।

कवि घनश्याम ने कहा कि -
दो दिलों के दरम्याँ दूरी बढ़ाता कौन है।
हमको आपस में लड़ाकर मुस्कुराता कौन है।

प्रभात कुमार धवन ने मार्मिक रचना पढ़ी -
नींद खुलते ही
तुम्हारी
मृत्यु की ख़बर मिली
विश्वास तो तब हुआ
जब तुम्हारी
अधजली लाश मिली

शाइस्ता अंजुम ने देशभक्ति का जज़्बा जगाया -
कभी ठंड मे ठिठुर के देख लेना
कभी तपती धूप मे जल कर देख लेना
कैसे करते हैं हम हिफाजत मुल्क की 
कभी सरहद पर चल के देख लेना
कभी लडते नहीं जाति के नाम पर
कभी सैनिक कि छावनी मे आ कर देख लेना

विनय मिश्रा, हरिहर, प्रज्ञा कपूर ,हृतविक भदानी, मोहित, सौरव, किशन इत्यादि ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। नवाज़ अली अख्तर ने कार्यक्रम का सफ़ल संचालन किया और अपनी गायिकी से समां बांध दिया। साथ में अनिकेत ने भी अपना बेहतरीन गीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के अंत में विष्णु ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
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आलेख - मो. नसीम अख्तर
छायाचित्र - पंक्षी
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com








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