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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Thursday 14 May 2020

भारतीय युवा साहित्यकार परिषद द्वारा 13.5.2020 को आयोजित" अंतरजाल(इंटरनेट) कथा पाठ और चर्चा सम्पन्न

सामाजिक विसंगतियों-विद्रूपताओं  के चित्र उकेरकर एक जरूरी सवाल उठाती है कहानी

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पटन्। 13 /05/2020.  हर दिन साहित्य चर्चा को लेकर भारतीय युवा साहित्यकार परिषद द्वारा आयोजित" हेलो फेसबुक साहित्य प्रभात" के तहत आज आन लाइन वरिष्ठ कथाकार भगवती प्रसाद द्विवेदी, जयंत और युवा कथाकार संजीव कुमार कथा द्वारा पाठ किया गया। 

कहानी पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए, मुख्य अतिथि भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि   - "समकालीन कहानी समयगत सच्चाइयों का आईना है। आज की कहानी सामाजिक विसंगतियों-विद्रूपताओं  के चित्र उकेरकर एक जरूरी सवाल उठाती है और वह प्रश्न पाठकीय संवेदना जगाकर अंतर्मंथन के लिए विवश करता है। जयंत की कहानी 'पहचान' जहाँ बालमनोविज्ञान के जीवंत चित्र उकेरती है, वहीं संजीव कुमार की किस्सागोई भी संभावना जगाती है।" उन्होंने इस विधा पर सार्थक विमर्श के आयोजन पर बल देते हुए इस हेतु संयोजक सिद्धेश्वर की इस कार्य हेतु सराहना की। 

उन्होंने युवा लेखिका मीना कुमारी परिहार और विनोद प्रसाद द्वारा कहानी विधा पर पूछे गए सवालों का सारगर्भित विचार भी प्रस्तुत किया।       
संचालन के क्रम में संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा कि - "हिंदी साहित्य में लघुकथा के बाद, आज भी कहानी सर्वाधिक पठनीय विधा बनकर उभरी है जो समय-संदर्भित भी दिखाई पड़ती है। सामाजिक परिवर्तन में प्रेरक और जीवन की तल्ख सच्चायों को आईना दिखलाने वाली कहानियों की अहम भूमिका है। और आज भी ऐसी कहानियों की ही प्रासंगिकता है। 

एक घंटे की इस साहित्य संगोष्ठी के आयोजन में कथाकार जयंत से संयोजक सिद्धेश्वर ने संक्षिप्त भेंटवार्ता भी लिया। उन्होंने भेंटवार्ता के दौरान कहा कि - "हिंदी साहित्य में कहानी प्राचीनतम विधाओं में से एक है। यह विधा सभी  समय सर्वाधिक लोकप्रिय रही है। ऐसा इसलिए की कविता और अन्य विधाओं की तुलना में कहानी को पढ़ना समझना सरल होता है।"

जिस तरह से एक स्त्री अपने संतान को पालती है साहित्यकार अपनी रचना को अपने हृदय में पालता है और समय आने पर उसे कागज पर उकेराता है।

कहानी के शीर्षक 'पहचान' से मैंने आरंभ से ही पाठकों में उत्सुकता के तत्व रोपण का प्रयास किया है -ऐसा कहना था कहानी के लेखक का कहानी के अंत में यह यह बात सामने आती है कि बच्चे अपने पंछियों को पहचान नहीं पाते। 

सजीव (lलाइव) चर्चा के दौरान ऋचा वर्मा, मधुरेश नारायण, विनोद प्रसाद, अनिता, गोरखनाथ मस्ताना, मीना कुमारी परिहार, पुष्पा जमुआर, पुष्प रंजन, आदि की सहभागिता भी रही। 
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प्रस्तुति : सिद्धेश्वर
प्रस्तोता का परिचय -अध्यक्ष :भारतीय युवा साहित्यकार परिषद /अवसर प्रकाशन
प्रस्तोता का पता - द्वारिकापुरी रोड नं:02,पोस्ट :बीएचसी, हनुमान नगर, कंकड़बाग, पटना :800026)बिहार)
प्रस्तोता का ईमेल आईडी -:sldheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी -editorbejodindia@gmail.com











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