बिहार वह राज्य है जहाँ विश्व का पहला गणराज्य बना, जैन तीर्थंकर महावीर ने जन्म लिया, भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया, कालिदास और विद्यापति ने जन्म लिया। यहाँ के कोने-कोने में संस्कृति की अजस्र धार बहती है। खगडिया अंगिका भाषा का एक प्रमुख केंद्र है. यहाँ अक्सर कैलाश झा किंकर की उपस्थिति में बहुत गर्मजोशी से कवि-गोष्ठियों का आयोजन होता रहता है.
26:05:2019 की शाम 07:00 बजे से श्री दुर्गास्थान, हरिपुर, अलौली, खगड़िया में कवि सम्मेलन का आयोजन हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया के द्वारा अवधेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि/ ग़जलकार घनश्याम (पटना) मंचस्थ थे। विशिष्ट अतिथि के रूप मे डा0, अंजनी कुमार सुमन, व्याख्याता, महाबोधि बी एड कालेज नालंदा , डा0 सिद्धेश्वर काश्यप, हिन्दी विभाग, भूपेन्द्र नारायण विश्व विद्यालय मधेपुरा एवम् बिनोद कुमार हँसौड़ा, अध्यक्ष अर्णव कलश बिहार उपस्थित थे। राष्ट्र को समर्पित इस कवि सम्मेलन के उद्घाटन कर्ता थे सुभाष चन्द्र जोशी, संयोजक , जिला संघर्ष मोर्चा,खगड़िया ।
प्रथम कड़ी में आज जिन नामित सम्मानों को जारी किया गया ,वे हैं- यमुना प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान, शहीद दामोदर झा स्मृति सम्मान, शहीद राम प्रकाश सोनी स्मृति सम्मान, संतमती सावित्री देवी स्मृति सम्मान, रामरक्षी प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान,यमुना ठाकुर स्मृति सम्मान, गंगा प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान, उधो प्रसाद केशरी स्मृति सम्मान, बखोरी प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान, महावीर प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान, भजन पासवान स्मृति सम्मान, रामोतार शर्मा स्मृति सम्मान, त्रिवेणी प्रसाद भगत स्मृति सम्मान, राम बहादुर सिंह स्मृति सम्मान ।
अमन का जिस्म जब चोट खाकर क्रुद्ध होता है,
तो जीवन-मौत का जमकर भयंकर युद्ध होता है।
खत कभी महबूब को इक बार लिखना चाहिए।
कर इरादा चल पड़े तो पत्थरें भी कण में हों,
मोड़ देंगे हम हवा को हौसला गर मन में हो।
कैलाश झा किंकर ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
अमर प्रेम वसुधे,
मुझे भी मिले तो,
शहीदों के शव पर,
वतन फिर खिले तो,
अभी आ रहा हूँ,
ढूँढ़ता हूँ ऐसे नौजवान को,
हो वतन से प्यार उस इन्सान को,
हों विवेकानन्द और सुभाष-सा,
स्वर्ग जो बनाए हिन्दुस्तान को
नये ज़ज़्बात गिरते हौसलों में बो रहे हैं,
है छोटी आँख फिर भी, लाख सपने ढो रहे हैं।
डा0 सिद्धेश्वर काश्यप ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
आप खुद पे यकीं कीजिए, ज़िन्दगी आशिकी कीजिए,
हर क़दम है ज़हर आजकल, ये सदी विषपगी कीजिए।
सुखनन्दन पासवान ने शिक्षा गीत,बाल विवाह गीत और शराब बन्दी पर अपनी रचनाएँ सुनाकर वाहवाही लूटी तो स्थानीय नवोदित कवि नीतीश कुमार ने अपनी युवा दृष्टि को निष्पक्ष करने की बात कहते हुए कई कविताएं सुनाई।
संयुक्त सचिव विकास कुमार ने ऐसे आयोजन की शुरुआत अलौली प्रखंड से करने के लिए परिषद् का आभार प्रकट किया।
छायाचित्र सौजन्य - कैलाश झा किंकर
प्रतिक्रिया हेतु वैकल्पिक ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
लेखक का परिचय- श्री किंकर, हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया, बिहार के महासचिव हैं और अत्यंत सक्रिया हिंदी एवं अंगिका के कवि हैं.
इस शानदार कविसम्मेलन की सफलता के लिए हार्दिक बधाई मान्यवर!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर शब्द चित्रण।
ReplyDeleteबेहतरीन रिपोर्टिंग।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
ReplyDeleteAtisunder
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