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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Friday 9 November 2018

तुम्हारे लिए- विजय प्रकाश का हिन्दी गीत (Vijay Prakash- Hindi peom with poetic English translation)

तुम्हारे लिए / For You



हँसी अश्रु  मथ कर निकाले हुए हैं
मेरे गीत केवल तुम्हारे लिए हैं
Found them by churning out laugh and tears
My lyrics are only for the dearest of the dears

नए ज्ञान की रोशनी में निरंतर 
बड़ा विश्व छोटा हुआ जा रहा है
मगर साथ ही साथ सिक्का हमारे
सुमूल्यों का खोटा हुआ जा रहा है
नहीं दूर दिल्ली किसी के लिए अब
दिलों के मगर बीच ताले हुए हैं.
Exploring the light of new knowledge continuously
The big world is getting more and more small
But Alas! With this, the coins of moral values
Are getting damaged, counterfeit as if a droll
Though everyone can get the power in a jiffy
But the erstwhile friends now meet with spears

नए अर्थ में शब्द रँगने लगे हैं
नयी एक भाषा जनम ले रही है
कहीं एक इतिहास झूठा हुआ है
कहीं एक आशा जनम ले रही है
कई काँच चमचम चमकने लगे हैं
कई कीमती रत्न काले हुए हैं.
The words are now coloured with new meanings
A new language is getting evolved day by day
Somewhere the history has been declared a fallacy
Sun shines and a perverse hope is making hay
Many ordinary glasses have begun glittering in pride
And many invaluable gems are valued like smears 

नई सूचनाओं के विस्फोट में नित
अजब एक विभ्रम प्रकट हो रहा है
युगों से लगी जिस प' सच की मुहर थी
उसी को निगलना विकट हो रहा है
नयी जग-व्यवस्था के व्यामोह में हम
नयी व्याधियाँ आज पाले हुए हैं.
With the daily exploding new knowledge 
A bizarre hallucination is emerging, very sure
The age old facts, well known and accepted
Are not suitable now to digest any more
Trapped in a paranoia of new world order
We are rearing new disorders and fears.

उतारे हैं रिश्तों ने केचुल पुराने
कई अनसुनी- अनकही बात होगी
कई राज की बात बतला सकूँगा
फिर अगली दफा जब मुलाकात होगी
अभी मित्र! इतना ही जानो कि हाकिम
सभी आज राजा के साले हुए हैं
The relationships have taken out the old derms
Unprecedented and unheard talks may proceed
I would be able to tell you a number of secrets
Whenever the next time you meet me, indeed
At the moment I know that the boss can be he,
Brother-in-law relation with the king, who bears.
...

बात समझ जाओ

फूलों की पंखुड़ी पर
शबनम की इबारत को
तुम ठीक ठीक पढ़ लो
तो बात समझ जाओ.

खुशबू की इक कहानी 
सदियों से चल रही है
हर सू से एक सरिता 
सागर से मिल रही है
मन मेरु के शिखर को
बिन पाँव-पालकी के
तुम ठीक ठीक चढ़ लो
तो बात समझ जाओ.

गिरि की कठिन शिलाएँ
हैं मोम सी पिघलती
विकलांग कोशिशें भी 
हैं बल्लियों उछलती
पानी से कोई मूरत 
बिन यंत्र उपकरण के 
तुम ठीक ठीक गढ़ लो
तो  बात समझ जाओ.

सूखे हुए अधर पर 
मुस्कान खेलती है
बिन बात कोई लड़की
सखियों को ठेलती है
जब सत्य के समर्थन में 
तुम निरा अकेले
जग के विरुद्ध अड़ लो
तो बात समझ जाओ.
....
मूल हिन्दी कवि (Original Hindi Poet)  - डॉ. विजय प्रकाश (Dr. Vijay  Prakash)
मूल कवि का लिंक (Link  of  the original poet) -  Please Click here
अंग्रेजी काव्यानुवाद (Poetic English translation) - हेमंन्त दास 'हिम' (Hemant Das 'Him')
कवि का परिचय- डॉ. विजय प्रकाश हिन्दी के जाने माने समकालीन गीतकार हैं. इन्होंने अंग्रेजी और हिन्दी में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है और पीएचडी भी कर रखा है. ये विशेष रूप से कवि-गीतकार, कथाकार और अनुवादक हैं किंतु इन्होंने साहित्य की लगभग हर विधा में काम किया है. इन्हें सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन, नई दिल्ली का राष्ट्रीय हिंदी सएवी सहस्राब्दी स्म्मान, बिहार सरकार का स्वर्ण पदक, बिहार सरकार राजभाषा विभाग का नवलेखन पुरस्कार, अखिल भारतीय 'कादम्बिनी' कहानी पुरस्कार, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का केदार नाथ मिश्र 'प्रभात' सम्मान और अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं. वर्तमान में ये बिहार सरकार मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा विभाग) में कार्यरत हैं.   इनकी प्रकाशित पुस्तके हैं -घरौंदे रेत के थे  (कविता संग्रह) अपराजिता (अर्मेस्ट हेमिंग्वे के विश्वश्रुत उपन्यास "ए ओल्ड मैन ऐंड द सी" का हिंदी अनुवाद), हीरातराश (घेष माइअकल रोच की जीवनी "द डाइमंड कटर" का हिंदी अनुवाद), अपरिचित (अल्ब्रेर कामु के उपन्यास "द आउटसाइडर्स" का हिंदी अनुवाद), विगत लगभग पैंतीस से अधिक वर्षों से राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन एवं इलेक्ट्रॉनिक माधयमों में नियमित रचना पाठ. 









                                    







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