कृष्णानंद कृष्ण एक अच्छे शायर और कवि थे । भोजपुरी में उन्होंने ग़ज़लें और सॉनेट लिखे। उनका ग़ज़ल-संग्रह है:नया सूरज चढ़ल जाता। 51 सॉनेटों का संग्रह है: आपन गाँव भेंटाते नइखे।
भोजपुरी साहित्य के वे चर्चित आलोचक थे। भोजपुरी आलोचना की उनकी उल्लेखनीय किताबें हैं:(1) भोजपुरी कहानी:विकास आ परम्परा, (2) हिंदी लघुकथा:स्वरूप और दिशा,।
इसके अतिरिक्त संपादित कृतियाँ हैं: (1) भोजपुरी कहानी,(2) समकालीन भोजपुरी कहानियाँ, (3) प्रतिनिधि कहानी भोजपुरी के,(4) इसी दिन के लिए, (5)लघुकथा:सृजन और मूल्यांकन (6) शताब्दी शिखर की हिंदी लघुकथाएँ (7) एक मुट्ठी लाई,(8) एकइसवीं सदी आ भोजपुरी,।उन्होंने आनंद संधिदूत और भाष्कर जी के साथ मिलकर"भोजपुरी के अस्मिता चिंतन"का संपादन किया।
वे भोजपुरी साहित्य के ऐक्टिविस्ट साहित्यकार थे।वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन के पूर्व महासचिव थे।
उनका आशियाना पथ संख्या-8,अशोक नगर, कंकड़बाग कॉलोनी, पटना-20 में था। शायद उनके दो पुत्र और एक सुपुत्री हैं। तीनों व्यवस्थित हैं। उनकी पत्नी अभी हैं।
कंकड़बाग स्थित आवास पर मैं उनसे कई बार मिला था।अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन के विलासपुर और जमशेदपुर अधिवेशन में एवं कार्यकारिणी की बैठकों में उनसे मुलाकात होती थी।वे रिटायर्ड सहायक अभियंत्रण अभियंता थे। उनका जन्म 2 जुलाई,1947 को भोजपुर जिला के चाँदी गाँव (नरहीं चाँदी) में हुआ था।
उन्होंने भोजपुरी साहित्य की अप्रतिम सेवा की। उनके निधन से भोजपुरी और हिंदी साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है।इधर भोजपुरी के कई साहित्यकार लगातार मंच छोड़ते जा रहे हैं:पाण्डेय कपिल, गीतकार अनिरुद्ध, प्रो ब्रजकिशोर, कथाकार बरमेश्वर सिंह, कवि कथाकार संपादक जगन्नाथ जी, अक्षयवर दीक्षित जी सभी थोड़े समय में दिवंगत हो गए।
कृष्णानंद कृष्ण जी की स्मृति को नमन।
...................
लेखक - जितेन्द्र कुमार
लेखक का ईमेल आईडी - jitendrakumarara46@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com
No comments:
Post a Comment
अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.
Note: only a member of this blog may post a comment.