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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Monday, 18 February 2019

जवानों पर आतंकी हमले के आक्रोश में 'मानवोदय' की कवि गोष्ठी 17.02.2019 को पटना सीटी में संपन्न

आज तिरंगे में लिपटा,  बोल रहा माँ का बेटा / खुश रहना मेरे देशवासियों, ताबूत में वह था लेटा 
राष्ट्रीय एकता और देशप्रेम के सन्देश का संचार करती कवि-गोष्ठी 



दिनांक 17.02.2019 को पटना सिटी की सुपरिचित साहित्यिक संस्था 'मानवोदय' की ओर से एक काव्य गोष्ठी, रामकिशोर सिंह 'विरागी' के काजीपुर, पटना स्थित आवास पर हुई. घनश्याम की अध्यक्षता में आयोजित इस गोष्ठी की मुख्य अतिथि थीं पुष्पा जमुआर तथा संचालन किया 'मानावोदय' के महासचिव प्रभात कुमार धवन ने. 

इसमें मुख्य अतिथि के अलावा श्री मधुरेश नारायण, प्रभात कुमार धवन,डा.विनय कुमार विष्णुपुरी, बच्चा ठाकुर, अर्जुन प्रसाद सिंह, सूरजदेव 'अविरल',गौरीशंकर राजहंस, शिवेश प्रसाद, अंकुर धवन तथा घनश्याम ने काव्य पाठ किया.

काव्य पाठ के पूर्व साहित्यकार रामकिशोर सिंह 'विरागी' ने आगत कवियों के स्वागत किया.

अंकुर धवन ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की -
ज्ञान दे विज्ञान दे 
कोई न किसी की जान ले
हे माँ हंसवाहिनी 
नई राह मानव को दे.

गीतकार मधुरेश नारायण ने शहीदों की कुर्बानी  को बेकार न जाने देने की बात की -
शहीदों की कुरबानी / ऐ मेरे प्यारे वतन / बेकार न होने पाए
नापाक इरादे दुश्मन के / ए मेरे प्यारे वतन / साकार न होने पाए.

डॉ. विनय कुमार विष्णुपुरी ने दुश्मनों को जान के लाले पड़ने की परिस्थिति ला दी-
कविवर कुछ ऐसा सुनाओ / ताकि सीमा पार दुश्मन भाग जाए
एक ज्वार भाटा इधर से आए / एक ज्वार भाटा  उधर से आए
जान के लाले पड़ जाएं.

गौरी शंकर राजहंस ने तिरेंगे में लिपटे शहीद जवान का मार्मिक चित्रण किया-
आज तिरंगे में लिपटा / बोल रहा माँ का बेटा
खुश रहना मेरे देशवासियों / ताबूत में वो था लेटा

शिवेश प्रसाद ने देशवासियों की आनंद के पीछे का राज बताया -
हम महलों में थे जब लेते / बारात का आनंद मनाने को
बैठा था जवान बारूदी सुरंग में / दुश्मन से हमें बचाने को.

सूरजदेव अविरल ने शहीदों को दिल से  सलामी दी-
भारत के वीर शहीदों तुझे सलाम
तुझे सलाम तुझे सलाम.

गोष्ठी का संचालन कर रहे प्रभात कुमार धवन ने देश के हित में वट वृक्ष की तरह डटे रहने का संकल्प जताया-
कभी न चोट खाऊंगा न हारूंगा वट वृक्ष की तरह
 न मात खाऊंगा कभी किसी से
आंधी तूफ़ान में भी खड़ा रहूँगा.

बच्चा ठाकुर सत्य की मूर्ति पर गोले के वार से आहत दिखे  -
कोटि कोटि प्राणों के हित / जिनका जीवन प्रतिपल बढ़ता था
सकल विश्व कल्याण के लिए / जिसका कदम कदम चलता था
उसी सत्य की ज्योति मूर्ति पर / गोले का ही वार किया है.

मुख्य अतिथि कवयित्री पुष्पा जमुआर ने संकल्प की हुंकार भरने का आह्वान किया -
संकल्प का हुंकार भरो / हिन्दुस्तान अपनी आन ,बान, शान से
टूट पड़ो दुश्मनों पर तुम / एक भी बचने न पाए सरहद पार में

अंत में कवि गोष्ठी के अध्यक्ष कवि घनश्याम ने पढ़ी गई कविताओं पर संक्षिप्त टिपण्णी की और फिर अपनी कविता पढ़ते समय मौसम की बीमारी को भली भांति भांप लिया-
          गुलशन-गुलशन खार दिखाई देता है
          मौसम  कुछ  बीमार  दिखाई देता है
          जाने  कैसी  हवा  चली  है  जहरीली
          जीना   अब  दुश्वार  दिखाई  देता  है
          आगजनी,  पथराव,  धमाके, ख़ूंरेज़ी
          आतंकित  घर-बार  दिखाई  देता  है
          विध्वंसक हो गईं समय की गतिविधियां
          संकट   में   संसार  दिखाई   देता है
          चाहे जो भी आप कहें  हमको उनके
          गुस्से  में  भी  प्यार   दिखाई  देता है
         जाने क्यों "घनश्याम" खून से रंगा हुआ
         हर दिन  हर  अखबार  दिखाई देता है

किशोर भवन, काजीपुर क्वार्टर्स, राजेंद्रनगर, पटना  में गोष्ठी तीन घंटे तक अनवरत चली. कार्यक्रम में संज्ञा सुष्मिता, शर्मीला कुमारी, सुजाता, रतीश चन्द्र आदि ने भी अपने विचार प्रकट किये.  धन्यवाद ज्ञापन श्री गिरीश चन्द्र ने किया
....

आलेख - घनश्याम
छायाचित्र - मानावोदय 
प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com





  












1 comment:

  1. मानवोदय द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी की सुन्दर और सम्यक् रिपोर्टिंग के लिए बेजोड़ इंडिया को बहुत बहुत धन्यवाद.

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