ख़ामखा बात फिर बढ़ा दूँ क्या
आँख उसकी बड़ी नशीली है
होश नज़रों में ही गँवा दूँ क्या
वक़्त की नब्ज को पकड़ कर माहौल में मादकता घोलती हुई ये पंक्तियाँ थीं सुनील कुमार की जिसे सुनकर श्रोतागण वाह-वाह कर उठे.
दिनांक 25.11.2018 को साहित्य परिक्रमा के तत्वावधान में कृष्ण मुरारी शरण के कंकड़बाग, चांदमारी रोड, पटना स्थित आवास पर एक भव्य काव्य गोष्ठी आयोजित की गई.
सिद्धेश्वर सताए जाने के बावजूद मुस्कुराते रहे-
हम जमाने में सताए जाएंगे
फिर भी मुस्कुराए जाएंगे
पूछते हैं पाँवों के हर आबले
आग पे कब तक चलाए जाएंगे
मधुरेश नारायण की ज़िंदगी फिर से मुस्कुरा उठी क्योंकि-
ज़िंदगी फिर सए मुस्कुराई है
जीने की फिर वजह जो पाई है
इस वीरान पड़े गुलशन में
एक नन्हीं कली खिल आई है
लता प्रासर ने किसी से मिलने का इरादा तय कर लिया-
ओ धान / तेरी खुशबू , तेरा रंग / मेरे नस-नस में बसा है
ओ धान / पछिया हवा के साथ तेरी खरखराहट
दुनिया के सारे लय ताल से अद्भुत होता
ओ धान / बरसों ब्रस जन्म जन्मांतर तक /
यूँ ही खरकते लरजते रहना / मैं आउंगी मिलने इन्हीं पगडंडियों के सहारे
अनछुए नाद सुनने
नसीम अख्तर दर्द की आग को जलाए रखते हैं-
दर्द की आग बहर-हाल जलाए रखना
अपनी आहों से फलक सर पे उठाए रखना
राजे-दिल लब के हवाले नहीं करते अख्तर
बात दिल की है उसे दिल में दबाए रखना
घनश्याम जैसे कवियों से दुनिया को सावधान रहना होगा जो हुस्न को बेनकाब करते करते इन्कलाब कर डालते हैं-
हुस्न फिर बेनकाब कब होगा
रू-बरू माहताब कब होगा
तीरगी से तबाह है दुनिया
अवतरित आफ़ताब कब होगा
ज़ुल्म अब तो सहा नहीं जाता
बोलिए इन्कलाब कब होगा
हरेंद्र सिन्हा के ख्याल इन दिनों जलने लगे हैं-
दिन गुजारीले कसहुँ तफरी में,रैन काटल पहाड़ हो जाला
लोग झूमते रहे कवियों की पंक्तियों पर और समाँ बिल्कुल महफ़िल सा बना रहा. लगभग चार घंटे तक चले इस काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से आयोजन को सार्थक किया.
जाने माने रंगकर्मी और कवि मधुरेश नारायण के अग्रज कृष्ण मुरारी शरण के 81 वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में इस अवसर पर उपस्थित कवियों और परिजनों ने उन्हें शाल और पुष्प हार देकर सम्मानित किया. उनकी पोती सान्वी ने उन्हें अपने काव्य का उपहार दिया-
बाबा हैं हम सब के प्यारे / दुनिया में हैं सबसे निराले
पापा-बुआ को पाला जिन्होंने / इस घर के वे हैं रखवाले
अन्त में मधुरेश नारायण के धन्यवाद ज्ञापन के बाद गोष्ठी का समापन हुआ.
आलेख- घनश्याम / हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र सौजन्य - घनश्याम
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी- editorbiharidhamaka@yahoo.com
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