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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Monday 26 November 2018

साहित्य परिक्रमा की कवि-गोष्ठी 25.11.2018 को पटना में सम्पन्न

तीरगी से तबाह है दुनिया / अवतरित आफ़ताब कब होगा


नफरतों को  नई हवा दूँ क्या
ख़ामखा बात फिर बढ़ा दूँ क्या
आँख उसकी बड़ी नशीली है
होश नज़रों में ही गँवा दूँ क्या
वक़्त की नब्ज को पकड़ कर माहौल में मादकता घोलती हुई ये पंक्तियाँ थीं सुनील कुमार की जिसे सुनकर श्रोतागण वाह-वाह कर उठे.

दिनांक 25.11.2018 को साहित्य परिक्रमा के तत्वावधान में कृष्ण मुरारी शरण के कंकड़बाग, चांदमारी रोड, पटना स्थित आवास पर एक भव्य काव्य गोष्ठी आयोजित की गई. 

प्रख्यात गीतकार भगवती प्रसाद द्विवेदी की अध्यक्षता और हरेन्द्र सिन्हा के संचालन में काव्य गोष्ठी का शुभारंभ हुआ जिसमें सतीश प्रसाद सिन्हा,  राम तिवारी, सिद्धेश्वर, विश्वनाथ प्रसाद वर्मा, मधुरेश नारायण, डा. सुनील कुमार उपाध्याय, मेहता डा.नगेन्द्र सिंह, गहवर गोवर्द्धन, आराधना प्रसाद, हरेन्द्र सिन्हा, रविचन्द्र 'पासवां', अजय कुमार दुबे, सुनील कुमार, डा.एम.के.मधु, मो. नसीम अख़्तर, लता प्रासर, शशिकान्त श्रीवास्तव, भगवती प्रसाद द्विवेदी के अलावा घनश्याम ने भी काव्य पाठ किया.

सिद्धेश्वर सताए जाने के बावजूद मुस्कुराते रहे-
हम जमाने में सताए जाएंगे
फिर भी मुस्कुराए जाएंगे
पूछते हैं पाँवों के हर आबले
आग पे कब तक चलाए जाएंगे

मधुरेश नारायण की ज़िंदगी फिर से मुस्कुरा उठी क्योंकि-
ज़िंदगी फिर सए मुस्कुराई है
जीने की फिर वजह जो पाई है
इस वीरान पड़े गुलशन में 
एक नन्हीं कली खिल आई है

ता प्रासर ने किसी से मिलने का इरादा तय कर लिया-
ओ धान / तेरी खुशबू , तेरा रंग / मेरे नस-नस में बसा है
ओ धान /  पछिया हवा के साथ तेरी खरखराहट 
दुनिया के सारे लय ताल से अद्भुत होता
ओ धान / बरसों ब्रस जन्म जन्मांतर तक /
यूँ ही खरकते लरजते रहना / मैं आउंगी मिलने इन्हीं पगडंडियों के सहारे
अनछुए नाद सुनने

नसीम अख्तर दर्द की आग को जलाए रखते हैं-
दर्द की आग बहर-हाल जलाए रखना
अपनी आहों से फलक सर पे उठाए रखना
राजे-दिल लब के हवाले नहीं करते अख्तर
बात दिल की है उसे दिल में दबाए रखना

घनश्याम जैसे कवियों से दुनिया को सावधान रहना होगा जो हुस्न को बेनकाब करते करते इन्कलाब कर डालते हैं-
हुस्न फिर बेनकाब कब होगा
रू-बरू माहताब कब होगा
तीरगी से तबाह है दुनिया
अवतरित आफ़ताब कब होगा
ज़ुल्म अब तो सहा नहीं जाता
बोलिए इन्कलाब कब होगा

हरेंद्र सिन्हा के ख्याल इन दिनों जलने लगे हैं-
देख कर दुनिया का हाल चाल आप जीते हैं हम मरते हैं
आप तो रोज ही सँवरते हैं मेरे तो रोज ख्याल जलते हैं

हास्य कवि विश्वनाथ वर्मा ने जब पत्नी के मेकअप पर सवाल किए तो आवाज आई, "सट अप" -
एक दिन मैंने अपनी पत्नी से कहा - ये उम्र और ये मेकअप?
पत्नी ने कहा - सट अप!
थोड़ी सी लिपस्टिक क्या लगा ली, जलने लगे?
थोड़ी सी बिंदी क्या बढ़ा ली, जलने लगे.

अजय दूबे ने कन्या भूण की ओर से अपनी खता पूछी तो सब सन्न रह गए-
क्या मुझसे हुई थी खता
कि मिटाने चले मेरा पता?

सुनील कुमार उपाध्याय की चैन मे बाधा डालने हमेशा कोई-न-कोई रास्ते में खड़ा हो जाता है -
जब भी चाहीले चैन जिनगी में,केहू रहिये में ठाढ़ हो जाला 
दिन गुजारीले कसहुँ तफरी में,रैन काटल पहाड़ हो जाला

शशिकान्त श्रीवास्तव ने दिखने और बिकने के अन्योनाश्रय सम्बंध पर प्रकाश डाला-
जो दिखता है सो बिकता है
जो बिकता है वही दिखता है

काव्य-पाठ का औपचारिक समापन सभा के अध्यक्ष भगवती प्रसाद द्विवेदी के द्वारा हुआ. उन्होंने पढ़ी गई कविताओं पर अपने संक्षिप्त विचार प्रकट किए और फिर अपनी कविता के द्वारा हिटलरी इंसाफ की व्यवस्था पर करारा प्रहार किया-
कहाँ गए वो लोग वो बातें उजालों से भरी 
पंच परमेश्वर के जुम्मन शेख अलगू चौधरी 
खून के प्यासे हुए इंसाफ करते हिटलरी
अब तो की जाती यहाँ फारियादी से मसखरी

लोग झूमते रहे कवियों की पंक्तियों पर और समाँ बिल्कुल महफ़िल सा बना रहा. लगभग चार घंटे तक चले इस काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से आयोजन को सार्थक किया.

जाने माने रंगकर्मी और कवि मधुरेश नारायण के अग्रज कृष्ण मुरारी शरण के 81 वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में इस अवसर पर उपस्थित कवियों और परिजनों ने उन्हें शाल और पुष्प हार देकर सम्मानित किया. उनकी पोती सान्वी ने उन्हें अपने काव्य का उपहार दिया-

बाबा हैं हम सब के प्यारे / दुनिया में हैं सबसे निराले
पापा-बुआ को पाला जिन्होंने / इस घर के वे हैं रखवाले

अन्त में मधुरेश नारायण के धन्यवाद ज्ञापन के बाद गोष्ठी का समापन हुआ.
..............

आलेख- घनश्याम / हेमन्त दास 'हिम'

छायाचित्र सौजन्य - घनश्याम
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी- editorbiharidhamaka@yahoo.com





























  


  
  

















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