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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Thursday, 19 October 2017

सृजन संगति की साहित्यिक गोष्ठी 15.10.2017 को पटना में सम्पन्न

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आँचल में तेरे भर हूँ मैं / नभ के सारे चाँद सितारे
We express deep condolence for Vishuddhanand ji who left this mortal world at night on 20.10.2017 just after Dipawali festival. 

सृजन संगति के तत्वावधान में अवर अभियंता भवन, पटना में दिनंक 15 अक्टूबर,2017 को एक काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉ.. शत्रुध्न प्रसाद और संचालन हृषीकेश पाठक ने किया. इस गोष्ठी में राँची से आये हुए विनय कुमार ने अपनी लघुकथा 'बढ़ता धुआँ' का पाठ किया  और चितरंजन कुमार ने भी एक लघु कथा सुनाई.
लोगों की तालियाँ गुजायमान थीं.

इस गोष्ठी में विशुद्धानंद ने अनेक मधुर कविताओं का पाठ किया जिनमें थे-'सावन में मनभावन आएंगे', 'गोरी की आँखों में अँसुआए सपने' का तो पाठ किया ही साथ ही श्रोताओं ने उनके एक विचारोत्तेजक गज़ल को भी बहुत पसंद किया जिनके कुछ शेर थे-
"प्रश्नों से अनुबंध कैसा 
उत्तर से घबराते तुम
साँसों पर अनचाहे पहरे
बोलो क्यों दिखलाते तुम."

डॉ. विजय प्रकाश ने भी अपनी गज़ल में फूलों पर शबनम की इबारत पढ़ने का बड़ा कोमल चित्र प्रस्तुत किया-
"फूलों की पंखुड़ी पर / शबनम की इबारत को 
तुम ठीक-ठीक पढ़ लो / तब बात समझ जाओ"

उनकी दूसरी कविता भी उतनी ही मनोहारी थी-
"भोर हुई तो पनघट पनघट / नदियाँ रवि के पाँव पखारे
आँचल में तेरे भर हूँ मैं / नभ के सारे चाँद सितारे."
कविताओं के इस मृदुल संसार में श्रोतागण अपने आप को भूलने से लगे.

फिर 'नई धारा' के सम्पादक डॉ. शिव नारायण ने अपनी शास्त्रीय पुट लिए कविता सुनाकर सबका ध्यान आकृष्ट किया-
"स्पर्श का निनाद सबने सुना / मधुमास छुअन किसने जाना
अलकों का पलकों से मिलना / बिन पयोधर का खुल जाना"

हृषीकेश पाठक ने अपनी एक कविता सुनाई जिसका शीर्षक था - 'वह छोटा बालक'. इस मर्मस्पर्शी कविता पर सभी वाह-वाह कह उठे.

शम्भू पी सिंह ने भी एक कविता सुनाई जिसकी कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार थीं-
"दोष तो उस पौधे का है 
जो किनारों को बचाने का जिम्मा लिया है"
उन्हें भी सराहना मिली.

इसके पश्चात डॉ. मे. नागेंद्र ने अपनी एक भक्ति रचना सुनाकर सबको आध्यात्मिकता की तरफ उन्मुख कर दिया-
"राम लिख दिया, घनश्याम लिख दिया
एक ही खुदा के दो नाम लिख दिया"

इस कार्यक्रम में अन्य अनेक विशिष्ट कवियों ने भी अपनी रचनाएँ सुनाईं जो दर्शकों को प्रभावित करने में सफल रहीं. इन कवियों में थे- योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, राजकुमार प्रेमी, विधुशेखर पाण्डेय, रश्मि प्रसाद, राकेश प्रियदर्शी, डॉ. उमाशंकर सिंह, रामविनय सिंह, अरबिन्द पासवान, महिमा श्री, सचिदनन्द सिन्हा, बाँके बिहारी साव, जयन्त आदि. 

अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष ने पढ़ी गई कविताओं पर अपनी सारगर्भित टिप्पणी प्रस्तुत की और तब अपनी कविताएँ सुनाईं जिनका श्रोताओं ने करतल ध्वनि से जोरदार स्वागत किया. इसके बाद अवर अभियंता संघ के चन्द्रदीप प्रसाद ने आये हुए सभी गणमान्य कवियों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापण किया और कार्यक्रम की समापित की घोषणा की.
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आलेख- हेमन्त दास 'हिम'
फोटोग्राफर- आयोजक संस्था 
आप अपनी प्रतिक्रिया इस ईमेल पर भेज सकते हैं- hemantdas_2001@yahoo.com


























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