कला सीखना करना स्वयं को सशक्त करने का एक माध्यम है
संगीत शिक्षायतन के स्थापना दिवस के दिन 30 निम्न आर्थिक बच्चो को कला शिक्षा, मंच कला व विधिवत डिग्री प्रदान करने का सफल प्रयास शुरू किया गया।
समाज के विकास और मानव जनकल्याण के लिये शिक्षा बहुत जरूरी है, और कला शिक्षा भी। सीखने सिखाने के इसी उद्देश्य को लेकर आज ही के दिन 5 मई वर्ष 2000 को कथक नृत्यांगना यामिनी ने 3 बच्चों के साथ अपने सपनों को साकार करने पंख फैला उड़ान भरी थी । हौसलों के कदम बढाते बढाते आज शिक्षायतन प्रांगण में एक बड़ा परिवार एक साथ कला कौशल को सीख, समझ और समाज में प्रसारित कर रहे हैं।
आज से अपनी इस स्थापना दिवस में 30 गरीब बच्चों को नृत्य, चित्रकला, मार्शल आर्ट की निशुल्क शिक्षा देने जा रही है। इस उद्देश्य से कि की आने वाले समय में यह अपने पैरों पर खड़े हो सके और समाज में अपनी पहचान बना सके। वो अपने सपनों की उड़ान भर सकें और इस समाज में अपना योगदान दे सके।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वल्लन से विधिवत की गयी। जिसके बाद संस्था की चीफ ट्रस्टी यामिनी ने इस कार्यक्रम का उद्देश्य और महत्व बताया।
सभी शिक्षार्थियों ने अपने हांथ में मोमबत्ती जलाकर जीवन में कुछ अच्छा करने का प्रण लेते हुए" हमको मन की शक्ति देना" प्रार्थना गीत गाया। विशिष्ट अतिथि अवधेश झा योगाचार्य ने बच्चों में संस्कार स्वरूप को प्रयोगात्मक रूप में योग विधि के आधार पर बताया। कला सीखना और ग्रहण करना स्वयं को सशक्त करने का एक माध्यम है।
संस्कार भारती संस्था के रूपेश कुमार सिन्हा तथा प्रवीर कुमार ने बच्चो को कला को सीखने और आत्मसात करने की शिक्षा दी तथा "कर लो कुछ कर लो, कुछ सीख लो तुम सब आज" गीत को साथ साथ सभी बच्चो ने दोहराया।
कोकुसाई शितो रू कराटे डो ऑर्गनाइजेशन इंडिया (kokusai shito Ryu karate-do organization, India) सेमार्शल आर्ट प्रशिक्षक सुशील कुमार (एसकेडी के चीफ) तथा सलाज कुमार (एसकेडी के तकनीकी प्रभारी) ने स्वयं की रक्षा और सुरक्षा करने के आयामों से परिचय कराया तथा मार्शल आर्ट को अपनाना और उपयोग की बारीकियों को समझाया।
इस समारोह के विशिष्ट गण अर्थात 30 शिक्षार्थियों में संस्था की सचिव रेखा शर्मा तथा नन्हे सदस्य रूद्र के हांथो, घुँघरू, यूनिफार्म आदि बाँटे गये। संस्था के केंद्राधीक्षक रूधीश कुमार ने बच्चो को कला शिक्षा, मंचकला के साथ साथ विधिवत डिग्री प्रदान कराने को आश्वस्त किया।
शिक्षार्थियों ने शिक्षायतन परिवार व कला से जुड़ी अपनी भावनाओं को सबके समक्ष रखा। उन्होंने कहा सीखने और कुछ करने की इच्छा उन्हें भी होती है लेकिन घर से अनुमति नहीं मिल पाती और हमेशा कुछ काम करने को कहा जाता है। बच्चों ने यह भी बताया कि कभी कभी वह खुद से जमीन पर ईंट के सहारे चित्रकारी करते हैं और उन्हें यह करते हुए भी बहुत अच्छा लगता है। कुछ बच्चों ने यह भी बताया की नृत्य करना और नृत्य ही करते रहना उनका सपना है। इसलिए कभी-कभी मोबाइल पर गाने बजा कर हम सब डांस कर लेते हैं। इस अवसर पर अतिथि रमेश पोपली , प्रीति सिंह, तथा अंजू महेंद्रा सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
कार्यकर्म का संचालन पूजा चौधरी ने अपनी कला कौशल के साथ बेहतरीन तरीके से संचालित किया। अंत में शिक्षायतन की चीफ ट्रस्टी ने सभी बच्चो अतिथियों और दर्शकों को सहृदय धन्यवाद ज्ञापन किया।
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आलेख - यामिनी
छायाचित्र सौजन्य- संगीत शिक्षायतन
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