(English version is given just below the Hindi text)
दिनांंक 23.4.2017 को कालिदास रंगालय में उमेश कुँवर 'कवि' द्वारा लिखित पुस्तक "शूद्रों का त्रिकाल" का लोकार्पण प्रो0 एन के चौधरी, लेखक एवं रिटायर्ड आई ए एस जिया लाल आर्य, लेखक प्रेम कुमार मणि , सीटू (CITU) नेता अरुण मिश्रा , सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ सत्यजीत और सामाजिक कार्यकर्ता पार्थ सरकार के द्वारा किया गया ।
पुस्तक लोकार्पण के मुख्य अतिथि जिया लाल आर्य ने कहा कि " आज भी दलित समाज, महादलित समाज के लोग भेद भाव के शिकार है। यह पुस्तक ' शूद्रों का त्रिकाल' इन समाज के लोगों का मानसिक स्तर को ऊपर उठाने के साथ साथ ही समतामूलक समाज बनाने की वकालत करता है। साथ ही दलितों के अंदर के डर को निकाल अपने अधिकारों की लड़ाई हेतु प्रोत्साहित करता है।
पटना के सुप्रसिद्ध डॉ सत्यजीत ने कहा " आज के समय मे शुद्र वहीं है जो विचारों से है। जिनके पास सामंती सोच के साथ जी रहे है वो ही आज के शुद्र है। इसके लिए हमे प्रणाम करने बजाए हमें हाथ मिलाने और गला मिलाने की परंपरा को बढ़ावा देना होगा। जिससे एक विकसित देश का निर्माण हो सके।" शूद्रों का त्रिकाल पुस्तक का लोकार्पण करते हुए 'कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ़ इंडिया ' के पार्थ सरकार ने कहा कि " इस जातिवादी व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव की जरुरत है। हमे एक वैसी व्यवस्था बनाना है जिसमे श्रम करने वालों की इज्जत हो। इसके लिए हमे भारत भर में चल रहे दलित आंदोलन में एक समन्यव बनाना होगा जिससे समाज मे क्रांतिकारी परिवर्तन हो सके।"
हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रेम कुमार मणि ने पुस्तक लोकार्पण करते हुए कहा कि " यह पुस्तक दलितों में हलचल पैदा करेगा जिससे वास्तविक रूप से समाज मे लोकतंत्र की स्थापना हो सके। महात्मा फुले ने किसानों को संगठित किया। वे चाहते थे कि समाज के जकड़न को खत्म किया सके। हिंदी के तमाम संतो ने जातिबविहीन समाज बनाने के लिए काम किया। और ब्राह्मणों के द्वारा तैयार गुलाम मानसिकता से लोगों को छुटकारा मिल सके। आज साम्प्रदायिक शक्तियों ने गांधी के चश्मे को लेकर स्वच्छता अभियान में इस्तेमाल कर लिया। लेकिन ये लोग नेहरू को कलंकित करने का प्रयास कर रहे है।" मणि जी इस पुस्तक के लेखक को बधाई देते हुए कहा कि " आज के दौर में हमे शुद्रों के इतिहास पर और काम करने की जरूरत है।"
लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो० एन के चौधरी ने कहा कि " उमेश कुँवर की पुस्तक शूद्रों का त्रिकाल समाज मे सार्थक हस्तक्षेप करती है जिससे प्रगतिशील आंदोलनों को बढ़ावा मिलेगा।" अभियान सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित इस लोकार्पण समारोह को सीटू ने अरुण मिश्रा शशिकांत जी , मानवाधिकार कार्यकर्ता जौहर और शैलेन्द्र शर्मा त्यागी ने भी सम्बोधित किया। मौके पर शिक्षाविद गालिब,अनिल कुमार राय,अनीश अंकुर ,गौतम, हसन इमाम ,नन्दकिशोर, सतीश कुमार, कुलभूषण गोपाल, गालिब खान, नवेन्दु, सचिन , जी सहित कई लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन रंगकर्मी जयप्रकाश ने किया।
(कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा तैयार रिपोर्ट)
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(English version of the report prepared by the organiser of the event)
Prof. NK Chaudhary, author and retired IAS Jia Lal Arya, writer Prem Kumar Mani, CITU leader Arun Mishra, renowned doctor Dr. Laxmikant, Satyajit and social worker Partha Sarkar releasleld the book "Shudras Ka Trikal" written by Umesh Kunwar 'Kavi' in Kalidas Rangalaya, Patna on 23.4.2017.
Gia Lal Arya, the chief guest of the book, said that "Even today, the people of Dalit society, Mahadalit society are victims of discrimination. This book "Triad of Shudras" raises the mental level of the people of this society as well as the advocates of equalitarian society. At the same time it removes the fear from inside of Dalits and encourages fight for their rights. "
The well-known Dr. Satyajit of Patna said, "In today's time, the Shudra is there, which is in the thoughts, the one who is living with feudal thinking is the same today's Shudra, instead of greeting someone by offering 'pranam' we should encourage to shake hand and hug so as to create a developed country. "
While releasing the book of the Shudras, the Partha Government of the Communist Center of India said that "this revolutionary order needs a revolutionary change, we have to create a system in which the workers are respected." There will be a coordination in the ongoing Dalit movement in which a revolutionary change can take place in society. "
Famous literary writer of Hindi, Prem Kumar Mani, said while publishing the book, "This book will create a stir among Dalits, which in reality can establish democracy in the society." Mahatma Phule organized the farmers. He wanted them to get rid of grip of the differentiating society. All the saints in Hindi worked for a caste-less society so as to make society free from the slave mentality prepared by Brahamanical thoughts. Today communal forces had used these matters in the cleanliness movement by wearing the glasses of Gandhi. But these people are trying to tarnish the image of Nehru. " Congratulating the author of the book, Mani G said that "the history of us Sudras in these times and need to work."
Presiding over the inaugural function, Prof. N. Chaudhary said that the book 'Shudra's triad' is a meaningful intervention in the society "Shudra book Umesh Kunwar said to encourage the progressive movements." In this book-release organized by the 'Abhiyan Samiti Manch', Arun Mishra Shashikant law, human rights activist Johar and Shailendra Sharma Tyagi also addressed. Many people including educationist Ghalib, Anil Kumar Rai, Anish Ankur, Gautam, Hassan Imam, Nandakishore, Satish Kumar, Kulbhushan Gopal, Ghalib Khan, Naveendu, Sachin, Jee were present on the occasion. The program was conducted by theater-artist Jay Prakash.
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